National Awards पर क्यों बंट जाती है इंडस्ट्री, प्रियंका चोपड़ा ने उठाया सवाल
प्रियंका कहती हैं कि ये कंपनी बनाने का उनका मक़सद यही है, ताकि जिन लोगों को मौक़ा नहीं मिला, उन्हें वो मौक़े दे सकें।
By मनोज वशिष्ठEdited By: Updated: Tue, 11 Apr 2017 02:59 PM (IST)
मुंबई। राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों का जब भी एलान किया जाता है, इसको लेकर देश की फ़िल्म इंडस्ट्री बंट जाती हैं और एक-दूसरे से कंपेरीज़न शुरू हो जाते हैं। प्रियंका चोपड़ा इस परंपरा को सही नहीं मानतीं। प्रियंका के मुताबिक़, क्षेत्रीय भाषाओं और हिंदी सिनेमा के बीच ये बंटवारा बिल्कुल ज़रूरी नहीं है।
प्रियंका की होम प्रोडक्शन मराठी फ़िल्म 'वेंटीलेटर' ने 64वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों में तीन अवॉर्ड्स अपने नाम किए हैं। प्रियंका ने इस बारे में आईएएनएस के बात करे हुए कहा, "मैं नकारात्मक शख़्स नहीं हूं। क्षेत्रीय सिनेमा को उनका क्रेडिट मिल रहा है क्योंकि वहां अच्छी कहानी कहने वाले फ़िल्ममेकर हैं। उन्हें मौक़ा मिल रहा है, और प्रोड्यूसर्स उन्हें सहारा दे रहे हैं तो वो अच्छा कर रहे हैं। तुलना करना सही नहीं है, आख़िर हम सभी भारतीय हैं और ये सभी भारतीय फ़िल्में हैं।''ये भी पढ़ें: पाकिस्तानी लड़की पर क्यों भड़क उठे ऋषि कपूर, ट्विटर पर फिर छिड़ी जंग
प्रियंका ने अपने बैनर तले भोजपुरी फ़िल्म 'बम बम बोल रहा है काशी', पंजाबी फ़िल्म 'सरवन' और मराठी फ़िल्म 'वेंटीलेटर' प्रोड्यूस की हैं। इनके अलावा सिक्किमी फ़िल्म 'पाहुना', मराठी फ़िल्म 'काय रे रास्कला', कोंकणी फ़िल्म 'लिटिल जो कहां हो' और दो बंगाली फ़िल्में पाइपलाइन में हैं।ये भी पढ़ें: ब्रूस ली का बाप है टाइगर, फाइट हुई तो नहीं टिक पाएंगे विद्युत, आरजीवी का नया धमाका
एक हिंदी फ़िल्म भी प्रियंका की कंपनी प्रोड्यूस कर रही है। प्रियंका कहती हैं कि ये कंपनी बनाने का उनका मक़सद यही है, ताकि जिन लोगों को मौक़ा नहीं मिला, उन्हें वो मौक़े दे सकें और वो ये कंटेंट और योग्यता के आधार पर कर रही हैं। बताते चलें कि 2008 की फ़िल्म 'फ़ैशन' के लिए प्रियंका ख़ुद बेस्ट एक्ट्रेस का राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी हैं।