उत्तराखंड इलेक्शन: उत्तराखंड में आकार नहीं ले सके नफा-नुकसान के जिले
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 के लिए 15 फरवरी को मतदान है। उत्तराखंड की राजनीति ने नए जिलों के गठन को चुनाव का मुद्दा बना दिया है।
इसी रीति-नीति का पालन करते हुए वर्ष 2011 में भाजपा सरकार ने चार नए जिलों के गठन की घोषणा तब की, जब उत्तराखंड विधानसभा चुनाव सिर पर थे। लेकिन, भाजपा को श्रेय न मिले, कांग्रेस ने 2012 में सत्ता पाते ही यह मसला आयुक्त गढ़वाल की अध्यक्षता में गठित समिति के हवाले कर दिया। बाद में समिति ने इन चार जिलों के गठन की संस्तुति कर दी, पर खजाना खाली होने के कारण सरकार किंतु-परंतु में ही मामला अटकाती रही।
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हालांकि, विस चुनाव की घोषणा होने से कुछ माह पूर्व सरकार की ओर से पहले आठ और बाद में 11 नए जिले बनाने की बात कहे जाने पर एक बार फिर जिलों की सियासत गर्मा गई। जगह-जगह से नए जिलों के गठन की मांग सिर उठाने लगी। ऐसे में सरकार ने हाथ पीछे खींचने में ही भलाई समझी और ऐन आचार संहिता लगने से पूर्व 1000 करोड़ रुपये का कॉरपश फंड बनाकर मसले को भविष्य के हवाले कर दिया।
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उपेक्षित पर्वतीय क्षेत्र में राज्य गठन के बाद से ही नए जिलों की मांग उठती रही है। स्वार्थ सिद्धि और अपनी नाकामियां छुपाने के लिए राजनीतिक दल भी समय-समय पर इस मांग को हवा भी देते रहे हैं। नतीजा, चुनाव आते ही फिर 'जिला राग' शुरू हो गया है। भाजपा कांगे्रस पर जानबूझकर जिलों के गठन को लटकाने का आरोप मढ़ रही है तो कांग्रेस पूरे होमवर्क के साथ जिले बनाने की बात कहकर जनता को टरकाने की कोशिश। उसका कहना है कॉरपश फंड इसी दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है।
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प्रस्तावित नए जिलों पर दृष्टि
भाजपा शासनकाल में स्वीकृत जिले : यमुनोत्री, कोटद्वार, रानीखेत व डीडीहाट
कांग्रेस सरकार की ओर से प्रस्तावित जिले : रामनगर, काशीपुर, रुड़की व ऋषिकेश
तीन अन्य संभावित जिले : गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में एक-एक और एक दोनों मंडलों के केंद्र में
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जिलों का सफर
वर्ष 1969 तक देहरादून को छोड़ उत्तराखंड के सभी जिले कुमाऊं मंडल के अधीन थे। इसी वर्ष गढ़वाल मंडल की स्थापना हुई और इसका मुख्यालय पौड़ी बनाया गया।
1975 में देहरादून जिले को मेरठ प्रमंडल से निकालकर गढ़वाल मंडल में मिला दिया गया। इससे गढ़वाल मंडल में जिलों की संख्या पांच और कुमाऊं मंडल में तीन हो गई।
1994 में ऊधमसिंहनगर और 1997 में रुद्रप्रयाग, चंपावत व बागेश्वर जिलों का गठन हुआ।
नौ नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य बना और हरिद्वार को भी इसमें सम्मिलित कर दिया गया।
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राज्य, क्षेत्रफल,जिले
उत्तराखंड,53566 वर्ग किमी,13
हिमाचल प्रदेश,55673 वर्ग किमी,12
छत्तीसगढ़,135191 वर्ग किमी,27
झारखंड,79700 वर्ग किमी,24
तेलंगाना,114840 वर्ग किमी,10
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मानक किए शिथिल
वर्ष 1991 की जनसंख्या के आधार पर नए जिले के गठन को न्यूनतम 15 लाख की आबादी का मानक था। लेकिन, वर्ष 2012 में गढ़वाल कमिश्नर की अध्यक्षता में गठित समिति ने इसे डेढ़ लाख कर दिया। इसी तरह न्यूनतम पांच हजार वर्ग किमी क्षेत्रफल के मानक को एक लाख हेक्टेयर, विकासखंडों की न्यूनतम संख्या को दस से तीन, थानों की संख्या को न्यूनतम 12 से तीन और लेखपालों की न्यूनतम संख्या को 300 से घटाकर 50 कर दिया गया।
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