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ब्लैक मनी के 'केस' में फंस चुके हैं बॉलीवुड के ये फ़िल्ममेकर्स!

कुमार शानू ने कुछ साल पहले एक फ़िल्म उत्थान का निर्माण किया था, जिसे बारे में कहा गया कि फ़िल्म के निर्माण में पूरी तरह कैश का इस्तेमाल किया गया था।

By Manoj KumarEdited By: Updated: Wed, 09 Nov 2016 12:42 PM (IST)
मुंबई। भारत सरकार के 500 और 1000 के करेंसी नोट्स बंद करने के एलान को ब्लैक मनी पर सर्जिकल स्ट्राइक माना जा रहा है और इसका असर पूरे देश समेत फ़िल्म इंडस्ट्री पर भी पड़ता नज़र आ रहा है। बॉलीवुड फ़िल्मों में अंडरवर्ल्ड के ज़रिए ब्लैक मनी के सर्कुलेशन की बातें हमेशा से होती रही हैं, जिस पर अब काफी हद तक लगाम लगने की उम्मीद हो गई है।

बॉलीवुड में ब्लैक मनी के इस्तेमाल की बातें तो सालों से होती रही हैं, लेकिन पिछले साल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इसको लेकर एक स्टडी की थी, जिसमें ये बात सामने आई थी कि हिंदी फ़िल्मों में मनीलांडिरंग के ज़रिए ब्लैक मनी का इस्तेमाल किया जाता है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि इंडस्ट्री इस तरह के माहौल में काम कर रही है, जो रिवेन्यू के ट्रेडिश्नल सोर्सेज के लिए ख़तरा है। डिपार्टमेंट ने इसे ब्लैक मनी के हिसाब से संवेदनशील इंडस्ट्री माना था। 2011 में विकी-लीक्स के खुलासे में भी फ़िल्म इंडस्ट्री और अंडरवर्ल्ड के संबंधों का खुलासा हुआ था, जिसके मुताबिक गैंगस्टर्स और फ़िल्ममेकर्स ब्लैक को व्हाइट करने के लिए फ़िल्म इंडस्ट्री में निवेश करते हैं।

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इस रिपोर्ट को एक चैनल के स्टिंग ऑपरेशन ने सपोर्ट किया था, जिसमें अनुभव सिन्हा, वाशु भगनानी और अनीस बज़्मी जैसे फ़िल्ममेकर्स कैमरे पर ब्लैक मनी को व्हाइट करने के रास्ते बताते हुए दिखाई दिए थे। रिपोर्ट के मुताबिक फ़िल्म का निर्माण से लेकर रिलीज़ कर का प्रोसेस काफी कांप्लेक्स है। इसमें स्टूडियो, डिस्ट्रिब्यूटर्स, एक्ज़िबिटर्स और आर्टिस्ट शामिल होते हैं। ब्लैक मनी या अवैद्य रास्तों से जुटाई गई राशि के निवेश प्रोडक्शन के स्तर से ही शुरू हो जाता है। प्रोड्यूसर फ़िल्म के लिए बोगस नामों से लोन लेते हैं, जिसका बाक़ायदा हिसाब रखा जाता है।

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जानकार बताते हैं कि फ़िल्म निर्माण के लिए बैंक तब तक किसी फ़िल्म के लिए लोन देने से कतराते हैं, जब तक कि उसमें कोई बड़ा स्टार ना हो। इस सूरत में प्रोडक्शन असिस्टेंट्स और तकनीशियनों को भुगतान करने के लिए ब्लैक मनी का प्रयोग होता है। ऐसा ज़्यादातर मीडियम बजट वाली फ़िल्मों में होता है।

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जानकार बताते हैं कि कुमार शानू ने कुछ साल पहले एक फ़िल्म उत्थान का निर्माण किया था, जिसे बारे में कहा गया कि फ़िल्म के निर्माण में पूरी तरह कैश का इस्तेमाल किया गया था। मगर अब बॉलीवुड में फ़िल्ममेकिंग का ये तरीक़ा बदल सकता है। बड़े करेंसी नोटों को चलन से बाहर करने के बाद कुछ ऐसे प्रोजेक्ट्स को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें भुगतान के कैश देने का तरीक़ा अपनाया जाता है। हालांकि करण जौहर जैसे बड़े फ़िल्ममेकर्स सरकार के इस फ़ैसले का स्वागत कर रहे हैं। करण इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मास्टर स्ट्रोक बता रहे हैं।

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वहीं वेटरन फ़िल्ममेकर सुभाष घई ने प्रधानमंत्री को इसके लिए बधाई देते हुए कहा है कि आम आदमी के इंटरेस्ट को देखते हुए देश पेरेलल इकॉनमी को ख़त्म करने का ये मास्टर स्ट्रोक है।