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बॉलीवुड में ये एक्टर्स निभा चुके हैं किसानों के किरदार, जो आज भी हैं यादगार

एक प्रोफ़ेशन ऐसा है, जिसे हिंदी सिनेमा के दर्शक ज़रूर मिस करते होंगे। ये है किसान, जो अब सिनेमा के पर्दे पर नज़र नहीं आता।

By मनोज वशिष्ठEdited By: Updated: Mon, 12 Jun 2017 01:56 PM (IST)
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बॉलीवुड में ये एक्टर्स निभा चुके हैं किसानों के किरदार, जो आज भी हैं यादगार
मुंबई। बॉलीवुड फ़िल्मों में आज एक्टर्स दिलचस्प प्रोफ़ेशनल बने नज़र आते हैं। प्रेमिका के चेहरे को चांद-सा बताने वाला हिंदी सिनेमा का प्रेमी अब एस्ट्रोनॉट बनकर चांद पर उतरने की तैयारी कर रहा है। मगर, एक प्रोफ़ेशन ऐसा है, जिसे हिंदी सिनेमा के दर्शक ज़रूर मिस करते होंगे। ये है किसान, जो अब सिनेमा के पर्दे पर नज़र नहीं आता। हालांकि, एक वक़्त था, जब बॉलीवुड के तमाम बड़े एक्टर्स पर्दे पर किसान बनकर आ चुके हैं। 

'करन-अर्जुन' में सलमान और शाह रुख़ ख़ान साथ नज़र आए थे। राकेश रोशन निर्देशित फ़िल्म वैसे तो रिइनकार्नेशन ड्रामा थी, मगर सलमान और शाह रुख़ का पहले जन्म में प्रोफ़ेशन खेती दिखाया गया था। 

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'ट्यूबलाइट' में सलमान और सोहेल ख़ान साथ आ रहे हैं। सोहेल फ़िल्म में सोल्जर के रोल में हैं, मगर पर्दे पर किसान वो भी बन चुके हैं। फ़िल्म का टाइटल भी 'किसान' था, जिसे सोहेल ने प्रोड्यूस भी किया था। फ़िल्म में जैकी श्रॉफ उनके पिता और अरबाज़ भाई के किरदार में थे। ये फ़िल्म किसानों की आत्महत्या जैसे संवेदनशील मुद्दे पर आधारित थी।

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'दंगल' में पहलवान का रोल निभाने वाले आमिर 'ख़ान' लगान में किसान बने थे। आशुतोष गोवारिकर डायरेक्टिड ये फ़िल्म 2001 में आयी थी और काफ़ी सक्सेसफुल रही। ब्रिटिश हुक़ूमत के दौर में सेट फ़िल्म की कहानी सूखे और लगान को केंद्र में रखकर दिखायी गयी थी। क्रिकेट भी फ़िल्म का अहम भाग था।

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1967 में आयी 'उपकार' में मनोज कुमार ने किसान का यादगार रोल निभाया था, जो बाद में भारत-पाक युद्ध के दौरान फ़ौज ज्वाइन कर लेता है। 'जय जवान-जय किसान' के नारे से प्रेरित इस फ़िल्म को मनोज कुमार ने ही डायरेक्ट किया था। 

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1957 में आई महबूब ख़ान डायरेक्टिड 'मदर इंडिया' हिंदी सिनेमा की कल्ट क्लासिक फ़िल्मों में शामिल है। ऑस्कर अवॉर्ड तक पहुंची इस फ़िल्म में राज कुमार और नर्गिस किसान के रोल में थे, जबकि बेटों के रोल सुनील दत्त और राजेंद्र कुमार ने निभाए थे। फ़िल्म में किसानों की ग़रीबी, भुखमरी और ज़मींदारों के ज़ुल्म को दिखाया गया था। 

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1953 में रिलीज़ हुई बिमल रॉय निर्देशित 'दो बीघा ज़मीन' देश के किसानों की हालत का दस्तावेज़ मानी जाती है। फ़िल्म सूखा, ग़रीबी, किसानों पर ज़मीदारों के ज़ुल्म जैसे मुद्दों को एड्रेस करती है। फ़िल्म में बलराज साहनी ने किसान की यादगार भूमिका निभायी थी।