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आज भी सीख रहे हैं धनुष

मुंबई। साउथ के कलाकार भी इन दिनों हिंदी फिल्मों में जोर आजमा रहे हैं। यह बात अलग है कि बीते दशकों की तरह हर किसी को सफलता हाथ नहीं लग रही। हाल में रामचरण तेजा 'जंजीर' की रीमेक में दिखे। दुर्भाग्य से फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फिसड्डी रही। उनके मुकाबले उनसे पहले आए धनुष्

By Edited By: Updated: Thu, 24 Oct 2013 04:30 PM (IST)

मुंबई। साउथ के कलाकार भी इन दिनों हिंदी फिल्मों में जोर आजमा रहे हैं। यह बात अलग है कि बीते दशकों की तरह हर किसी को सफलता हाथ नहीं लग रही। हाल में रामचरण तेजा 'जंजीर' की रीमेक में दिखे। दुर्भाग्य से फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फिसड्डी रही। उनके मुकाबले उनसे पहले आए धनुष ने जरूर डंका बजाया। 'रांझणा' को लोगों ने हाथोंहाथ लिया। मृदु स्वभाव के धनुष कहते हैं, 'मैं बहुत पहले से अदाकारी और फिल्म निर्माण से जुड़ गया था, लेकिन हर फिल्म से मैं लगातार सीखने की कोशिश कर रहा हूं। वह चाहे हिट हो या फ्लॉप। 'रांझणा' ने मुझे साउथ की लव स्टोरी वाली फिल्मों के साथ प्रयोग करने के अवसर प्रदान किए हैं। लाउड फिल्मों के मुकाबले मैं अब वहां की फिल्मों को सटल रखने लगा हूं। पहले के मुकाबले कहानी की गति कम की है। वह वहां के दर्शकों के लिए नया अनुभव है, पर वे उसे स्वीकार रहे हैं।

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'थ्री' में हमसे वही चूक हुई थी। फिल्म की गति जरूरत से ज्यादा तीव्र रहने के चलते लोग फिल्म के साथ कनेक्ट फील नहीं कर सके। नतीजतन फिल्म फ्लॉप रही थी। मैं जिंदगी में महसूस किए अपने अनुभवों को काम में लाता हूं। यही वजह है कि मैं अपने फादर इन ला यानी महान कलाकार रजनीकांत की भी सलाह नहीं लेता। वे भी मुझे अनावश्यक सीख या सलाह देने की कोशिश नहीं करते। मेरे ख्याल से मेरी जिंदगी में सीखने की प्रक्रिया अनवरत चलती रहेगी।'

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