यकीन नहीं होता, एक ब्रिज के नीचे खड़े होकर रणदीप बन गए हीरो!
ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई करने के दौरान रणदीप हुडा रोज एक ब्रिज के नीचे जाकर खड़े हो जाते और ईश्वर से दुआ मांगते कि उन्हें हीरो बना दें।
नई (जेएनएन)। रणदीप हुडा इन दिनों अपनी हालिया रिलीज फिल्म 'दो लफ्जों की कहानी' के प्रमोशन में जुटे हुए हैं। हाल ही में फिल्म को प्रमोट करने रणदीप शो 'कॉमेडी नाइट्स लाइव' में पहुंचे। यहां उन्होंने बताया कि वह ऑस्ट्रेलिया में कैसे एक ब्रिज के नीचे खड़े होने से एक्टर बन गए।
शो के दौरान रणदीप ने बताया कि वह स्कूल के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए ऑस्ट्रेलिया चले गए थे। पढ़ाई-लिखाई में उनका मन शुरुआत से ही नहीं लगता था, इसलिए पहली साल वह फेल हो गए। इसके बाद उन्होंने एक्टिंग कोर्स में एडमिशन ले लिया। दरअसल, एक्टर बनने का ख्वाब रणदीप बचपन से ही देखा करते थे। स्कूल के दिनों में उन्होंने कई नाटक किए हैं।
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ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई करने के दौरान रणदीप रोज एक ब्रिज (जिसपर ट्रेन चलती है) के नीचे जाकर खड़े हो जाते और ईश्वर से दुआ मांगते कि उन्हें हीरो बना दें। दरसअल, इस जगह की मान्यता है कि अगर ब्रिज से ट्रेन गुजरते समय यहां खड़े होकर दुआ मांगी जाए, तो वो पूरी हो जाती है। रणदीप ने बताया, 'ऑस्ट्रेलिया के इस ब्रिज के नीचे जाकर मैं दिन में कई बार खड़ा होकर एक्टर बनने की दुआ मांगा करता था। मुझे लगता है कि ईश्वर ने मेरी दुआ सुन ली और आज मैं एक्टर बन गया हूं। शायद ये उस ब्रिज के नीचे मांगी गई दुआ का नतीजा है।'
फिल्म 'दो लफ्जों की कहानी' एक लव स्टोरी बेस्ड फिल्म है। रणदीप के अपोजिट फिल्म में काजल अग्रवाल नजर आ रही हैं। काजल इसमें एक ब्लाइंड गर्ल और रणदीप ने एक फाइटर का किरदार निभाया है। फिल्म को क्रिटिक्स ने 'बासी' बताया है। शायद यही वजह रही कि फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर भी कुछ खास रिस्पॉन्स नहीं मिल पाया है। फिल्म ने पहले दिन सिर्फ 1.3 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया है। रणदीप की एक्टिंग के अलावा फिल्म में कुछ भी देखने लायक नहीं है।