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कैसी होती है IAS अफ़सर की ज़िंदगी, जानने के लिए देखिए 'शादी में ज़रूर आना'

राजकुमार राव फ़िल्म में सत्येंद्र यानि सत्तू नाम का किरदार निभा रहे हैं, जबकि कृति खरबंदा के किरदार का नाम आरती है, जो एक पीसीएस अफ़सर है।

By Manoj VashisthEdited By: Updated: Sat, 11 Nov 2017 07:25 AM (IST)
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कैसी होती है IAS अफ़सर की ज़िंदगी, जानने के लिए देखिए 'शादी में ज़रूर आना'
मुंबई। 'बरेली की बर्फ़ी' में कपड़े की दुकान के सेल्समैन और 'न्यूटन' में सरकारी क्लर्क का किरदार निभाने वाले राजकुमार राव का इस बार ज़बर्दस्त प्रमोशन हुआ है। 'शादी में ज़रूर आना' में राजकुमार आईएएस अफ़सर बन गये हैं, जिसका फ़िल्म की कहानी से ज़बर्दस्त कनेक्शन है।

हिंदी सिनेमा में लीड रोल में ऐसे प्रोफेशन को चुने जाने का चलन बहुत कम है। छोटे-छोटे शहरों या क़स्बों में भले ही आईएएस बनना हर नौजवान का सपना रहता हो, मगर पर्दे पर इस पेश की धमक कम ही रही है। आईपीएस अफ़सर बनने वाले एक्टर्स की कमी नहीं है, मगर सिविल सर्विसेज को चुनने वाले लोग कम हैं। पेशे की संजीदगी के चलते किरदार के बोर होने का ज़ोख़िम संभवत: कहानीकारों को ऐसे किरदार गढ़ने से दूर रखता है। मगर, शादी में ज़रूर आना जैसी कमर्शियल फ़िल्म में मुख्य किरदारों को सिविल सर्वेंट दिखाने का रिस्क उठाया गया है, क्योंकि कहानी का शादी से कम इस पेशे से ज़्यादा वास्ता रहता है। 

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राजकुमार राव फ़िल्म में सत्येंद्र यानि सत्तू नाम का किरदार निभा रहे हैं, जबकि कृति खरबंदा के किरदार का नाम आरती है, जो एक पीसीएस अफ़सर है। जागरण डॉट कॉम से इस बारे में बात करते हुए राजकुमार राव ने माना कि हिंदी फ़िल्मों में आईएएस जैसे संजीदा प्रोफेशंस का बहुत कम इस्तेमाल किया गया है। अपनी फ़िल्म में उन्होंने इस किरदार को यथासंभव वास्तविकता के साथ निभाया है।

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राव कहते हैं, ''किसी भी ज़िले को चलाने में उनका (सिविल सर्वेंट्स) बहुत बड़ा हाथ है। डेमोक्रेसी के लिए ज़रूरी होता है। हमने कोशिश की है रियलिस्टक तरीक़ से दिखाने की। कोशिश की है फ़िल्मीपना उसमें कतई ना रखें। फ़िल्म में एक आईएएस की ज़िंदगी है। उसकी पर्सनल लाइफ़ है। रिलेशनशिप है। ड्यूटीज़ हैं। दोनों अपनी हर चीज़ को अच्छे से निभाने की कोशिश कर रहे हैं।''

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फ़िल्म में छोटे शहरों की आईएएस बनने का सपना देखने की मानसिकता को भी एक्सप्लोर किया गया है। इस बारे में राजकुमार कहते हैं, ''जो किरदार हैं उनके साथ बहुत सारी चीज़ें होती हैं। एक तो छोटे शहरों में सबका सपना होता है, एक बार पीसीएस में आईएएस में बैठना ही है। एप्लाई करना है। उसी मानसिकता से आते हैं। 5 साल बाद मिलते हैं तो समझ आता है कि सत्तू और आरती क्या हैं।'' शादी में ज़रूर आना 10 नवंबर को रिलीज़ हो रही है। फ़िल्म को रत्ना सिन्हा ने डायरेक्ट किया है।