इन एक्टर्स ने दिखायी डायरेक्टर बनने की हिम्मत, कुछ ने बाद में कर ली तौबा
सिनेमा के अलग-अलग दौर में ऐसे डायरेक्टर मिलते रहे हैं, जिन्होंने अपना करियर बतौर एक्टर शुरू किया था।
By मनोज वशिष्ठEdited By: Updated: Thu, 03 Aug 2017 07:21 AM (IST)
मुंबई। सालों तक पर्दे पर अपनी एक्टिंग का दम दिखाने के बाद भी कुछ एक्टर्स का दिल नहीं भरता और पर्दे के पीछे डायरेक्शन का हुनर दिखाने चले जाते हैं। सिनेमा के अलग-अलग दौर में ऐसे डायरेक्टर मिलते रहे हैं, जिन्होंने अपना करियर बतौर एक्टर शुरू किया था।
ऐसे ही एक्टर्स की लिस्ट में अब श्रेयस तलपड़े का नाम शामिल हो गया है। श्रेयस 'पोस्टर बॉयज़' से अपनी डायरेक्टोरियल पारी शुरू कर रहे हैं, जिसमें सनी देओल और बॉबी देओल के साथ वो ख़ुद लीड करेक्टर निभा रहे हैं।यह भी पढ़ें: बॉलीवुड में फिर बवाल, एक जैसी थीम पर आ रहीं कई फ़िल्में, आमिर भी नहीं पीछे
ख़ुद सनी देओल ने 'दिल्लगी' से डायरेक्टोरियल डेब्यू किया। इस फ़िल्म में उनके साथ बॉबी देओल और उर्मिला मातोंडकर लीड रोल्स में थे। पिछले साल सनी की दूसरी डायरेक्टोरियल फ़िल्म 'घायल वंस अगेन' रिलीज़ हुई।
बतौर एक्टर ख़ुद को स्थापित करने के बाद अजय देवगन ने 'यू मी और हम' से अपना डायरेक्टोरियल करियर शुरू किया, जिसमें उनके बेटर हाफ़ काजोल ने साथ दिया। पिछले साल अजय की दूसरी डायरेक्टोरियल फ़िल्म 'शिवाय' आयी।यह भी पढ़ें: बॉलीवुड की इन फ़िल्मों में हैं 10 से ज़्यादा गाने, हैरी मेट सेजल भी है शामिलआमिर ख़ान बेहतरीन एक्टर होने के साथ अच्छे प्रोड्यूसर भी हैं और 'तारे ज़मीं पर' के साथ वो डायरेक्टर भी बन गये। ये फ़िल्म बच्चों में होने वाली डिस्लेक्सिया की बीमारी पर आधारित थी। सलमान ख़ान के छोटे भाई अरबाज़ ख़ान ने 'दबंग 2' के साथ डायरेक्टोरियल पारी शुरू की। फ़िल्म में सलमान और सोनाक्षी सिन्हा ने लीड रोल्स निभाये। इसके प्रीक्वल 'दबंग' को अरबाज़ ने प्रोड्यूस किया था। तीसरे पार्ट को शायद अरबाज़ डायरेक्ट ना करें।यह भी पढ़ें: इन एक्टर्स ने दिखायी डायरेक्टर बनने की हिम्मत, कुछ ने बाद में कर ली तौबाएक्टिंग में कामयाब पारी खेलने के बाद अनुपम खेर ने 2002 में 'ओम जय जगदीश' के साथ डायरेक्टोरियल ईनिंग शुरू की, जिसमें अनिल कपूर, फ़रदीन ख़ान और अभिषेक बच्चन ने लीड रोल्स निभाये। अनुपम ने इसके बाद डायरेक्शन से तौबा कर ली।नसीरूद्दीन शाह एक्टिंग की दुनिया के शहंशाह हैं, मगर डायरेक्शन के मोर्चे पर फेल रहे। 2006 में उनकी डायरेक्टोरियल डेब्यू फ़िल्म 'यूं होता तो क्या होता...' रिलीज़ हुई। इसके बाद नसीर कभी कैमरे के पीछे नहीं गये।यह भी पढ़ें: शुभ मंगल सावधान समेत ये फ़िल्में बनी हैं ऐसे विषयों पर, जिनकी बात करना भी है 'पाप'पंकज कपूर ने बेटे शाहिद कपूर को लेकर बनायी 'मौसम' (2011) के साथ डायरेक्शन में कदम रखा, मगर ये फ़िल्म नहीं चली। इसमें सोनम कपूर फ़ीमेल लीड रोल में थीं।नाना पाटेकर ने 1991 में 'प्रहार' से डायरेक्टोरियल पारी की शुरुआत की, जिसमें वो आर्मी ऑफ़िसर के रोल में नज़र आये। फ़िल्म में माधुरी दीक्षित फ़ीमेल लीड रोल में थीं। नाना ने इसके बाद कोई फ़िल्म डायरेक्ट नहीं की।यह भी पढ़ें: अजय-काजोल समेत ये हैं 11 Happily Married Couple, नज़र ना लगेऋषि कपूर भी ऐसे एक्टर हैं, जिन्होंने एक्टिंग में कई साल गुज़ारने के बाद डायरेक्शन में कदम रखा। 1999 में ऋषि ने अक्षय खन्ना और ऐश्वर्या राय को लेकर 'आ अब लौट चलें' डायरेक्ट की थी। इसके बाद वो कैमरे के पीछे नहीं गये।