यूपी चुनावः पूर्वांचल में आज परखा जाएगा मंंत्रियों, बाहुबलियों का जनाधार और दमखम
छठे चरण के मतदान में कई रोचक मुकाबले होंगे। एक तरफ जहां मंत्रियों को अपना जनाधार साबित करना होगा तो बाहुबलियों का दमखम भी परखा जाएगा। 49 सीटों पर सभी दलों ने अपनी ताकत झोंकी है
लखनऊ [अवनीश त्यागी] । पूर्वांचल की धरती पर शनिवार को होने वाले छठे चरण के मतदान में कई रोचक मुकाबले होंगे। एक तरफ जहां मंत्रियों को अपना जनाधार साबित करना होगा तो बाहुबलियों का दमखम भी परखा जाएगा। इस चरण की 49 सीटों पर सभी दलों ने अपनी ताकत झोंकी है लेकिन मुलायम सिंह के क्षेत्र आजमगढ़ और योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर पर सबकी निगाहें होंगी।
विधानसभा चुनाव के छठवें चरण की चुनावी जंग में सपा अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराने के लिए मैदान में है तो बसपा के सामने वर्ष 2007 का सुनहरा इतिहास दोहराने की चुनौती है। बढ़त बनाने की उम्मीद में जुटी भाजपा ने पूरी ताकत पिछले चुनावों से कुछ बेहतर कर दिखाने में लगा दी है। नतीजे अपने पक्ष में करने के लिए अमूमन सभी दलों ने जातिवादी गठजोड़ के अलावा धुव्रीकरण जैसे दांव भी चले। सभाओं और संपर्क अभियान के दौरान बयानों में मर्यादा की सीमाएं लांघने में भी शीर्ष नेताओं ने कोई गुरेज नहीं किया।
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इस चरण में पिछले चुनाव में सपा ने 27 सीटों पर फतेह हासिल की थी जबकि 2007 में 25 सीटें जीतने वाली बसपा को केवल नौ सीटों पर सिमट जाना पड़ा था। भाजपा की स्थिति भी 2012 में अच्छी नहीं रही थी और मात्र सात सीट पर ही संतोष करना पड़ा था। इस बार मोदी लहर में भाजपा को इस क्षेत्र से अच्छे दिन आने की आस लगी है। उधर बागियों से बेहाल कांग्रेस सपा के सहारे पुराने दिनों की वापसी के ख्वाब देख रही है।मंत्रियों व बाहुबलियों की जोर आजमाईश: इस चरण में अखिलेश सरकार में असरदार मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव, बलराम यादव, राम गोविंद चौधरी, राधेश्याम सिंह व ब्रह्माशंकर त्रिपाठी की प्रतिष्ठा दांव पर है। वहीं विधान परिषद में सभापति रहे गणेश शंकर पाण्डेय अब विधानसभा में जाने की कोशिश में है।
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भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही अपनी हार का सिलसिला बंद की जीत का मुंह देखना चाहते है। बसपा से बगावत कर भाजपा में आए स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए अस्तित्व का सवाल है। दूसरी ओर सपा से बगावत करने वाले पूर्व मंत्री नारदराय व अंबिका चौधरी की ताकत का आकलन भी होगा। बहुचर्चित मुख्तार अंसारी परिवार बसपा के निशान पर मैदान में हैं। जेल में बंद मुख्तार अंसारी व पुत्र अब्बास अंसारी के बाहुबल की चुनावी परीक्षा है तो अमरमणि त्रिपाठी के पुत्र अमनमणि त्रिपाठी पहली बार किस्मत आजमा रहे हैं। हरिशंकर तिवारी के पुत्र विनय तिवारी और रमाकांत यादव के पुत्र अरुणकांत भी चुनावी अखाड़े में है।
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पर्दे के पीछे : सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अपने संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में भले ही प्रचार नहीं किया परंतु समाजवादी पार्टी की जीत-हार पर सबकी निगाहें लगी हैं। भाजपा के फायरब्रांड नेता व सांसद योगी आदित्यनाथ व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र के अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापतिराम त्रिपाठी व पूर्व सांसद रमाकांत यादव को कुछ कर दिखाने का मौका है। कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह के लिए परीक्षा की घड़ी है। गठबंधन दांव पर, धुव्रीकरण का जोर : इस चरण में भाजपा व सहयोगी दलों और सपा-कांग्रेस गठबंधन की कड़ी परीक्षा है। कांग्रेस के खाते दस सीटें है परंतु बागियों ने नेतृत्व के होश उड़ाए हुए है।
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दोनों दलों ने एक दूसरे के नेताओं को अपने निशान पर उतारने का प्रयोग भी किया है। सभी दलों ने ध्रुवीकरण को धार देने की हरसंभव कोशिश की। योगी आदित्यनाथ के अलावा दंगे के आरोपी विधायक सुरेश राणा जैसे नेताओं को भी क्षेत्र में कैंप कराकर यहां ध्रुवीकरण की कोशिशों में रंग भरा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, मनोज सिन्हा, उमा भारती जैसे नेताओं के अलावा बिहार के नेताओं की टोलियां भी माहौल गर्माने में लगी रही। इसके अलावा पीस पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, अपना दल व भारतीय समाज पार्टी जैसी पार्टियों को भी अपना दमखम दिखाने का मौका है।
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किसके कितने प्रत्याशी
बसपा-49, भाजपा-45, सीपीआइ-15
सीपीआइ(एम)-4,कांग्रेस-10, एनसीपी-14 , रालोद-36,सपा-40
निर्दल-174, गैरमान्यता प्राप्त दल-248
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