तीनों खानों का साथ आना
किसी कार्यक्रम में खानत्रयी (आमिर, शाह रुख और सलमान) का साथ आना निस्संदेह रोचक खबर है। रजत शर्मा के टीवी शो ‘आप की अदालत’ की 21वीं वर्षगांठ पर अामिर, शाह रुख और सलमान तीनों दिल्ली में थे। वे एक साथ मंच पर आए। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो
अजय ब्रह्मात्मज
किसी कार्यक्रम में खानत्रयी (आमिर, शाह रुख और सलमान) का साथ आना निस्संदेह रोचक खबर है। रजत शर्मा के टीवी शो ‘आप की अदालत’ की 21वीं वर्षगांठ पर आमिर, शाह रुख और सलमान तीनों दिल्ली में थे। वे एक साथ मंच पर आए। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं। तीनों के प्रशंसक पहली बार सम्मिलित रूप से खुश हैं और समवेत स्वर में गा रहे हैं। तीनों के साथ आने का यह अवसर महत्वपूर्ण हो गया है। इस खबर को उस कार्यक्रम में आए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से अधिक कवरेज मिला है। हमारे दैनंदिन जीवन में मनोरंजन जगत की हस्तियों की बढ़ती दखल का यह लक्षण है। हम उन्हें देख कर खुश होते हैं। अपनी तकलीफें भूल जाते हैं। इस बार तो तीनों एक साथ आए।
आमिर, शाह रुख और सलमान के इस सम्मिलन के बारे में कहा जा रहा है कि वे पहली बार एक साथ दिखे। इस खबर में सच्चाई है। शाह रुख-सलमान और आमिर-सलमान की फिल्में भी आ चुकी हैं, लेकिन तीनों एक साथ शायद ही कभी किसी कार्यक्रम में आए हों। ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता।साक्ष्य के लिए कोई तस्वीर नहीं है। दरअसल, पिछले आठ-दस सालों में मीडिया के प्रसार के बाद फिल्मी खबरों में उनकी दोस्ती-दुश्मनी पर कुछ ज्यादा ही गौर किया जाने लगा है। वे आपस में एक-दूसरे पर छींटाकशी करने का कोई मौका नहीं चूकते। मीडिया का भी यह शगल हो गया है कि खानत्रयी के इवेंट में उनसे एक न एक सवाल दूसरे खान के बारे में पूछ ही लिया जाता है। उनके बीच लोकप्रियता का घमासान जारी है। तीनों अपनी बढ़त बनाए रखने के लिए फब्तियों कसने से लेकर तंज मारने तक से बाज नहीं आते। कभी शाह रुख कुछ बोल देते हैं तो कभी आमिर। कभी सलमान की बुदबुदाहट ही सुर्खियां बन जाती हैं। मीडिया में अनेक की यह धारणा है कि वे जानबूझ कर ऐसा करते हैं ताकि उनकी चर्चा होती रहे। वास्तविकता जो भी हो,इस से इंकार नहीं किया जा सकता कि दर्शकों-पाठकों की संतुष्टि के लिए मीडिया की भी रुचि उनकी दोस्ती-दुश्मनी के किस्सों में बनी रहती है।
खानत्रयी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के चमकते सितारे हैं। उनकी चमक से फिल्में रोशन और कामयाब होती हैं। इनकी तुलना आजादी के बाद आई दिलीप कुमार-राज कपूर-देव आनंद की तिगड़ी से की जा सकती है। अभिनय के लिहाज तीनों खानों में उनके जैसा स्पष्ट फर्क तय करना मुश्किल होगा। दिली, राज और देव की शैली और छवि में स्पष्ट अंतर था। हालांकि, इधर पांच सालों में उन्होंने अपनी सोच और शैली से पृथक पहचान बनाई है। अभी आमिर, शाह रुख और सलमान की फिल्मों का मिजाज अलग होता है। तीनों पॉपुलर हैं। पिछले पचच्चीस सालों से वे हमें एंटरटेन कर रहे हैं। तीनों की जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। अपनी हर अगली फिल्म से वे फिल्म की कमाई का पैमाना ऊपर कर दे रहे हैं। फिलहाल उनकी फिल्मों की गुणवत्ता महत्वपूर्ण नहीं रह गई है। यों तीनों में आमिर फिल्मों के चुनाव में थोड़े संयत दिखते हैं, लेकिन उन्होंने भी ‘गजनी’ और ‘फना’ जैसी फिल्में की हैं। यह भी एक संयोग है कि तीनों एक ही साल 1965 की पैदाइश हैं। तीनों अगले साल पचास के हो जाएंगे।
तीनों के साथ आने की खबर और तस्वीर से खुश एक युवा निर्देशक को खयाल आया कि अगर खानत्रयी की फिल्म की कल्पना और रचना की जाए तो वह बेहद मनोरंजक फिल्म होगी। इस फिल्म की लागत तिगुनी जरूर हो जाएगी, लेकिन कमाई भी चार-पांच गुनी ज्यादा होगी। जब तक ऐसी कोई फिल्म नहीं आती है, तब तक हम तीनों के साथ की तस्वीर से ही संतोष करें।