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अंधविश्वास के खिलाफ है पीके: आमिर खान

दर्शकों से 'पीके को मिल रही प्रतिक्रया से आमिर खान खुशी से लबरेज हैं। उनके अभिनय ने सभी को मदहोश कर दिया है। अनुमान लगाया जा रहा है

By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 22 Dec 2014 09:50 PM (IST)
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दर्शकों से 'पीके को मिल रही प्रतिक्रया से आमिर खान खुशी से लबरेज हैं। उनके अभिनय ने सभी को मदहोश कर दिया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले साल फिल्म ढेरों अवार्ड जीत ले जाएगी लेकिन आमिर अवार्ड की परवाह नहीं करते। उनके लिए दर्शकों से मिला प्यार ही उनका सबसे बड़ा अवार्ड है। 'पीके के अनुभवों को उन्होंने जागरण के साथ साझा किया:

फिल्म की स्क्रिप्ट सुनने के बाद दर्शकों तक कैसा संदेश जाने की परिकल्पना की थी?

पीके मानवता की संदेश देती है। हम सब एक हैं। चाहे हिंदू हो मुसलमान, सिख या ईसाई। दूसरा, अंधविश्वास के खिलाफ जागरुक करती हैं। हाल में मजहबी आड़ में पेशावर में आर्मी स्कूल में बच्चों पर हमला हुआ। यह गैर धार्मिक चीजें हैं। कोई भी धर्म मानवता के खिलाफ काम करने का संदेश नहीं देता।

धार्मिक अंधविश्वास के खिलाफ एलियन की जरूरत क्यों पड़ी?

राजकुमार हिरानी को जो कहना था बड़ी सफाई से कहा। पहली दफा दूसरे ग्रह के प्राणी के नजरिए से दिखाना इसका लक्ष्य था। हालांकि शुरुआत में हिरानी ने इस कहानी को जंगल में पैदा हुए शख्स को केंद्र में रखकर लिखा था। वह 25 साल बाद इंसानों के बीच आने पर यहां के दांवपेंच को समझ नहीं पाता। बाद में कांसेप्ट को बदलकर एलियन कर दिया गया। दरअसल, इंसान दोहरा चरित्र रखता है। अंदर से कुछ बाहर से कुछ। यह एलियन दिमाग को पढ़ता है। भाषा को ट्रांसफर करता था। जालसाज नहीं है।

फिल्म को मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही है, सोशल मीडिया पर बायकॉट पीके कैंपेन भी चल रहा है?

बायकॉट तो आमिर फॉर 'सत्यमेव जयते' का भी हुआ। अगर किसी एक ने ऐसा ट्वीट किया तो हम प्रतिक्रिया नहीं देंगे। अगर लोगों को फिल्म पसंद नहीं आती तो देखते क्यों? शनिवार को फिल्म ने 30 करोड़ और रविवार को 37.91 करोड़ कारोबार किया। सत्यमेव में हर एपिसोड में हमारा विरोध होता था। दरअसल, जिन्हें फायदा होता है वे नहीं चाहते कि चीजें बदलें। मैं नकारात्मक चीजों पर रिएक्ट नहीं करता। मुझे गर्व है कि मैं सोशल मुद्दे उठाता हूं। जो गलत काम करते हैं उन्हें तकलीफ होती है।

'ओ माई गाड' से इसकी तुलना कितना सही मानते हैं?

मैंने 'ओ माई गाड' नहीं देखी है। इसकी कहानी किसी ने मुझे बताई थी। पर हमारा सब्जेट अलग है। वैसे भी एक थीम पर सैकड़ों फिल्म बनती हैं। समानता हो सकती हैं। हम भी अंधविश्वास की बात कर रहे हैं। बड़ा फर्क यह है कि हमारा नायक दूसरे ग्राहक है। वह अपने नजरिए से हर चीज को समझने की हरसंभव कोशिश कर रहा है। उसे झूठ की समझ नहीं। वह अपने खोए रिमोट को तलाशने में जुटा है। वैसे भी मैं जो भी काम करूं उसकी तुलना होगी। मुझे तुलना होने से कोई तकलीफ नहीं होती।

संजय दत्त को फिल्म दिखाने का जेल में कोई प्रबंध किया?

नहीं। हमने सुना है संजू ने पैरोल के लिए आवेदन किया है। बाहर आने पर वह फिल्म देखेंगे। फिलहाल फिल्म के संबंध में उनसे बात नहीं हो पाई है।

स्क्रिप्ट में आपका क्या इनपुट था?

मेरे दो इनपुट थे। पहला, भोजपुरी भाषा का दूसरा, पान खाने वाले। राजू (राजकुमार हिरानी) ने पूछा कि पान का चस्का कहां से लगेगा? तो मैंने कहा जब वह वेश्या के पास जाएगा तो वह उसे पान खिलाएगी। तबसे उसे पान का चस्का लगेगा।

गांधी जी का इस्तेमाल फिर हुआ फिल्म में?

हिरानी गांधी जी के बहुत बड़े फालोअर हैं। दरअसल, गांधी जी के लिए हमारे दिलों में इज्जत होनी चाहिए वो रही नहीं। यह इसका एक उदाहरण है।

आपके धार्मिक गुरु कौन हैं?

कोई नहीं। मुझ पर सबसे ज्यादा प्रभाव मेरी अम्मी का है। मैं बचपन से उनसे बहुत प्रेरित रहा हूं। मैं ईश्वर में आस्था रखता हूं। पत्नी हिंदू हैं। हम सारे धर्म को फॉलो करते हैं। हर धर्म अच्छी चीजें सिखाता है। समस्या तब शुरू होती है जब धर्म की आड़ में उसका बेजा इस्तेमाल शुरू होता है।

किरण ने फिल्म देखी?

हां, किरण और मेरी अम्मी को फिल्म बहुत पसंद आई। उन्हें यह मेरी सर्वश्रेष्ठ फिल्म लगी। जहां तक मेरी बात है यह मेरी लिए अब तक सबसे चुनौतिपूर्ण भूमिका थी। आम तौर पर मैं अपने काम से संतुष्ट नहीं रहता। पर इस बार थोड़ा कम असंतुष्ट हूं।

धर्मांतरण पर आपकी राय?

मेरा मानना है कि हर इंसान को फ्रीडम होनी चाहिए। हमारे संविधान में ये निहित भी है। मेरे हिसाब से हर इंसान को अपने इच्छा के अनुरूप धर्म को चुनने और उसके पालन करने की आजादी होनी चाहिए। अच्छा हुआ अवार्ड नहीं लेते। वरना अगले साल किसी को चांस नहीं मिलता। मुझे अवार्ड हर साल मेरे दर्शकों से मिलता है। वही मेरे लिए अहम है। अपनी फिल्मों के लिए राष्ट्रीय अवार्ड का वेदन करना भी बंद कर दिया है।