पुरानी क्लासिक फ़िल्मों के इन रीमेक्स को देखकर ख्याल आता होगा, बने ही क्यों?
फ़िल्ममेकर्स भी इन क्लासिक फ़िल्मों को जब-तब नए अंदाज़ में पेश करते रहते हैं। हालांकि ये कोशिश कई बार कामयाब नहीं होती और रीमेक्स वो प्रभाव नहीं छोड़ पाते।
By मनोज वशिष्ठEdited By: Updated: Wed, 31 May 2017 06:27 PM (IST)
मुंबई। हिंदी सिनेमा में ऐसी कई फ़िल्में बनी हैं, जिन पर वक़्त के सफ़र की धूल नहीं चढ़ी है और वो आज भी ताज़गी से भरी हुई हैं। इन फ़िल्मों को आए हुए दशक बीत चुके हैं, मगर ये आज दर्शकों के दिलो-ज़ेहन में बसी हैं। इसीलिए, फ़िल्ममेकर्स भी इन क्लासिक फ़िल्मों को जब-तब नए अंदाज़ में पेश करते रहते हैं। हालांकि ये कोशिश कई बार कामयाब नहीं होती और रीमेक्स वो प्रभाव नहीं छोड़ पाते, जिसके लिए ओरिजनल फ़िल्में जानी जाती हैं। ऐसी ही कुछ फ़िल्में, जिनके रीमेक्स को देखकर आपके जे़ेहन में ये सवाल आया होगा कि ये बने ही क्यों?
आग: 1975 की फ़िल्म शोले के बिना हिंदी सिनेमा का इतिहास अधूरा रहेगा। इतिहास दोहराने की हसरत दिल में लेकर राम गोपाल वर्मा ने 2007 में शोले का रीमेक आग बनाई। फ़िल्म में अजय देवगन, प्रशांत राज और अमिताभ बच्चन ने जय-वीरू और गब्बर सिंह वाले रोल निभाए। मगर फ़िल्म बुरी तरह फ्लॉप रही। रामू इस फ़िल्म के साथ शोले की कामयाबी का इतिहास तो ना दोहरा सके, मगर सुपर फ्लॉप रीमेक बनाने के लिए ख़ुद इतिहास में ज़रूर दर्ज़ हो गए।यह भी पढ़ें: किसी ने छोड़ा हाथ तो किसी ने छीना कैमरा, बॉलीवुड के एंग्री मैन
उमराव जान: 1981 में आई मुज़फ़्फ़र अली की उमराव जान हिंदी सिनेमा की जान है। रेखा की अदाकारी और खय्याम के संगीत से सजी इस फ़िल्म को टाइमलेस फ़िल्म माना जाता है। 2006 में इसका रीमेक लेकर आए जेपी दत्ता। रेखा की जगह ख़ूबसूरत ऐश्वर्या राय ने ले ली और फ़ारूक़ शेख की जगह आ गए अभिषेक बच्चन, मगर दूसरी उमराव जान हर तरह से बेजान रही।
यह भी पढ़ें: 2017 में ये डायरेक्टर्स शुरू कर रहे हैं अपनी पारीहिम्मतवाला: 1983 की मसाला फ़िल्म हिम्मतवाला जीतेंद्र के करियर की बड़ी हिट्स में शामिल है। इस फ़िल्म को 2013 में साजिद ख़ान ने रीमेक किया। फ़िल्म में अजय देवगन और तमन्ना लीड रोल्स में नज़र आए। हिम्मतवाला बॉक्स ऑफ़िस पर तो फ्लॉप रही ही, क्रिटिक्स ने भी इसे रिव्यूज़ में धो दिया। ख़ास बात ये है कि फ़िल्म एनाउंस करते वक़्त साजिद ख़ान ने दावा किया था कि ये सबसे बड़ी हिट होगी, जिसके लिए बाद में उन्होंने माफ़ी मांगी।यह भी पढ़ें: राब्ता, मोहेंजो-दाड़ो समेत ये 5 फ़िल्में फंस चुकी हैं कॉपीराइट विवाद मेंजंजीर: अमिताभ बच्चन की ज़ंजीर को कौन नहीं जानता। इस फ़िल्म ने हिंदी सिनेमा को इसका पहला एंग्री यंग मैन दिया। प्रकाश मेहरा डायरेक्टिड फ़िल्म को 2013 में अपूर्व लखिया ने इसी नाम से रीमेक किया। रीमेक से राम चरन तेजा ने बॉलीवुड में डेब्यू किया और प्रियंका चोपड़ा जया बच्चन वाले रोल में दिखीं। मगर दर्शकों ने इस रीमेक को अपने दिलों में वो जगह नहीं दी, जो ओरिजनल जंजीर के लिए है। दूसरी ज़ंजीर फ्लॉप रही।यह भी पढ़ें: कभी अमिताभ रंगे थे खाकी के रंग में, अब खाकी अमिताभ के रंग मेंद शौकींस: 1982 में बासु चैटर्जी की फ़िल्म शौक़ीन हिंदी सिनेमा की कल्ट फ़िल्मों में शुमार है। तीन रूमानी तबीयत वाले बुजुर्गों के इर्द-गिर्द घूमती फ़िल्म में मिथन चक्रवर्ती और रति अग्निहोत्री ने मुख्य किरदार निभाए थे। 2014 में अभिषेक शर्मा ने कहानी में थोड़े बदलाव के साथ द शौक़ींस के नाम से रीमेक किया और फ़िल्म में अन्नू कपूर, पीयूष मिश्रा, अनुपम खेर और लीज़ा हेडन ने लीड रोल्स निभाए। अक्षय कुमार ने केमियो किया। पर फ़िल्म वैसा असर पैदा ना कर सकी, जैसा शौक़ीन ने किया था।यह भी पढ़ें: बॉलीवुड के इन 10 सेलेब्रिटीज़ का हाले-दिल बयां करते हैं इनके ट्विटर स्टेटसखूबसूरत: ऋषिकेश मुखर्जी की 1980 की फ़िल्म ख़ूबसूरत को 2014 में रीमेक किया शशांक घोष ने। रीमेक में रेखा को सोनम कपूर ने रिप्लेस किया। नई ख़ूबसूरत की कहानी की बैकग्राउंड में मिडिल क्लास फैमिली को हटाकर रॉयल फैमिली को रख दिया गया। फिर भी ये ख़ूबसूरत पहले जैसी नहीं बन सकी और दर्शकों ने इसे नकार दिया। इस फ़िल्म से पाकिस्तानी एक्टर फ़वाद ख़ान ने डेब्यू किया था। यह भी पढ़ें: सलमान ख़ान की ट्यूबलाइट के बाद भारत-चीन युद्ध पर जेपी दत्ता की पलटनहालांकि ओल्ड क्लासिक फ़िल्मों की नाकामयाबी से फ़िल्ममेकर्स का उत्साह कम नहीं होता। अब ख़बर है कि 1965 की फ़िल्म गुमनाम को रीमेक करने की तैयारी की जा रही है। इस सस्पेंस थ्रिलर को ई निवास डायरेक्ट करने वाले हैं। गुमनाम में मनोज कुमार और नंदा ने लीड रोल निभाए थे।