करण दर्रा निर्देशित ‘खामोशियां’ विशेष फिल्म्स के बैनर तले बनी महेश भट्ट और मुकेश भट्ट की प्रस्तुति है। भट्ट बंधुओं ने स्टारविहीन फिल्मों का सफल फॉर्मूला विकसित कर लिया है। उनकी फिल्मों में अपेक्षाकृत नए या कम पॉपुलर स्टार रहते हैं। फिल्म के गीत-संगीत पर पूरा ध्यान दिया जाता है।
By Monika SharmaEdited By: Updated: Fri, 02 Jan 2015 12:02 PM (IST)
मुंबई, अजय ब्रह्मात्मज। करण दर्रा निर्देशित ‘खामोशियां’ विशेष फिल्म्स के बैनर तले बनी महेश भट्ट और मुकेश भट्ट की प्रस्तुति है। भट्ट बंधुओं ने स्टारविहीन फिल्मों का सफल फॉर्मूला विकसित कर लिया है। उनकी फिल्मों में अपेक्षाकृत नए या कम पॉपुलर स्टार रहते हैं। फिल्म के गीत-संगीत पर पूरा ध्यान दिया जाता है। उनकी फिल्मों का कोई न कोई गीत रिलीज के पहले ही चार्टबस्टर हो जाता है। फिल्म का सब्जेक्ट बोल्ड और इरोटिक रहता है। उनकी ताजा फिल्म ‘खामोशियां’ में इन मसालों का इस्तेमाल हुआ है। महेश भट्ट अपनी फिल्मों को लेकर कभी बचाव की मुद्रा में नहीं रहते। वे स्पष्ट कहते हैं कि दर्शक ऐसी फिल्में पसंद करता है। ट्रेड के लिए भी ऐसी फिल्मों में रिस्क कम रहता है। ज्यादातर फिल्में सफल हो जाती हैं।
महेश भट्ट को मारने के लिए ली थी 11 लाख की सुपारी ‘खामोशियां’ के प्रति महेश भट्ट आश्वस्त हैं। फिल्म के बारे में वे कहते हैं, ‘नई फिल्म ‘खामोशियां’ में हम ‘राज’ का ड्रामा रिवाइव करने जा रहे हैं। यह त्रिकोणीय प्रेमकहानी है। इसमें ‘जिस्म’ की बिपाशा बसु जैसी हीरोइन है, जो दो मर्दों के साथ खेलती है। चुडै़ल जैसा मिजाज है उसका। इस रोल में हम ने सपना पब्बी को चुना है। उसने अपने परफॉर्मेंस से हमें मुग्ध कर दिया है। अली फजल असफल लेखक हैं। वह इस लडकी के संपर्क में आता है। कहानी की तलाश में वह उससे जुड़ता है। वह उसके जानलेवा अंदाज पर फिदा हो जाता है? किस्सों-कहानियों में ऐसी लडकियां मिलती हैं, जो हूर होती हैं। किसी को भी लुभा सकती हैं। हम ने इसे इरोटिक सुपर नैचुरल ड्रामा की तरह बनाया है। इस त्रिकोणीय प्रेमकहानी का तीसरा कोण गुरमीत चौधरी है। वह मुझे सुपरस्टार मैटेरियल लग रहा है। अली फजल के परफॉर्मेंस से लगता है कि वह बतौर एक्टर लंबा चलेगा।’
फर्जी मैट्रीमोनियल प्रोफाइल देखकर दंग रह गए ये अभिनेता! महेश भट्ट आगे कहते हैं, ‘हमलोग अपनी फिल्मों में संगीत पर बहुत ध्यान देते हैं। इस फिल्म का टायटल गीत हिट हो चुका है। इस फिल्म के जरिए हम लंबे समय के बाद लव स्टोरी में लौटे हैं। राज के सिक्वल में प्रेम कहानियां नहीं थीं। इस फिल्म की खूबसूरत हीरोइन के कुछ डार्क लक्षण हैं। इस फिल्म के प्रति गर्मी बढ़ गई है। यह फिल्म हंगामा मचाएगी।’ हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में माना जाता है कि जनवरी महीने में रिलीज की गई फिल्में नहीं चलती हैं। महेश भट्ट ऐसे अंधविश्वास में यकीन नहीं करते। वे ज़ोर देकर कहते हैं, ‘हम ने पहले भी अपनी फिल्मों से यह मान्यता तोड़ी है और इस बार भी तोड़ेंगे। आप को बता रहा हूं कि वीकेंड में ही यह फिल्म फायदे में चली जाएगी।’
वीकेंड के बाद फिसल जाती हैं फिल्में