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जब सफ़र ने बदल दी इन 8 फ़िल्मों की कहानी और किरदारों की ज़िंदगी

शाह रुख़ ख़ान की फ़िल्म जब हैरी मेट सेजल में सही तौर पर ट्रैवलिंग फ़िल्म है, क्योंकि इसमें शाह रुख़ टूरिस्ट गाइड बने हैं और अनुष्का गुजराती टूरिस्ट, जो यूरोप के टूर पर हैं...

By मनोज वशिष्ठEdited By: Updated: Tue, 01 Aug 2017 05:52 PM (IST)
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जब सफ़र ने बदल दी इन 8 फ़िल्मों की कहानी और किरदारों की ज़िंदगी
मुंबई। सफ़र करना किसे अच्छा नहीं लगता। हिंदी फ़िल्में भी दर्शकों को सफ़र पर ले जाती रही हैं। कभी बर्फ़ से ढकी ख़ूबसूरत वादियों में तो कभी समंदर के चमकीले पानी पर, सिनेमा के ज़रिए दर्शक सफ़र पर निकल पड़ते हैं। ऐसी ही कुछ फ़िल्में, जिनकी कहानियों में सफ़र यानि ट्रैवलिंग ने एक अहम रोल निभाया है और इसके किरदारों की ज़िंदगी बदलकर रख दी।

शाह रुख़ ख़ान की फ़िल्म 'जब हैरी मेट सेजल' में सही तौर पर ट्रैवलिंग फ़िल्म है, क्योंकि इसमें शाह रुख़ टूरिस्ट गाइड बने हैं और अनुष्का गुजराती टूरिस्ट, जो यूरोप के टूर पर हैं और इस दौरान परिस्थितियां ऐसा मोड़ लेती हैं कि दोनों नज़दीक आ जाते हैं। इम्तियाज़ अली ने ये फ़िल्म डायरेक्ट की है।

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वैसे इम्तियाज़ अली की तक़रीबन सभी फ़िल्मों में ट्रैवलिंग की भूमिका अहम रही है। रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण के साथ उन्होंने 'तमाशा' बनायी। फ़िल्म में इन दोनों की मुलाक़ात एक टूर के दौरान ही होती है।

इम्तियाज़ अली की 'हाइवे' वैसे तो चाइल्ड मॉलेस्टेशन जैसे संवेदनशील मुद्दे को एड्रेस करती है, मगर इसकी कहानी में ट्रैवलिंग ने अहम रोल निभाया। इम्तियाज़ ने फ़िल्म के ज़रिए दर्शकों को 6 राज्यों में घुमाया।

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2007 में रिलीज़ हुई 'जब वी मेट' की कहानी भी इम्तियाज़ अली ने ट्रैवलिंग के ज़रिए आगे बढ़ाई। फ़िल्म करीना के ट्रेन सफ़र से शुरू होती है, जिन्हें रास्ते में शाहिद कपूर मिल जाते हैं।

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रणबीर कपूर की हाल ही में रिलीज़ हुई फ़िल्म 'जग्गा जासूस' की कहानी एक बेटे द्वारा अपने पिता की खोज पर आधारित थी, जिसके लिए रणबीर के किरदार को मणिपुर से कोलकाता और फिर साउथ अफ्रीका तक की यात्रा करनी पड़ती है। कटरीना कैफ़, रणबीर की ट्रैवल पार्टनर बनती हैं। अनुराग बसु ने फ़िल्म को डायरेक्ट किया।

अयान मुखर्जी की फ़िल्म 'यह जवानी है दीवानी' की कहानी चार दोस्तों के ट्रिप पर आधारित है। हिमाचल प्रदेश की वादियां और राजस्थान के ख़ूबसूरत मान्यूमेंट्स कहानी का हिस्सा बनते हैं। फ़िल्म रणबीर कपूर, दीपिका पादुकोण और आदित्य रॉय कपूर ने लीड रोल्स निभाए।

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ज़ोया अख़्तर की फ़िल्म 'ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा' की कहानी तीन दोस्तों की स्पेन में रोड ट्रिप के इर्द-गिर्द घूमती है। इस दौरान उन्हें तरह-तरह के अनुभव होते हैं। रितिक रोशन, अभय देओल, फ़रहान अख़्तर और कटरीना कैफ़ ने लीड रोल्स निभाए।

ज़ोया की 'दिल धड़कने दो' में ट्रैवलिंग का इंपोर्टेंट रोल रहा। एक बिखरा हुए परिवार दोस्तों-रिश्तेदारों के साथ क्रूज़ टूर पर निकलता है और इस दौरान उनके बीच की रिलेशनशिप नया मोड़ लेती है। अनिल कपूर, रणवीर सिंह, प्रियंका चोपड़ा, फ़रहान अख़्तर, अनुष्का शर्मा और शेफाली शाह ने लीड रोल्स निभाए।

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