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बिंदास शख्सियतों वाली भूमिका से मिली पहचान

इसे इत्तफाक ही कहा जाएगा कि विद्या बालन को ग्रे शेड वाली भूमिकाओं ने बुलंदियां प्रदान की हैं। वह चाहे सिल्क स्मिता का किरदार हो, कृष्णा या फिर नीतू का। वे कहती हैं, 'औरत के विभिन्न रूप हैं। मैं उन भूमिकाओं को बदतमीज तो नहीं कहूंगी। हां, वे बेबाक शख्यियतें थीं। उन्हें पर्दे प्

By Edited By: Updated: Mon, 23 Dec 2013 02:51 PM (IST)
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मुंबई। इसे इत्तफाक ही कहा जाएगा कि विद्या बालन को ग्रे शेड वाली भूमिकाओं ने बुलंदियां प्रदान की हैं। वह चाहे सिल्क स्मिता का किरदार हो, कृष्णा या फिर नीतू का। वे कहती हैं, औरत के विभिन्न रूप हैं। मैं उन भूमिकाओं को बदतमीज तो नहीं कहूंगी। हां, वे बेबाक शख्सियतें थीं। उन्हें पर्दे पर दिखाने का कोई शॉर्टकट नहीं था। मसलन सिल्क की पर्सनैलिटी को सही कंटेक्स्ट में दिखाने के लिए उसका बिंदास चित्रण जरूरी था। वह निडर लड़की थी। मैं नहीं कहूंगी कि वह सिल्क स्मिता के ही जीवन से प्रेरित फिल्म थी। उस वक्त ढेर सारी डांसिंग गर्ल थीं। उनके बगैर कोई फिल्म पूरी नहीं होती थी। उनके डेट्स के लिए काफी टशन रहती थी। हीरो-हीरोइन के डेट्स मिल जाते थे, लेकिन उनके गाने और समय के लिए फिल्मों की शूटिंग रुक जाती थी। खुद को डिस्कवर किया। विशाल भारद्वाज ने मुझे 'इश्किया' का स्क्रिप्ट दिया और कहा कि इसे पढ़ लो, फिर बताना। विशाल ने मुझसे यह भी कहा कि यह रोल आप ही कर सकती हैं। मैं इस फिल्म के लिए कंवेंशनल कास्टिंग नहीं चाहता हूं। मेरी पसंद आप ही हैं। बहुत अच्छा लगता है, जब कोई आपके पास ऐसी भूमिका निभाने का ऑफर लेकर आता है, जो आपकी इमेज से बिल्कुल अलग हो। आप उस कैरेक्टर के विषय में पढ़कर-जानकर अंदर से हिल जाते हो। अगर मैं कृष्णा के कैरेक्टर से कंविस नहीं होती, तो शायद 'इश्किया' में मेरी जगह कोई दूसरी ऐक्ट्रेस होती। आज कल ज्यादातर फिल्मों में वुमेन कैरेक्टर को इतनी इंपोर्टेस नहीं मिलती। मैं लकी हूं कि मुझे ऐसा मौका मिला है।

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'इश्किया' में मैंने ऐज ऐन ऐक्ट्रेस खुद को डिस्कवर किया है। वही चीज 'घनचक्कर' में अपने किरदार नीतू के साथ हुआ। वह लाउड थी। उसमें मैनली क्वॉलिटी ज्यादा थी। उसे पोट्रेट करने के लिए अलग गेटअप और लहजे की दरकार थी। वह टिपिकल हीरोइन नहीं थी। सौभाग्य से उसे मैं कैरी कर सकी। दरअसल, औरतें ऐसी ही होती हैं। वे ट्रांसफर्म होती रहती हैं। वह कभी काली होती है, तो कभी दुर्गा। वह सरस्वती भी हो सकती है, तो रंभा भी। औरतें रिलेशनशिप के हिसाब से बिहेव करती हैं। खासकर, इंडियन वुमेन ऐसी ही होती हैं, जैसी कृष्णा थी।'

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