ग़म और ख़ुशी के 15 साल, जानिए ये 15 दिलचस्प बातें
शाहरुख़ खान ने फिल्मों में कदम रखने के ठीक नौ साल बाद उनके बेटे आर्यन खान ने इसी फिल्म के साथ बॉलीवुड में इंट्री ली थी। जया बच्चन की गोद में बैठा ये बच्चा वही है।
By Manoj KhadilkarEdited By: Updated: Wed, 14 Dec 2016 02:00 PM (IST)
मुंबई। रिश्तों और परिवार का महत्व हिंदी सिनेमा में धीरे धीरे कम होता जा रहा है और ऐसे में आज एक ऐसी फिल्म ने अपने 15 साल पूरे कर लिए हैं जिसने मॉर्डर्न ज़माने की एक एक तस्वीर पेश की थी जिसे लोग भुला नहीं सकते।
हम बात कर रहे हैं - 'कभी ख़ुशी कभी ग़म ' की। k3G , हिंदी फिल्मों के टाइटल को क्विकली निपटाने की परंपरा का झंडा उठाने वाली करण जौहर की इस फिल्म ' कभी ख़ुशी कभी ग़म ' अपने नाम की तरह ही प्यार , परिवार और रिश्तों के टकराव की मसाला पेशकश थी। ज़ाहिर है जौहर ने बनाई इसलिए उस दौर के दिग्गज़ भी परदे पर थे। अमिताभ , जया , शाहरुख़ , रितिक , काजोल और करीना। करीब 40 करोड़ की लागत में बनी इस फिल्म ने 135 करोड़ की कमाई कर बता दिया कि फैमिली ड्रामा की भी वैल्यू होती है। आर्यन की पहली फिल्म- शाहरुख़ खान ने फिल्मों में कदम रखने के ठीक नौ साल बाद उनके बेटे आर्यन खान ने इसी फिल्म के साथ बॉलीवुड में इंट्री ली थी। जया बच्चन की गोद में बैठा ये बच्चा वही है।
पिच्चर थी लंबी तो घट गए शो-
करण जौहर की कभी ख़ुशी कभी ग़म 210 मिनिट लंबी थी और इस कारण तब सिनेमाघरों में प्रतिदिन के शो की संख्या को चार से घटा कर तीन करना पड़ा था। इस कारण टिकट का दाम बढ़ा।'पद्मावती ' नहीं फिर भी भंसाली की फिल्म में है ऐश्वर्या बच्चन ! जन गण मन को लेकर विवाद- फिल्म में जन गण मन को रखे जाने को लेकर विवाद हो गया था। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इसको लेकर आवाज़ भी उठाई थी और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दाखिल की गई थी लेकिन अदालत ने उसे नहीं माना। फिल्म ने तोड़े रिकार्ड- इस फिल्म ने पहले दिन सात करोड़ रूपये की ओपनिंग के साथ एक नया रिकॉर्ड बनाया था और वीकेंड में फिल्म को 14 करोड़ की कमाई हो गई। जूनियर बच्चन भी थे- k3G में अमिताभ और जया बच्चन तो लीड रोल में थे लेकिन अभिषेक बच्चन ने भी कुछ मिनिट का रोल निभाया था। लेकिन बाद में उन्होंने करण से कह कर अपना सीन हटवा दिया। वैसे यू -टयूब पर इस सीन की झलक मिल जाती है। ऐश को भी होना था- बताया जाता है कि बच्चन परिवार का एक और सदस्य यानि ऐश्वर्या बच्चन को भी पहले इस फिल्म में एक रोल के लिए कंसीडर किया गया था लेकिन बात नहीं बनी। बच्चन की माँ नहीं बन पाई वहीदा- इस फिल्म में वहीदा रहमान को अमिताभ बच्चन की माँ का रोल निभाना था। उन्होंने कुछ सीन भी शूट कर लिए थे लेकिन अचानक ही उनके पति का निधन हो गया जिसकी वजह से उन्हें फिल्म छोड़नी पड़ी और बाद में उनकी जगह अचला सचदेव ने ली।अगर किसी ने दीपिका पादुकोण की इस हालत में फोटो खींची तो... करण हुए थे बेहोश- फिल्म की शूटिंग ' बोले चूड़ियां ' गाने से शुरू हुई थी. अमिताभ , शाहरुख़ , काजोल , करीना सहित कई सारे कलाकारों को एक साथ काम करवाने के चक्कर में करण इतने परेशान हो गए की एक दिन बेहोश को कर सेट पर गिर पड़े। बाद में उन्होंने गाने को बेड पर लेटे-लेटे डायरेक्ट किया। गदर को छोड़ा पीछे- कभी ख़ुशी कभी ग़म साल 2001 की सबसे बड़ी ग्रॉसर रही। फिल्म ने 135 करोड़ रूपये का कारोबार किया और सनी देओल की गदर- एक प्रेम कथा को पीछे छोड़ दिया। बाद में करण की ही फिल्म कभी अलविदा ना कहना ने ओवरसीज में इस फिल्म को मात दे दी। जॉन में भी छोड़ी थी फिल्म- करण जौहर के साथ काल और दोस्ताना जैसी फिल्मों में काम करने वाले जॉन अब्राहम को इस फिल्म में रॉबी का रोल ऑफर हुआ था लेकिन तब उन्होंने साफ़ मना कर दिया।कृति सेनोन की ये तस्वीर जरूर देखिए , पता चल जाएगा कहां जा रहे हैं 2000 के नोट सात से नौ का गाना- शाहरुख़ खान और काजोल पर फिल्माया गया गाना 'सूरज हुआ मध्यम' को इजिप्ट के काइरो शहर स्थित गीज़ा के पिरामिड के पास शूट किया गया लेकिन वहां रौशनी को लेकर काफी दिक्कत होती थी इसलिए सुबह सिर्फ सात से नौ बजे तक ही शूट किया जा सकता था। इस काऱण कई दिन लगे। सिर्फ रफ कट देखकर रितिक हुए साइन- करण जौहर जब रोहन रायचंद के किरदार के लिए एक हीरो की तलाश कर रहे थे तब उन्होंने राकेश रोशन के यहाँ जा कर फिल्म ' कहो ना प्यार है ' के कुछ रफ कट देखे थे। इसके तुरंत बाद उन्होंने रितिक को साइन कर लिया।संयुक्त राष्ट्र में प्रियंका ने लहराया तिरंगा , बनी गुडविल एम्बेसेडर थोक के भाव मिले अवॉर्ड्स - इस फिल्म को फिल्मफेयर में 15 नॉमिनेशन मिले थे और उसमे से पांच जीत लिए। इसके अलावा आईफा , ज़ी अवार्ड्स और स्क्रीन अवॉर्ड्स में भी अवॉर्ड्स की बारिश हुई। पहली बार बनी फिल्म की किताब- कभी ख़ुशी कभी गम बॉलीवुड की वो पहली फिल्म थी जिसे एक किताब में कन्वर्ट किया गया था। इसके एक कॉफी टेबल बुक बनाई गई थी और इसी के बाद शुरू हो गया था फिल्मों की बुक मेकिंग का।