चालीस आते ही स्टॉप हो जाती है हीरोइन की ज़िंदगी, काम को लेकर छलका शर्मिला टैगोर का दर्द
लड़कियों से हमेशा उम्मीद की जाती है कि वह खूबसूरत ही दिखें, ताकि पुरुष कलाकार के साथ वह मेल खा सकें। शर्मिला मानती हैं कि यही वजह है कि मेरे वक्त में 30 से 40 उम्र आते आते...
By Manoj VashisthEdited By: Updated: Sat, 14 Oct 2017 06:19 PM (IST)
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। शर्मिला टैगोर अपने दौर की लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक रही हैं, लेकिन उनका मानना है कि आज भी सीनियर अभिनेत्रियों के लिए अच्छे रोल नहीं लिखे जा रहे हैं, जितनी अच्छी स्क्रिप्ट सीनियर एक्टर्स के लिए लिखी जाती हैं। शर्मिला इस बात को स्वीकारती हैं कि एक महिला को हमेशा ही यंग रहना पड़ता है, तभी उसके लिए रोल लिखे जाते हैं, जबकि पुरुष कलाकार लगातार काम कर रहे होते हैं।
लड़कियों से हमेशा उम्मीद की जाती है कि वह खूबसूरत ही दिखें, ताकि पुरुष कलाकार के साथ वह मेल खा सकें। शर्मिला मानती हैं कि यही वजह है कि मेरे वक्त में 30 से 40 उम्र आते आते ही एक्ट्रेस की जिंदगी स्टॉप हो जाती थी। मुझे लगता है कि इसे स्टॉप नहीं किया जाना चाहिए 40 के बाद भी ऐसी कई कहानियां हैं, जिन्हें देखने में दर्शकों को दिलचस्पी होगी। शर्मिला ने हाल ही में ये सारी बातें एक फिल्मोत्सव में चर्चा के दौरान कहीं। उनका मानना है कि वह 60 के दशक से सक्रिय हैं और उन्होंने कई बदलाव देखे हैं। शर्मिला कहती हैं कि जब हम काम करते थे, उस वक्त एक्टिंग को अच्छा प्रोफेशन नहीं माना जाता था, लेकिन अब यह सोच बदली है।यह भी पढे़ं: सोनम और अनिल कपूर की जोड़ी अब पर्दे पर, यहां जानिए डिटेल्स
शर्मिला कहती हैं कि फिल्मों में बहुत हद तक अब महिलाओं की कहानियां दिखाई जानी शुरू कर दी गयी है. पीकू और नीरजा जैसी फिल्में बन रही हैं। अब इंडस्ट्री में एक्ट्रेस का कद भी पहले से बढ़ गया है। हालात भी सुधर रहे हैं। मेरे वक्त में हीरोइन्स को नेगेटिव रोल्स नहीं करने दिया जाता था, लेकिन अब लोगों ने हीरोइन्स के भी ऐसे किरदार पसंद करना शुरू किया है। अब अभिनेत्रियों को साथ ही साथ अच्छे और वैराइटी रोल्स भी मिल रहे हैं।
यह भी पढे़ं: रणबीर कपूर की फ़िल्म ब्रह्मास्त्र की कहानी को लेकर अयान ने किया खुलासाशर्मिला मानती हैं कि उनके दौर में थियेटर कम होते थे, तो बड़े कलाकारों को भी अपनी फिल्म बनाकर थियेटर के लिए इंतज़ार करना पड़ता था, जबकि आज के दौर में मल्टीप्लेक्स बने हैं तो ज्यादा फिल्में भी आने लगी हैं। मसान और न्यूटन जैसी फिल्में भी वक्त पर रिलीज़ हो रही हैं।