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दीवारों पर नहीं चिपकाए जाएंगे इस फिल्‍म के पोस्‍टर

'द फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स गिल्ड' ने अपने सदस्यों से कहा है कि वो सार्वजनिक दीवारों और सरकारी इमारतों पर फिल्मों के पोस्टर न लगाएं।

By rohit guptaEdited By: Updated: Thu, 25 Dec 2014 09:11 AM (IST)
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मुंबई। 'द फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स गिल्ड' ने अपने सदस्यों से कहा है कि वो सार्वजनिक दीवारों और सरकारी इमारतों पर फिल्मों के पोस्टर न लगाएं।

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इस कैंपेन को शुरू करने वाले गिल्ड के प्रेजिडेंट मुकेश भट्ट ने कहा, 'मैं सार्वजनिक दीवारों पर अपनी आने वाली फिल्म खामोशियां-साइलेंस हैव सीक्रेट्स के पोस्टर्स नहीं लगवाकर एक उदाहरण पेश करना चाहता हूं। मुझे उम्मीद है कि इससे लोग फिल्म इंडस्ट्री का साथ देने के लिए उत्साहित होंगे और ये भारत को स्वच्छ रखने में एक अहम भूमिका निभाएगा।'

फिल्म निर्देशक विपुल शाह को भी सार्वजनिक जगहों को बिगाड़कर फिल्मों को प्रमोट करना अच्छा नहीं लगता। उन्होंने कहा, 'पोस्टर्स चिपकाना एक गैर कानूनी काम है। मैं मानता हूं कि पोस्टर्स और होर्डिंग्स फिल्म का मुनाफा बढ़ाने में खास योगदान नहीं देते। लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर्स फिल्म निर्देशकों से खासतौर पर छोटे शहरों में पोस्टर्स और होर्डिंग्स लगाने के लिए कहते हैं।'

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विपुल ने आगे कहा है कि इस तरह के प्रमोशन पर खर्च करना छोटे डिस्ट्रीब्यूटर्स को भारी पड़ता है। उन्होंने कहा, 'उन्हें इस पर कम से कम 50 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन इस तरह का प्रमोशन कम बजट की फिल्मों के लिए काफी अच्छा रहता है।'

फिल्म निर्माता रमेशा तौरानी और निर्देशक मधुर भंडारकर ने भी गिल्ड के फैसले का स्वागत किया है। तौरानी ने कहा, 'हमें ये भी सुनिश्चित करना चाहिए कि राजनीतिक पार्टियों के पोस्टर्स भी दीवारों पर न लगें।' भंडारकर कहते हैं, 'मुझे खुशी है कि इंडस्ट्री ने पोस्टर्स से बचने का फैसला किया है क्योंकि फिल्म को प्रमोट करने के और भी तरीके हैं।'

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