मधुर भंडारकर की पॉलिटिकल फ़िल्म इंदु सरकार की बैकग्राउंड इमरजेंसी के दौरान सेट की गयी है, लिहाज़ा इस फ़िल्म के ज़रिए दर्शक सत्तर के दशक की सैर करेंगे।
By मनोज वशिष्ठEdited By: Updated: Wed, 05 Jul 2017 04:21 PM (IST)
मुंबई। पीरियड फ़िल्मों की ख़ासियत होती है कि उनके ज़रिए दर्शकों को अलग-अलग दौर देखने को मिल जाते हैं। जॉन अब्राहम की फ़िल्म 'परमाणु- द स्टोरी ऑफ़ पोखरण' की कहानी दूसरे परमाणु परीक्षण की बैकड्रॉप पर है। फ़िल्म को अभिषेक शर्मा डायरेक्ट कर रहे हैं। पोखरण में दूसरा परमाणु टेस्ट नब्बे के दशक के आख़िरी सालों में हुआ था। लिहाज़ा परमाणु दर्शकों को क़रीब 20 साल पीछे ले जाएगी।
मधुर भंडारकर की पॉलिटिकल फ़िल्म इंदु सरकार की बैकग्राउंड इमरजेंसी के दौरान सेट की गयी है, लिहाज़ा इस फ़िल्म के ज़रिए दर्शक सत्तर के दशक की सैर करेंगे। फ़िल्म में संजय गांधी से प्रेरित किरदार नील नितिन मुकेश निभा रहे हैं। फ़िल्म की कहानी कीर्ति कुल्हरी के किरदार के इर्द-गिर्द घूमती है। यह भी पढ़ें:
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मिलन लूथरिया की फ़िल्म बादशाहो की कहानी भी इमरजेंसी के दौरान ही सेट की गयी है। फ़िल्म में अजय देवगन, इमरान हाशमी और विद्युत जाम्वाल मुख्य किरदार निभा रहे हैं। कहानी एक राज परिवार के ख़ज़ाने की खोज और लूट पर आधारित है।
अर्जुन रामपाल की फ़िल्म डैडी गैंगस्टर से पॉलिटिशियन बने अरुण गावली की बायोपिक फ़िल्म है। लिहाज़ा फ़िल्म की कहानी सत्तर के दशक से मौजूदा वक़्त तक ट्रैवल करेगी। आशिम अहलूवालिया ने फ़िल्म को डायरेक्ट किया है।
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अपूर्व लखिया की फ़िल्म हसीना- द क्वीन ऑफ़ मुंबई डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर की बायोपिक फ़िल्म है। लिहाज़ा ये फ़िल्म भी चंद घंटों में कई दशकों का सफ़र तय करेगी। फ़िल्म में श्रद्धा कपूर हसीना के किरदार में हैं, जबकि उनके भाई सिद्धांत कपूर दाऊद के किरदार में दिखेंगे।
सलमान ख़ान की ट्यूबलाइट 1962 में हुए इंड-चाइना वॉर की बैकग्राउंड पर बनी थी, लिहाज़ा फ़िल्म में दर्शकों को पांच दशक पीछे ले गयी। हालांकि सलमान का ये टाइम ट्रैवल दर्शकों को ज़्यादा पसंद नहीं आया और कबीर ख़ान डायरेक्टेड पीरियड ड्रामा फ़्लॉप रही। यह भी पढ़ें:
चौकीदार की नौकरी से भी हटा दिया गया था, नवाज़उद्दीन की 5 ख़ास बातेंकोंकणा सेन शर्मा की डायरेक्टोरियल डेब्यू फ़िल्म अ डेथ इन द गंज 1979 में सेट थ्रिलर ड्रामा है। फ़िल्म में ओम पुरी, विक्रांत मैसी, गुलशन देवैया और कल्कि कोचलिन ने लीड रोल्स निभाये।
विद्या बालन की फ़िल्म बेगम जान दर्शकों को आज़ादी के दौर में ले गयी, जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था। फ़िल्म को श्रीजीत मुखर्जी ने डायरेक्ट किया।
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विशाल भारद्वाज डायरेक्टेड रंगून की कहानी 1943 में हुए दूसरे विश्व युद्ध की बैकग्राउंड में कही गयी। फ़िल्म में सैफ़ अली ख़ान, कंगना रनौत और शाहिद कपूर ने लीड रोल्स निभाये। हालांकि ये पीरियड रोमांस ड्रामा फ़िल्म पूरी तरह फ़्लॉप रही।
साल की शुरुआत में आयी शाह रुख़ ख़ान ने गुजराती शराब तस्कर का रोल निभाया था। राहुल ढोलकिया निर्देशित फ़िल्म की कहानी अस्सी के दशक में सेट थी। फ़िल्म में माहिरा ख़ान शाह रुख़ की बेगम का रोल निभाया था।यह भी पढ़ें:
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