जब-जब फूल खिले, दीवार, सत्यम शिवम सुंदरम और त्रिशूल जैसी श्रेष्ठ फिल्मों में अपने सदाबहार अभिनय के लिए याद किए जाने वाले शशि कपूर को वर्ष 2014 का दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया जाएगा। 18 मार्च, 1938 को कोलकाता में जन्मे शशि कपूर के बचपन का नाम बलवीर राज कपूर
By Sanjay BhardwajEdited By: Updated: Tue, 24 Mar 2015 01:14 PM (IST)
नई दिल्ली। जब-जब फूल खिले, दीवार, सत्यम शिवम सुंदरम और त्रिशूल जैसी श्रेष्ठ फिल्मों में अपने सदाबहार अभिनय के लिए याद किए जाने वाले शशि कपूर को वर्ष 2014 का दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया जाएगा। 18 मार्च, 1938 को कोलकाता में जन्मे शशि कपूर के बचपन का नाम बलवीर राज कपूर था। उन्होंने करीब 116 हिंदी फिल्मों में काम किया है। अभिनय उनकी रगों में बसा हुआ है। उनके पिता पृथ्वीराज कपूर और बड़े भाई राज कपूर व शम्मी कपूर को हिंदी सिनेमा के महान कलाकारों में गिना जाता है। शशि कपूर दादा साहब फाल्के से सम्मानित होने वाले अपने परिवार के तीसरे सदस्य हैं। 1971 में पृथ्वीराज कपूर और 1987 में राज कपूर को यह सम्मान मिल चुका है। शशि कपूर के भतीजे ऋषि कपूर ने बताया कि उनके परिवार के इन तीनों सदस्यों को पद्मभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।
चार वर्ष की उम्र से अभिनय शशि कपूर ने चार साल की उम्र से बाल कलाकार के तौर पर अपने पिता के नाटकों में काम करना शुरू कर दिया था। 1948 में बनी आग और 1951 की फिल्म आवारा में बाल कलाकार के तौर पर उनका अभिनय विशेष तौर पर याद किया जाता है। इन फिल्मों में उन्होंने राज कपूर के बचपन का किरदार निभाया था।शुरू में नंदा ने दिया साथ
1961 में शशि कपूर फिल्म धर्मपुत्र से बतौर हीरो बड़े पर्दे पर आए, लेकिन फिल्म खास नहीं चली। उस वक्त की कोई स्थापित अभिनेत्री शशि के साथ काम करना नहीं चाहती थी। ऐसे में अभिनेत्री नंदा ने उनका साथ दिया और आठ फिल्मों में दोनों की जोड़ी परदे पर आई। इनमें जब-जब फूल खिले, नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे और मोहब्बत इसको कहते हैं जैसी यादगार फिल्में शामिल हैं।विदेश का रुख किया
शशि कपूर हिंदी सिनेमा के उन शुरुआती कलाकारों में हैं, जिन्होंने विदेशी फिल्मों में काम किया। 1963 में उन्होंने ब्रिटिश फिल्म द हाउसहोल्डर, 1965 में शेक्सपीयर वाला और 1970 में बांबे टॉकी में काम किया। 1978 में शशि ने फिल्म वालाज के नाम से अपना प्रोडक्शन हाउस खोला और जुनून, कलयुग, 36 चौरंगी लेन और उत्सव जैसी कलाप्रधान फिल्मों का निर्माण किया।
सिनेमा का सबसे बड़ा सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा सम्मान है। यह पुरस्कार भारत सरकार की ओर से दिया जाता है। इसके तहत 10 लाख रुपये नगद और स्वर्ण कमल दिया जाता है। सूचना प्रसारण मंत्री अरुण जेटली और इसी विभाग के राज्य मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ सहित कई अन्य लोगों को शशि कपूर को इसके लिए बधाई दी है।
मेरे पास मां है * फिल्म दीवार में शशि कपूर का वह डायलॉग 'मेरे पास मां है' आज भी लोगों की जुबान पर है। * 61 फिल्मों में शशि कपूर बतौर हीरो पर्दे पर आए और करीब 55 मल्टीस्टारर फिल्मों का हिस्सा बने। * नमक हलाल और कभी-कभी समेत दर्जनों फिल्मों में अमिताभ के साथ इनकी जोड़ी खूब सराही गई। 'शशि कपूर जी भारतीय फिल्म जगत के एक बेहतरीन और निष्ठावान अभिनेता हैं। मैं दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए चुने जाने पर उन्हें बधाई देता हूं।'
-नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री 'जी हां, हिंदी सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान के लिए शशि कपूर को दादा साहेब फाल्के से सम्मानित किया जा रहा है। अंकल आप इसके हकदार थे।'
-ऋषि कपूर, अभिनेतापढ़ें : शशि कपूर हुए 77 साल के, शबाना और ऋषि कपूर ने की अच्छे स्वास्थ्य की कामना