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हुस्न की मल्लिका मधुबाला क्यों रही पहले प्यार में नाकाम!

मधुबाला आज हमारे बीच नहीं हैं,लेकिन उनके चाहने वाले उनका 83वां जनमदिन मना रहे हैं। शादी के बाद पता चला कि मधुबाला के दिल में छेद है। लाचार मधुबाला बरसों बिस्तर पर ही रहीं और 23 फरवरी 1969 को उन्होंने अलविदा कह दिया।

By Suchi SinhaEdited By: Updated: Sun, 14 Feb 2016 11:52 AM (IST)

नई दिल्ली। बाॅलीवुड की बेहद खूबसूरत अदाकारा मधुबाला आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके हुस्न के चर्चे आज भी बाॅलीवुड के गलियारे में आम हैं। इस बीच ना जाने कितनी ही अभिनेत्रियों ने बाॅलीवुड में कदम रखा लेकिन मधुबाला जैसा जादू नहीं बिखेर पाई। अपने करियर में तो इस अभिनेत्री ने सफलता के कई मुकाम छुए लेकिन इनकी पहली प्रेम कहानी अधूरी रह गई।

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मधुबाला और दिलीप कुमार की प्रेम कहानी भला कोई कैसे भूल सकता है, इस प्रेम कहानी की शुरुआत 1957 में फिल्म ‘तराना’ से शुरू हुई थी। दिलीप कुमार और मधुबाला पहली नजर में ही एक दूसरे के प्यार में गिरफ्तार हो गए। खास बात ये रही की मोहब्बत का इजहार मधुबाला ने खुद किया, उन्होंने गुलाब के फूल के साथ एक चिट्ठी दिलीप कुमार को भिजवाई, जिसमें लिखा था-अगर आप मुझसे मोहब्बत करते हैं, तो ये गुलाब का फूल कबूल करें। दिलीप कुमार ने मुस्कुराते हुए वो फूल कबूल कर लिया। दोनों के प्यार का सफर भी बड़े ही खूबसूरत अंदाज में हो गया लेकिन अंत अच्छा नहीं रहा। दोनों की प्रेम कहानी में मधुबाला के पिता अताउल्ला खान विलेन बन बैठे और अंत में इस प्रेमी जोड़े की राहे अलग हो गईं।

मधुबाला का जन्म 14 फरवरी 1933 को दिल्ली में हुआ था। उनका बचपन का नाम मुमताज जहां था। दिल्ली आकाशवाणी के बच्चों के कार्यक्रम के दौरान संगीतकार मदनमोहन के पिता ने मुमताज को देखा, जो देखते ही रायबहादुर चुन्नीलाल की आंखों को भा गई। बांम्बे टॉकीज फिल्म 'बसंत' में एक बाल कलाकार की भूमिका मुमताज को दी गई। इसके बाद रणजीत स्टूडियो की कुछ फिल्मों में अभिनय और गाने गाकर मुमताज ने अपना फिल्मी सफर आगे बढ़ाया।

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बेबी मुमताज को पहली बार नायिका बनाया डॉयरेक्टर केदार शर्मा ने। फिल्म 'नीलकमल' में राजकपूर उनके नायक थे। लेकिन उन्हें सफलता और लोकप्रियता फिल्म 'महल' से मिली। इस सस्पेंस फिल्म में उनके नायक थे अशोक कुमार। महल ने कई इतिहास रचे।

मधुबाला का दिल एक बार फिर से धड़का गायक-नायक किशोर कुमार पर। फिल्म 'चलती का नाम गाड़ी' में एक लड़की भीगी-भागी-सी गाना गाकर किशोर ने मधुबाला का दिल जीत लिया और दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद पता चला कि मधुबाला के दिल में एक छोटा-सा छेद है। लाचार होकर मधुबाला बरसों तक बिस्तर पर लेटी रहीं। किशोर सेवा करते रहें और 23 फरवरी 1969 को वह अलविदा कह चली गई।