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इंटरनेशनल अवॉर्ड जीतने वाली पहली बंगाली अभिनेत्री थीं सुचित्रा

फिल्म देवदास में पारो का किरदार निभाकर हिंदी सिनेमा में भी अपनी अमिट छाप छोड़ने वाली बंगाली अभिनेत्री सुचित्रा सेन ने आखिकार लंबे समय तक मौत से लड़ने के बाद दम तोड़ ही दिया। आइए इस शानदार अभिनेत्री से जुड़ी खास बातें आपको बताते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।

By Edited By: Updated: Fri, 17 Jan 2014 11:08 AM (IST)
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नई दिल्ली। 1955 की फिल्म देवदास में पारो का किरदार निभाकर हिंदी सिनेमा में भी अपनी अमिट छाप छोड़ने वाली बंगाली अभिनेत्री सुचित्रा सेन ने आखिकार लंबे समय तक मौत से लड़ने के बाद दम तोड़ ही दिया। आइए इस शानदार अभिनेत्री से जुड़ी खास बातें आपको बताते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।

1. सुचित्रा सेन पहली बंगाली अभिनेत्री थीं, जिन्होंने इंटरनेशल फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड जीता। उन्होंने 1963 के मॉस्को फिल्म फेस्टिवल अपनी फिल्म 'सात पाके बांधा' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता था।

नहीं रहीं सुचित्रा सेन

2. उनका जन्म बंगाल के पबना जिले में हुआ था, जो अब बांग्लादेश में है।

3. सुचित्रा के पिता करुणामॉय दासगुप्ता एक स्थानीय स्कूल में हेड मास्टर थे।

4. यह भी अजीब विडंबना रही कि सुचित्रा की पहली फिल्म 'शेष कथाय (बंगाली)' कभी रिलीज ही नहीं हुई।

ट्विटर पर सुचित्रा को दी श्रद्धांजलि

5. 1955 की फिल्म देवदास सुचित्रा की पहली हिंदी फिल्म थी और इसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला था। उन्होंने देवदास में पारो का रोल किया था।

6. दिग्गज अभिनेता उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन की जोड़ी को कोई नहीं भुला सकता। दोनों ने 1953 से लेकर 1975 तक 30 फिल्मों में साथ काम किया।

7. 1959 की बंगाली फिल्म 'दीप जवेले जाई' को सुचित्रा की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में गिना जाता है। दस साल बाद यह फिल्म हिंदी में बनी थी, जिसमें सुचित्रा वाला रोल वहीदा रहमान ने किया था।

8. 1975 की फिल्म आंधी में सुचित्रा का रोल इंदिरा गांधी से प्रेरित बताया गया था। सुचित्रा ने इतनी जबरदस्त एक्टिंग की थी कि उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस के लिए नॉमिनेट किया गया था। हालांकि सुचित्रा तो बेस्ट एक्ट्रेस नहीं चुनी गई, लेकिन फिल्म के उनके साथी कलाकार संजीव कुमार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता जरूर बन गए।

9. उनकी बेटी मुनमुन सेन भी मां के नक्शे कदम पर चलते हुए बंगाली फिल्मों के साथ हिंदी फिल्मों में भी आई।

10. 1972 में इस अभिनेत्री को पद्मश्री पुरस्कार मिला।

11. लगभग पच्चीस साल के एक्टिंग करियर के बाद उन्होंने 1978 में बड़े पर्दे से ऐसी दूरी बनाई कि उन्होंने लाइमलाइट से खुद को बिल्कुल अलग कर लिया।

12. बताया जाता है कि उन्होंने 2005 में दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड के लिए मना कर दिया था। हालांकि इस बात की सच्चाई की कभी पुष्टि नहीं हो पाई।

13. 2012 में उन्हें पश्चिम बंगाल सरकार का सर्वोच्च पुरस्कार 'बंगो बिभूषण' दिया गया।

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