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'पद्मावती' की राह नहीं आसान, हर क़दम पर मिलेगी 'बाहुबली' से चुनौती

बाहुबली- द कंक्लूज़न जैसे दृश्यों को ज़हन में लेकर ही दर्शक दूसरी फ़िल्मों को देखने जाएंगे। देखते हैं कि पद्मावती हिंदी सिनेमा की बाहुबली बन पाती है या नहीं।

By Manoj VashisthEdited By: Updated: Mon, 16 Oct 2017 11:46 PM (IST)
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'पद्मावती' की राह नहीं आसान, हर क़दम पर मिलेगी 'बाहुबली' से चुनौती
मुंबई। 'बाहुबली2- द कंक्लूज़न' ने कामयाबी का ऐसा पैमाना तय कर दिया है कि हर बड़ी फ़िल्म को इसी कसौटी पर कसा जाता है। इस साल अभी तक कोई हिंदी फ़िल्म बाहुबली की भव्यता और कमाई का मुक़ाबला नहीं कर सकी है। प्रोडक्शन के स्तर पर भी 'बाहुबली' अभी तक अनमैचेबल दिख रही है, मगर अब 'बाहुबली' को चुनौती मिलने की संभावना जगने लगी है।

संजय लीला भंसाली की फ़िल्म 'पद्मावती' का ट्रेलर बाहर आते ही ये सवाल कुलबुलाने लगा है, इतिहास के पन्नों से निकली भंसाली की ये पेशकश क्या 'बाहुबली' जैसी भव्यता को दोहरा सकेगी? कमाई की बात अभी करना सही नहीं, मगर प्रोडक्शन के स्तर पर तो ऐसी तुलना हो ही सकती है। इसका अंदाज़ा पद्मावती के ट्रेलर से हो भी रहा है। 'बाहुबली' सीरीज़ की दोनों फ़िल्मों की कामयाबी की सबसे बड़ी वजह इसके विज़ुअल इफेक्ट्स रहे।

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डायरेक्टर एसएस राजामौली ने वीएफ़एक्स और स्पेशल इफ़ेक्ट्स के ज़रिए एक ऐसी दुनिया बसा दी थी, जिसकी कल्पना करना भी भारतीय सिनेमा में अब तक आसान नहीं रहा। संजय लीला भंसाली की फ़िल्म 'पद्मावती' ऐतिहासिक कहानी है, जिसमें हाथी-घोड़े, सेना, महल और युद्ध के दृश्य हैं। ऐसे में 'पद्मावती' के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही रहेगी कि एक-एक दृश्य की तुलना 'बाहुबली' से हो सकती है। भले ही दोनों फ़िल्मों की कहानियों की बैकग्राउंड और टाइमिंग अलग हो।

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फ़िल्म मेकिंग के नज़रिए से भंसाली बॉलीवुड के उन डायरेक्टर्स में शामिल हैं, जो दृश्यों को भव्य बनाने के लिए जाने जाते हैं। 'बाजीराव मस्तानी' के दृश्य आप भूले नहीं होंगे। बाजीराव का महल, सिंहासन, मस्तानी का नृत्य और रंगमहल, भंसाली की कल्पना और रिसर्च का ही परिणाम हैं। ऐतिहासिक चरित्रों को गढ़ने में सबसे बड़ी मुश्किल ये होती है कि बहुत पुरानी गाथाओं में उनका सिर्फ़ वर्णन मिलता है। उस वर्णन के आधार पर कल्पनाशीलता का उपयोग करके चित्र बनाना होता है।

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'बाहुबली' भारतीय सिनेमा की इपिक फ़िल्म है। इसे जिस तरह देश और दुनिया में पसंद किया गया है, वो अब हर फ़िल्म के लिए एक मिसाल है। ख़ासकर ऐसी फ़िल्में जिनकी कहानी इतिहास से ली गयी है या फिर माइथोलॉजी को उनमें पिरोया गया है। 'बाहुबली2- द कंक्लूज़न' जैसे दृश्यों को ज़हन में लेकर ही दर्शक दूसरी फ़िल्मों को देखने जाएंगे। देखते हैं कि 'पद्मावती' हिंदी सिनेमा की बाहुबली बन पाती है या नहीं।