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फिल्म स्टार्स के नखरों से परेशान हैं प्रोड्यूसरः मुकेश भट्

मुंबई। फेमस फिल्ममेकर मुकेश भट्ट का कहना है कि फिल्म स्टार्स के नखरों से प्रोड्यूसर्स परेशान हैं, लेकिन उनके खिलाफ आवाज उठाने की किसी की हिम्मत नहीं है। उनके मुताबिक फिल्मी सितारों को लेकर फिल्म बनाने में बजट का एक बड़ा हिस्सा फिल्म स्टार पर ही खर्च हो जाता है।

By Test1 Test1Edited By: Updated: Tue, 24 Feb 2015 05:23 PM (IST)

मुंबई। फेमस फिल्ममेकर मुकेश भट्ट का कहना है कि फिल्म स्टार्स के नखरों से प्रोड्यूसर्स परेशान हैं, लेकिन उनके खिलाफ आवाज उठाने की किसी की हिम्मत नहीं है। उनके मुताबिक फिल्मी सितारों को लेकर फिल्म बनाने में बजट का एक बड़ा हिस्सा फिल्म स्टार पर ही खर्च हो जाता है।

मुकेश का कहना है, 'कुछ को छोड़कर अधिकतर प्रोड्यूसर फिल्मों में अपना पैसा बहा रहे हैं। कुछ खर्च ऐसे हैं जो फिल्म की क्वॉलिटी पर खर्च होते हैं, कुछ खर्च ऐसे हैं जो नॉन प्रॉडक्टिव हैं और ये खर्च सिर्फ फिल्मों के कॉस्ट बढ़ाते हैं उनकी क्वॉलिटी नहीं।' मुकेश का कहना है कि वे पिछले तीन दशकों से फिल्म इंडस्ट्री में हैं, लेकिन पिछले पांच सालों में यहां स्टार सिस्टम में सबसे ज्यादा बदलाव आया है।

उन्होंने बताया, 'फिल्म स्टार्स के अलावा उनके ड्राइवर और हेल्पर की तनख्बाह भी किसी चार्टड एकाउंटेट से भी अधिक होती है। औसतन फिल्में 70 दिनों में बनती हैं। इसके बाद भी करीब 20-25 दिन फिल्म की डबिंग और प्रमोशन में लगते हैं। इन फिल्म स्टार्स पर रोजाना होने वाला खर्च है-मेकअप और हेयर स्टाइलिस्ट: 1 लाख रुपए प्रतिदिन, स्टार के ड्राइवर को 5 हजार रुपए प्रतिदिन, स्टार के लिए मौजूद लड़के (जो हमेशा उनके साथ खड़े रहते हैं, उनके फोन और जरूरी सामान का ध्यान रखते हैं) 5 हजार रुपए प्रतिदिन, कॉस्ट्यूम असिस्टेंट (जिनका काम केवल स्टार के कॉस्ट्यूम को हाथ में पकड़े रखना है। यह पूरी फिल्म के लिए मौजूद कॉस्ट्यूम पर्सन को पे किए जाने वाले आंकड़े से कहीं ज्यादा है) 5 हजार रुपए प्रतिदिन, डबल डोर वैनिटी वैन पर 20 हजार रुपए प्रतिदिन।'

मुकेश बताते हैं कि इन आंकड़ों को जोड़ कर देखें तो एक स्टार के उपर रोजाना सवा लाख रुपए तक खर्च होते हैं जो कि प्रोड्यूसर पे करता है। ये खर्चे फिल्म के बजट में जोड़ दी जाती हैं। यदि हम मानें कि किसी फिल्म में केवल दो स्टार्स हैं तो इन वजहों से अतिरिक्त 2 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। इसके पूरा करने के लिए फिल्म को 4 करोड़ रुपए ज्यादा की कमाई करनी होगी, ताकि इन स्टार के असिस्टेंट पर होनेवाले खर्च की भरपाई हो सके।

यदि किसी ऐक्टर के साथ उनके ड्राइवर, मेकअप मैन और हेयर स्टाइलिस्ट एक दिन में पांच जगह प्रमोशन के लिए जाते हैं तो वे हर जगह के लिए अलग-अलग यानी पांच बार चार्ज करते हैं। वे भी बिज़नस क्लास टिकट और फाइव स्टार होटेल रूम ही चाहते हैं। इसलिए प्रमोशन के दौरान यहां एक ड्राइवर भी 25,000 प्रतिदिन तक कमा लेता है।

मुकेश ने कहा, 'मुझे काफी बुरा भी लगता है जब एक ड्राइवर का चेक बनाने वाले अकाउंटेंट को खुद उससे कम पेमेंट दी जाती है। एक असिस्टेंट डायरेक्टर को 1500 रुपए प्रतिदिन पे किया जाता है, लेकि स्टार्स बॉय को 5000 हजार रुपए। क्या यह गलत नहीं? ...और सबसे शॉकिंग पार्ट तो यह है कि यदि हमने पे नहीं किया तो ऐक्टर्स के मैनेजर्स और डायरेक्टर्स की लड़ाई प्रॉडक्शन टीम से शुरू हो जाती है। आखिर, किस हिसाब से मैं अपने ड्राइवर के लिए 5000 रुपए के पेमेंट की डिमांड कर सकता हूं? फिर मैनेजर आएंगे और कहेंगे कि उन्हें ऐक्टर को शैम्पू करने के लिए मिनरल वॉटर चाहिए। क्या आपने कभी मिनरल वॉटर से किसी को बाल धोते सुना है? पहले तो मुझे लगा कि वह मजाक कर रहा है, लेकिन फिर मुझे एहसास हुआ कि वह सच कह रहा था।'

मुकेश के मुताबिक बॉलीवुड में स्टार सिस्टम का वर्चस्व है। वे कहते हैं, 'यदि एक अकेला मैं इनकार कर देता हूं और घुटने टेक देता हूं तो कोई और अपने हाथ बढ़ा देगा। इस तरह की व्यवस्था को आखिर सभी प्रड्यूसर मिलकर क्यों नहीं रोकते? स्टार्स अपने स्टाफ के लिए एक्स्ट्रा पेमेंट को लेकर भले प्रड्यूसर्स के साथ निगोशिएट करें, लेकिन वे उन्हें पे खुद ही करें। एक चार्टर्ड अकाउंटेंट से कहीं ज्यादा एक ड्राइवर और स्पॉट बॉय को पेमेंट करने जैसे अपमानजनक सिस्टम से हमें प्लीज़ बचाएं। प्रोड्यूसर वे हैं, जिन्हें सेट पर बड़ी आसानी से निशाना बनाया जा सकता है। स्टार जैसे चाहें उन्हें नचा सकते हैं। यहां तक कि एक भिखारी भी प्रड्यूसर से बेहतर है। यह एकमात्र ऐसी इंडस्ट्री है जहां बॉस करोड़ों रुपए पे करता है, लेकिन उनके साथ एक नौकर की तरह ट्रीट किया जाता है। बाकी सभी इंडस्ट्री में जो जो इंसान पैसे पे करता है उसे लोग सलाम करते हैं।'

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