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सेंसर बोर्ड के सदस्य ने ही 'एनएच 10' के सीन काटने पर बोर्ड को लताड़ा

भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य और प्रतिष्ठित फिल्मकार चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने फिल्म 'एनएच 10' के कुछ शब्दों को काटने को लेकर सेंसर बोर्ड की भर्त्सना की है। गौरतलब है कि अनुष्का शर्मा की फिल्म 'एनएच 10' इस शुक्रवार को ही रिलीज हो रही है।

By Test1 Test1Edited By: Updated: Fri, 13 Mar 2015 08:12 AM (IST)
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मुंबई। भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य और प्रतिष्ठित फिल्मकार चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने फिल्म 'एनएच 10' के कुछ शब्दों को काटने को लेकर सेंसर बोर्ड की भर्त्सना की है। गौरतलब है कि अनुष्का शर्मा की फिल्म 'एनएच 10' आज रिलीज हो रही है।

अनुष्का शर्मा ने 'एनएच 10' से पहली बार प्रोडक्शन के क्षेत्र में कदम रखा है। सेंसर बोर्ड ने अनुष्का की फिल्म में 9 जगहों पर कैंची चलाने के बाद 'ए' सर्टिफिकेट जारी किया।

फिल्म रिव्यू: एनएच 10 (4 स्टार)

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने फिल्म से गाली वाले शब्दों को निकलवा दिया, जबकि सेंसर बोर्ड के कई सदस्य इसके खिलाफ थे। बोर्ड के ही एक अन्य सदस्य अशोक पंडित ने भी इस मुद्दे पर बोर्ड की निंदा करते हुआ कहा था कि यह फिल्मकारों की सृजनात्मक आजादी में अनावश्यक हस्तक्षेप है।

अब चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी पर तानाशाह रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। निहलानी को लिखे पत्र में द्विवेदी ने कहा है कि बोर्ड के सदस्यों की आवाज को दबाया जा रहा है।

द्विवेदी ने लिखा, 'मैं अब इस सम्मानित संस्था का हिस्सा होने में असहज महसूस कर रहा हूं। क्योंकि यहां सामूहिक निर्णय की अनदेखी की जा रही है और बहुमत की आवाज को दबाया जा रहा है।'

द्विवेदी ने चर्चित टीवी सीरियल 'चाणक्य' का निर्देशन किया था। इसके अलावा उन्होंने 'पिंजर' फिल्म का निर्देशन भी किया है। उन्होंने कहा कि अगर फिल्म में गालियों के सीन पर कैंची चलानी थी तो पहले बोर्ड के सदस्यों के साथ इस पर विस्तृत विचार-बिमर्श होना चाहिए था। इसके अलावा समाज के प्रबुद्ध सदस्यों की भी राय इस मसले पर ली जानी चाहिए थी।

शुक्रवार को रिलीज हो रही फिल्म 'एनएच 10' के न केवल कई दृश्यों को सेंसर बोर्ड ने काट दिया है। बल्कि सेंसर बोर्ड के दबाव में कई जगह आवाज को भी म्यूट कर दिया गया है।

'एनएच 10' का ट्रायल शो देखने के बाद कई फिल्म आलोचकों ने भी सेंसर बोर्ड के इस कदम की निन्दा की है।उनका कहना है कि इससे फिल्म में कहानी का प्रभाव कम हो गया है। आलोचकों के मुताबिक फिल्म से गालियां और अपशब्द निकालने के चक्कर में कई प्रभावपूर्ण दृश्य छोटे हो गए हैं और फिल्म के प्रभाव में कमी आई है।

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