2014 में इन फिल्मों ने क्यों किया निराश?
2014 में पिछले साल के मुकाबले ज्यादा फिल्मों ने थिएटरों पर दस्तक दी लेकिन अगर फिल्मों की कमाई की बात की जाए तो बहुत सारी फिल्में बॉक्स-ऑफिस पर असफल साबित हुईं। अगर आंकड़ों की बात की जाए तो 2013 में हिट या रिकॉर्डतोड़ कमाई करने वाली 25 फिल्में थी जबकि
By Monika SharmaEdited By: Updated: Mon, 15 Dec 2014 03:16 PM (IST)
मुंबई। 2014 में पिछले साल के मुकाबले ज्यादा फिल्मों ने थिएटरों पर दस्तक दी लेकिन अगर फिल्मों की कमाई की बात की जाए तो बहुत सारी फिल्में बॉक्स-ऑफिस पर असफल साबित हुईं। अगर आंकड़ों की बात की जाए तो 2013 में हिट या रिकॉर्डतोड़ कमाई करने वाली 25 फिल्में थी जबकि 2014 में इसकी संख्या घटकर महज 19 रह गई। 2012 में 24 फिल्में बॉक्स-ऑफिस पर हिट रही थी।
पढ़ें: साल के सबसे बकवास फिल्मी डायलॉग इस साल 120 फिल्में रिलीज हुईं। इसे देखते हुए इस साल हिट रहने वाली फिल्मों का आंकड़ा काफी कम है। हालांकि अभी आमिर खान की फिल्म 'पीके' का रिलीज होना बाकी है लेकिन फिल्म के ट्रेलर और गानों को मिल रहे रिस्पॉन्स को देखकर लगता है कि ये रिकॉर्डतोड़ कमाई करने वाली है।देखें: साल के सबसे घटिया गाने
एक बार उन पहलुओं पर नज़र डालते हैं, जिनकी वजह से फिल्में बॉक्स-ऑफिस पर नहीं टिक सकीं।
मायने रखता है पैमाना हालांकि कुछ छोटे बजट की फिल्में अच्छी कमाई करने में कामयाब रहीं लेकिन सभी फिल्में टिक नहीं सकी। ऐसा सिर्फ छोटी नहीं बल्कि बड़ी बजट की फिल्मों के साथ भी होता है। अगर बड़े बजट की फिल्मों का सब्जेक्ट अच्छा न हो या उनकी परफॉर्मेंस दर्शकों को पसंद न आए, तो फिल्म टिक नहीं पाती। लेकिन अक्सर देखा जाता है कि छोटे बजट की फिल्मों को दर्शक ज्यादा तरजीह नहीं देते और उनके कम प्रमोशन के चलते भीड़ थिएटरों तक नहीं पहुंचती। जैसा कि मीडिया ऑबजर्वर शैलेश कपूर ने कहा, 'बॉक्स-ऑफिस की कमाई गिरने का बड़ा कारण है कि लो और मीडियम बजट की फिल्मों को दर्शक नहीं मिलते। साल दर साल टिकट की कीमतें बढ़ती जा रही हैं और दर्शक सिर्फ उन बड़ी फिल्में देखने के लिए थिएटर जाते हैं जिनमें अच्छी स्टार कास्ट है और जिसकी प्रोडक्शन वैल्यू है।' हालांकि कंगना रनौत की फिल्म 'क्वीन' और शाहिद कपूर की फिल्म 'हैदर' जैसी अपवाद साबित हुईं। ये दोनों फिल्में कम बजट की होने के बावजूद दर्शकों के दिलों में घर कर गई और बॉक्स-ऑफिस पर सफल रहीं। व्यापार विश्लेषक अमोद मेहरा के मुताबिक, 2014 में पिछले साल के मुकाबले ज्यादा फिल्में फ्लॉप हुईं। तो इन फिल्मों के फ्लॉप होने के क्या कारण था? मेहरा को लगता है कि दिलचस्प कंटेंट की कमी, इसका बड़ा कारण है। मेहरा कहते हैं, 'इस कई फिल्मों को बनाते समय उनके कंटेंट पर ध्यान नहीं दिया गया। फिल्म का संगीत भी महत्वपूर्ण है, जिसने दर्शकों को लुभाया नहीं।' इंडस्ट्री के एक सूत्र के मुताबिक, 'पिछले पांच सालों से फिल्मों का बिजनेस साल दर साल बढ़ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि ग्रोथ 2011 से 2012 में 38 फीसदी हुई थी। 'सिर्फ 100 करोड़ क्लब तक सीमित 2014 में महज पांच फिल्में ही 100 करोड़ की कमाई का आंकड़ा पार कर पाई। फन सिनेमाज के विशाल आनंद कहते हैं कि उन्हें इससे कोई हैरानी नहीं है। इसकी बजाए उन्होंने एक पॉजिटीव ट्रेंड देखा है। विशाल ने कहा, 'दुर्भाग्य से इस साल बॉक्स-ऑफिस पर काफी फिल्में असफल हुई हैं। एक बड़ी बात हुई है कि पिछले दो सालों में अंग्रेजी फिल्मों को ज्यादा देखा गया है और उन्हें स्वीकार भी किया जा रहा है।' चाहे 'द अमेजिंग स्पाइडर मेन 2' हो, 'गार्जियन्स ऑफ द गैलेक्सी हो' या 'इंटरस्टेलर' हो, इन फिल्मों को देखने के लिए सिनेमाघरों के बाहर लंबी लाइनें लगी मिली हैं।फुल हाउस, खाली शो एक्शन जैक्सन, हैप्पी एंडिंग और किल दिल जैसी फिल्मों को बॉक्स-ऑफिस पर बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी। चिंता ही बात ये है कि इस फिल्मों में बड़ी सितारे होने के बावजूद दर्शकों ने उन्हें नकार दिया। अगर एक फिल्में बॉक्स-ऑफिस पर अच्छी नहीं चलती तो उनका छोटे पर्दे पर भी चलने की संभावनाएं कम होती हैं। इस साल ऐसी फिल्में बहुत कम आईं, जिन्हें दर्शक एक से ज्यादा बार देखना पसंद करे। इंडस्ट्री के एक सूत्र ने कहा, 'फिल्म निर्माताओं ने दर्शकों को हल्के में लेना शुरू कर दिया है। नतीजा - वो फिल्म के असली कंटेंट से ज्यादा ध्यान पैकेजिंग पर लगा रहे हैं। सैफ अली खान की फिल्म 'हैप्पी एंडिंग' इसका एक बड़ा उदाहरण है। इससे साफ होता है कि एक स्टार कभी भी एक फिल्म के हिट की गारंटी नहीं ले सकता।'समाधान इंडस्ट्री को लगता है कि फिल्मों में काफी सुधार करने की जरूरत है और सितारों को बेहतरीन फिल्मों की गारंटी देनी होगी। इस साल कई ऐसी फिल्में आईं जो बड़े सितारे होने के बावजूद दर्शकों को लुभा नहीं पाई। तो क्या इन बड़े सितारों की तरफ से फिल्मों के लिए बड़ी-बड़ी रकम मांगना सही है? दर्शक पैसा खर्च करके बड़े सितारों से एक अच्छी फिल्म की उम्मीद लगाकर थिएटर में जाता है। डिस्ट्रीब्यूटर रमेश सिप्पी का मानना है कि सितारों का अपनी फीस कम करने का ये सही समय है। सितारों को अपनी फीस को अपनी फिल्मों के पहले वीकेंड के बॉक्स-ऑफिस कलेक्शन से लिंक करना चाहिए। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इन सितारों को फिल्म के ओपनिंग वीकेंड की कुछ गारंटी लेनी चाहिए। सिप्पी ने कहा, 'ये एसओएस पर निर्भर करता है। अगर सभी प्रोड्यूसर फिल्में बनाने में अक्षम हैं तो कोई काम नहीं होगा। इसलिए कलाकारों और एक्टर्स के लिए बेहद जरूरी है कि वो हालात को समझें और इससे भागे नहीं।'