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Exclusive : आउटसाइडर्स को एक ही बॉल पर छक्का मारकर जीतना होता है बॉलीवुड का मैच : पंकज त्रिपाठी

पंकज शाहरुख़ ख़ान की फिल्म 'दिलवाले' का भी हिस्सा रहे थे। उनकी फिल्म 'नील बट्टे सन्नाटा' को भी काफी सराहना मिली थी।

By Rahul soniEdited By: Updated: Wed, 22 Mar 2017 06:44 PM (IST)
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Exclusive : आउटसाइडर्स को एक ही बॉल पर छक्का मारकर जीतना होता है बॉलीवुड का मैच : पंकज त्रिपाठी
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। अविनाश दास की फिल्म 'अनारकली ऑफ आरा' इसी हफ्ते रिलीज़ हो रही है। इस फिल्म में स्वरा भास्कर लीड रोल में हैं। फिल्म की कहानी अनारकली की है लेकिन अनारकली की यह कहानी रंगीला किरदार के बिना अधूरी है। चूंकि रंगीला का किरदार ही अनारकली की कहानी का अहम हिस्सा है। फिल्म में यह किरदार पंकज त्रिपाठी निभा रहे हैं।

इससे पहले भी पंकज कई महत्वपूर्ण किरदार निभा चुके हैं और अब वे एक बेहतरीन अभिनेता के रूप में इंडस्ट्री में पहचान बना चुके हैं। फिल्म में अपने किरदार के बारे में पंकज बताते हैं कि, यह किरदार रंगीला का है, जो स्टेज परफॉर्मर है। उसका अपना ट्रूप है। ऑर्केस्ट्रा कह सकते हैं उसको, जिसमें अनारकली गाती बजाती है। ऐसे में रंगीला हर वक्त अनारकली के साथ-साथ उसकी परछाई बन कर रहता है। पंकज बताते हैं कि जब अविनाश दास ने कहानी सुनाई तो उन्हें रेफरेंस की बहुत जरूरत नहीं पड़ी थी, चूंकि वे खुद बिहार से हैं जहां की कहानी इस फिल्म में दिखाई जा रही है। सो, वह ऐसी महिलाओं की जिंदगी से अच्छी तरह से वाकिफ थे।

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लेकिन उन्होंने फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद स्क्रिप्ट में एक अहम् बदलाव करवाया। पंकज बताते हैं कि स्क्रिप्ट में रंगीला के किरदार को एक ही लेयर में रखा गया था कि निजी जिंदगी में भी वह बिलकुल चकमक वाले कपड़े ही पहनता होगा। जैसा वह परफॉर्म करते वक्त नज़र आता है। पंकज ने निर्देशक से कहा कि यह बदलो, क्योंकि कोई भी परफॉर्मर उसी रूप में निजी जिंदगी में नहीं रहता है। पंकज बताते हैं कि इसी फिल्म में नहीं उन्होंने तो 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' में भी सुल्तान के किरदार में बदलाव कराए थे। वे बताते हैं कि गैंग्स में जिस तरह से स्क्रिप्ट लिखी गई थी, उस वक्त सुल्तान का किरदार इतना खास नहीं था। लेकिन मेकिंग के दौरान उन्होंने उस किरदार को इस तरह अपने इनपुट्स से संवार दिया कि दर्शकों ने फिल्म देखने के बाद सुल्तान को याद रखा।

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पंकज बेबाकी से यह बात स्वीकारते हैं कि इस इंडस्ट्री में उनका कोई गॉड फादर नहीं रहा है। उन्होंने जो भी मुकाम हासिल किया है खुद से किया है। पंकज नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से आए लोगों के लिए फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री लेने के लिए मिलने वाले मौकों की हकीकत बया करते हुए बताया है कि अगर आपका यहां कोई नहीं है और आपके पास कोई बैकअप नहीं हैं तो यह इंडस्ट्री आपको एक ऐसा मैच खेलने का मौका देती है, जिसमें आपको सिर्फ एक ही बॉल पर छक्के लगाने होते हैं। पंकज भी कुछ इसी तरह एक-एक बॉल पर छक्के लगाते हुए आगे बढ़े हैं। पंकज बताते हैं कि उन्होंने ना जाने कितनी फिल्मों में एक या दो सीन में काम किया, उस वक्त उन्हें वैनिटी तो दूर लोग नाम से भी नहीं बुलाते थे। लगभग सात साल तक इस इंडस्ट्री ने उन्हें दुत्कारा है। लेकिन फिर भी उन्होंने खुद के दम पर एक-एक सीन में ही ऐसा काम किया और जगह बनाई कि अब उन्हें जेहन में रख कर फिल्में लिखी जाने लगी हैं।

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पंकज साफगोई से कहते हैं कि उनका संघर्ष उनका खुद का रहा है और वे सेल्फ मेड कलाकार हैं। लेकिन इसके बावजूद उनके जेहन में कभी भी मुंबई से लौटने की बात नहीं आई। वे शान से कहते हैं कि मैं बिहारी हूं और बिहारी लोग हार नहीं मानते। फिल्म 'न्यूटन' में भी वह राजकुमार राव के साथ एक अहम् किरदार में हैं। पंकज इस बारे में भी कहते हैं कि न्यूटन में उनका अहम् रोल है। लेकिन चूंकि वे अधिक पीआर करने से बचते हैं, यह बात चर्चा में नहीं आ पाई है। जबकि फिल्म को विदेशी फिल्मोत्सव में भी खास पहचान मिल गई है।

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पंकज शाहरुख़ ख़ान की फिल्म 'दिलवाले' का भी हिस्सा रहे थे। उनकी फिल्म 'नील बट्टे सन्नाटा' को भी काफी सराहना मिली थी। 'उड़ता पंजाब' में आलिया को भोजपुरी सिखाने का श्रेय भी पंकज को ही जाता है। इस साल उनकी और भी कई महत्वपूर्ण फिल्में रिलीज होने वाली हैं।