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पुरुषों की मर्दानगी पर आमिर खान ने उठाए सवाल

बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान ने भारत में शक्ति संतुलन और मर्दानगी को लेकर लोगों की सोच बदलने की वकालत की है। उन्होने दुष्कर्म पीडि़ता के प्रति समाज के नजरिये में भी बदलाव की जरूरत पर बल दिया है। आमिर यहां पत्रकार एवं लेखिका टीना ब्राउन और न्यूयॉर्क टाइम्स

By Pratibha Kumari Edited By: Updated: Fri, 24 Apr 2015 05:51 PM (IST)
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न्यूयॉर्क। बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान ने भारत में शक्ति संतुलन और मर्दानगी को लेकर लोगों की सोच बदलने की वकालत की है। उन्होने दुष्कर्म पीडि़ता के प्रति समाज के नजरिये में भी बदलाव की जरूरत पर बल दिया है। आमिर यहां पत्रकार एवं लेखिका टीना ब्राउन और न्यूयॉर्क टाइम्स की ओर से 'विश्व में महिलाएं' विषय पर आयोजित छठे वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेने आए थे।

इराकी मूल की अमेरिकी समाजसेवी जैनब साल्बी से परिचर्चा के दौरान आमिर ने कहा, 'दुष्कर्म भारत में एक बड़ा मुद्दा है।' जैनब ने युद्धप्रभावित महिलाओं के लिए काम करने वाले संगठन वीमेन इंटरनेशनल की स्थापना की है। आमिर ने कहा कि दुष्कर्म पीडि़ता से अक्सर पुलिस व चिकित्साकर्मी अच्छा बर्ताव नहीं करते हैं और उसे शीघ्र न्याय नहीं मिलता।

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बकौल आमिर, 'भारत में शक्ति संतुलन में बदलाव की जरूरत है। जब तक आरोपी की दोषसिद्धि तेज और निश्चित नहीं होगी, कुछ नहीं बदलेगा। सबसे अहम है, दुष्कर्मी से किनारा करना और पीडि़ता को गले लगाना।'

उन्होंने बच्चों खासकर लड़कों को महिला-पुरुष संवेदनशीलता की सीख देने की वकालत की। उन्होंने कहा कि समाज को छोटे लड़कों को यह समझने देना चाहिए कि रोना, डरना और अपनी भावनाएं व्यक्त करना बिल्कुल ठीक है।

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आमिर के मुताबिक, भारत में लोगों से बातचीत के आधार पर उनका निष्कर्ष यह है कि यहां एक असल पुरुष उसे माना जाता है जो रोये नहीं, अपनी पत्नी का हाथ नहीं पकड़े और अपने बच्चों को गले नहीं लगाए। आमिर ने कहा कि इस परिभाषा के आधार पर तो मैं कतई असल पुरुष नहीं हूं।