फ्रांस में भी जागरण फिल्म फेस्टिवल के कद्रदान
बुधवार को छठे जागरण फिल्म फेस्टिवल का शानदार शुभारंभ सिरी फोर्ट सभागार में हो गया। वहां हर उम्र और तबके के लोग फिल्म देखने पहुंचे। दर्शकों की जुटी भीड़ में एक खेप विदेशी सिने प्रेमियों की भी रही। उन्होंने हिंदी फिल्मों के प्रति अपना प्यार व सम्मान जाहिर किया।
By Pratibha Kumari Edited By: Updated: Wed, 01 Jul 2015 05:53 PM (IST)
नई दिल्ली, अमित कर्ण। बुधवार को छठे जागरण फिल्म फेस्टिवल का शानदार शुभारंभ सिरी फोर्ट सभागार में हो गया। वहां हर उम्र और तबके के लोग फिल्म देखने पहुंचे। दर्शकों की जुटी भीड़ में एक खेप विदेशी सिने प्रेमियों की भी रही। उन्होंने हिंदी फिल्मों के प्रति अपना प्यार व सम्मान जाहिर किया।
'स्लमडॉग मिलियनेयर' के एक्टर मधुर का हुआ कार एक्सीडेंट उन्होंने जागरण फिल्म फेस्टिवल का शुक्रिया अदा किया। खासकर बॉम्बे वेल्वेट, मसान, मार्गरीटा विद ए स्ट्रॉ, पीकू, मेरा नाम जोकर, दोस्ती, हैदर, कासाबलांका, सारांश देखने का सुनहरा मौका मिलने की खुशी उन्हें बहुत थी। दर्शकों में सबसे ज्यादा जिज्ञासा मसान को लेकर थी। फ्रांस से आए पत्रकार एसतानिलास डेंबिंसकी ने अपना अनुभव जाहिर किया। उन्होंने कहा, 'जागरण फिल्म फेस्टिवल अपने आप में एक निराली अवधारणा है। दिल्ली व देश-दुनिया में इस लार्ज स्केल के फिल्म फेस्टिवल कम होते हैं। फ्रांस में इसकी भरपूर चर्चा है कि कैसे कम समय में ही इसने अपनी मजबूत पैठ बनाई है। ऐसे में मैं इसका इंतजार बेसब्री से कर रहा था।'
जगिया का किरदार निभाने वाले शशांक जल्द छोड़ देंगे 'बालिका वधू' उन्होंने आगे बताया, 'मैंने बुधवार को सत्येन बोस की दोस्ती देखी। आगे जीवन मृत्यु, बॉम्बे वेल्वेट, बदलापुर देखनी है। मुझे पुरानी गैर-हिंदी भाषी फिल्में भी देखनी है। मैं व्यक्तिगत तौर पर अनुराग कश्यप का फैन हूं। उनकी फिल्में मुझे फिल्मकार कोपोला की याद दिलाती है, जो गॉडफादर जैसी कालजयी फिल्में दे चुके हैं।'
एसतानिलास रॉयटर्स जैसी बड़ी समाचार एजेंसी में काम कर चुके हैं। फिलवक्त वे कैनल प्लस प्रॉडक्शन हाउस से जुड़े हुए हैं, जो कान फिल्म फेस्टिवल पर डॉक्युमेंट्री भी बना चुका है। वे जागरण फिल्म फेस्टिवल पर भी डॉक्युमेंट्री बनाने को ख्वाहिशमंद हैं।सनी लियोन ने राखी सावंत और सेलिना जेटली पर निकाली भड़ास वे उसकी वजह जाहिर करते हैं, 'इसकी रीच बहुत बड़ी है। संभवत : भौगोलिक तौर पर तो वह मुझे दुनिया का सबसे बड़ा घुमंतू फिल्म फेस्टिवल लग रहा है। मैं बड़ा उत्सुक हूं कि हार्टलैंड में लोग फेस्टिवल को किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं।' उन्होंने कहा, 'ऐसे फेस्टिवल इस बात की ताकीद करते हैं कि भारत में भी फिल्में अब महज मनोरंजन का साधन मात्र नहीं रही। कला और तथ्यपरक होने में इसका इस्तेमाल लोग बड़ी सावधानी से कर रहे हैं। सामाजिक समस्याओं का हल ढूंढने में ऐसी सोच व अप्रोच से काफी आसानी होगी।'