National Awards को लेकर चल रही बहस पर जानिए मनोज बाजपेई ने क्या कहा
नेशनल अवॉर्ड्स का एलान हुआ और एलान के साथ ही सवाल उठाए जाने लगे और 2016 में आईं वो तमाम परफॉर्मेंस याद की जाने लगीं, जिन्हें नेशनल अवॉर्ड का प्रबल दावेदार माना जा रहा था।
By मनोज वशिष्ठEdited By: Updated: Sun, 09 Apr 2017 06:52 PM (IST)
मुंबई। 64वें नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड्स के एलान के बाद जो बहस शुरू हुई, उसमें अब मनोज बाजपेई की प्रतिक्रिया सामने आई है। मनोज ने कहा कि वो किसी भी अवॉर्ड्स को कोई तवज्जो नहीं देते।
शुक्रवार को नेशनल अवॉर्ड्स का एलान हुआ और एलान के साथ ही सवाल उठाए जाने लगे और 2016 में आईं वो तमाम परफॉर्मेंस याद की जाने लगीं, जिन्हें नेशनल अवॉर्ड का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, मगर वंचित रह गईं। मनोज बाजपेई ऐसे ही कलाकारों में एक हैं, जिनकी फ़िल्म अलीगढ़ को क्रिटिक्स ने काफी सराहा था। इस फ़िल्म में मनोज ने प्रोफेसर श्रीनिवास रामचंद्र सीरस का किरदार निभाया था, जिन्हें उनके सेक्सुअल ओरिएंटेशन की वजह से यूनिवर्सिटी की नौकरी से निकाल दिया जाता है। इस फ़िल्म में मनोज ने अपने किरदार के जज़्बात को जिस ढंग से पर्दे पर पेश किया, वो वास्तविकता के बेहद नज़दीक़ था। लोगों ने इसे अवॉर्ड विनिंग परफॉर्मेंस माना था।ये भी पढ़ें: अक्षय कुमार को मिले नेशनल अवॉर्ड के सपोर्ट में बोले प्रियदर्शन
एक एंटरटेनमेंट डेली में छपे इंटरव्यू में मनोज ने कहा कि उन्होंने अपने काम को कभी किसी अवॉर्ड पर फोकस नहीं किया। वो जो कर रहे हैं, उससे ख़ुश हैं और कभी अवॉर्ड के लिए काम नहीं किया। अलीगढ़ को नेशनल अवॉर्ड्स में कोई तवज्जो ना मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा- ''मुझे नहीं पता क्या कहना चाहिए। किसी भी अवॉर्ड के नतीजों पर कमेंट करने से आप हारे हुए लगते हैं। मैं किसी अवॉर्ड को अहमियत नहीं देता। ऐसा करके मैं ख़ुद को ख़ुश रखता हूं।'' ये भी पढ़ें: ये है नेशनल अवॉर्ड जीतने पर अक्षय, अजय, सोनम और तापसी का रिएक्शन
बताते चलें कि मनोज को सत्या के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर केटेगरी में नेशनल अवॉर्ड मिल चुका है, वहीं पिंजर के लिए उन्हें स्पेशल ज्यूरी अवॉर्ड दिया गया था। इस बार अक्षय कुमार को रुस्तम के लिए बेस्ट एक्टर चुना गया है। ये भी पढ़ें: अलीगढ़ को नेशनल अवॉर्ड ना मिलने से निराश हंसल मेहता ने कहा