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चित्रकार नहीं हूं, टैगाेर से ना हो मेरी तुलना: गुलजार

हाल ही में लेजेंड्री गीतकार-लेखक गुलजार ने अपना एक और पक्ष सभी के सामने रखा। उन्होंने पहली बार खुद के बनाए हुए 'चारकोल स्केचेस' प्रकाशित किए हैं। मगर इस बारे में उनका मानना है कि वे खुद को एक आर्टिस्ट के तौर पर नहीं देखते हैं।

By Tilak RajEdited By: Updated: Fri, 15 May 2015 09:19 AM (IST)
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मुंबई। हाल ही में लेजेंड्री गीतकार-लेखक गुलजार ने अपना एक और पक्ष सभी के सामने रखा। उन्होंने पहली बार खुद के बनाए हुए 'चारकोल स्केचेस' प्रकाशित किए हैं। मगर इस बारे में उनका मानना है कि वे खुद को एक आर्टिस्ट के तौर पर नहीं देखते हैं।

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एक अंग्रेजी पत्रिका में प्रकाशित इंटरव्यू में गुलजार कहते हैं, 'जब कभी भी हम कुछ लिखते हैं ये उसकी एक छाया मात्र है। मैं इसे लेकर सचेत नहीं हूं। चारकोल का फील मुझे पसंद है। यह मेरी एक हॉबी है। मैं कोई आर्टिस्ट नहीं हूं। मैं कोई चित्रकार नहीं हूं।'

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'प्लूटो' शॉर्ट पोएम का एक कलेक्शन है, जिसमें गुलजार के चारकोल स्केचेस को भी प्रकाशित किया गया है। यह पहली बार है जब गुलजार के स्केचेस दुनिया के सामने आएंगे।

इस बारे में गुलजार कहते हैं, 'यह स्केचेस मैंने बहुत पहले बनाए थे। इनमें से सैंकड़ों तो मेरी अलमारी में सुरक्षित रखे हैं। मैंने कुछ को फाड़ दिया तो कुछ को संभालकर रखा है। मुझमें इन्हें प्रकाशित करने की हिम्मत ही नहीं थी। मगर इस बार मैं ऐसा कर सका, क्योंकि मेरी किताब के संपादक को यह पसंद आए।'

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उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता कि मैं कब से स्केचेस बना रहा हूं। मेरे पास ये बहुत सारे थे जिन्हें मैं प्रकाशित कर सकता था।' इस किताब में प्लेनेट के सौंदर्य को 'पी" अक्षर से दर्शाया गया है। इसी शब्द से किताब का टाइटल भी जुड़ा हुआ है।

जब उनसे कहा गया कि रवीेंद्रनाथ टैगोर भी कविताओं को लिखने के दौरान ऐसा किया करते थे तो इस पर गुलजार ने विनम्रतापूर्वक कहा 'मेरी तुलना ऐसे जीनियस ने ना करें'।