कृति खरबंदा से जानिए, बॉलीवुड में कौन दे सकता है 'बाहुबली' को टक्कर
कृति मानती हैं कि अपनी रचनाशीलता को ज़ाहिर करने के लिए किसी एक्टर के मुक़ाबले डायरेक्टर के लिए भाषा बहुत बड़ी बाधा होती है।
By Manoj VashisthEdited By: Updated: Sun, 05 Nov 2017 02:22 PM (IST)
मुंबई। डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की फ़िल्म 'पद्मावती' पहली दिसंबर को रिलीज़ हो रही है। 'बाहुबली2- द कंक्लूज़न' के बाद भंसाली की इस फ़िल्म का बेसब्री से इंतज़ार किया जा रहा है, क्योंकि भंसाली ही ऐसे डायरेक्टर हैं, जो 'बाहुबली' डायरेक्टर एसएस राजामौली जैसा विज़न रखते हैं और 'बाहुबली' जैसी फ़िल्म बनाने की कूवत रखते हैं। ऐसा मानना है कृति खरबंदा का, जो साउथ सिनेमा में काफ़ी काम कर चुकी हैं।
10 नवंबर को कृति की फ़िल्म 'शादी में ज़रूर आना' रिलीज़ हो रही है। इसी के प्रमोशन के लिए जागरण डॉट कॉम के दफ़्तर आयीं कृति से पूछा गया कि दक्षिण भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री साइज़ में हिंदी सिनेमा से छोटा होते हुए भी 'बाहुबली' बना देती है, मगर बॉलीवुड सक्षम होते हुए भी 'बाहुबली' जैसी फ़िल्म नहीं दे पाता, क्या वजह मानती हैंं? इस पर कृति ने कहा, ''राजामौली सर ने जब बाहुबली बनायी तो उनका विज़न बहुत बड़ा था। संजय लीला भंसाली सर के साथ भी ऐसा ही है। उनकी मूवी लार्जर दैन लाइफ़ होती हैं। इस मुक़ाम पर फ़िल्म बनाते हैं कि आप सोचते हैं कैसे बन गयी। ये उनकी स्ट्रेंथ है। ये हर किसी की विज़न पर डिपेंड करता है। ये इत्तेफ़ाक़ हो गया कि संजय सर सिर्फ़ हिंदी मूवी बनाते हैं, राजमौली सर सिर्फ़ साउथ की मूवी बनाते हैं।''यह भी पढ़ें: कैसी होती है आईएएस अफ़सर की ज़िंदगी इस फ़िल्म से बताएंगे राजकुमार राव
कृति मानती हैं कि अपनी रचनाशीलता को ज़ाहिर करने के लिए किसी एक्टर के मुक़ाबले डायरेक्टर के लिए भाषा बहुत बड़ी बाधा होती है। कृति कहती हैं, ''उस भाषा में फ़िल्में बनानी चाहिए, जिनमें आप कंफ़र्टेबल हों। एक्टर्स को आदत होती है एक लैंग्वेज सीखने की और परफॉर्म करने की। मगर, निर्देशक के नज़रिए से देखूं, तो मुझे लगता है कि वो जिस भाषा में सोचते हैं, उसी में डायरेक्ट करते हैं, तो उनके लिए एक्सप्लेन करने में बहुत आसानी होती है। अपने एक्टर्स से कम्यूनिकेट करना आसान होता है।''
यह भी पढ़ें: शादी में ज़रूर आना- जानिए राजकुमार राव ने क्यों कहा, वो हार नहीं मानते'शादी में ज़रूर आना' में कृति के साथ राजकुमार राव मेल लीड रोल में हैं। फ़िल्म को रत्ना सिन्हा ने डायरेक्ट किया है।