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पंजाब के कोहिनूर

बात चाहे पंजाबी गीत-संगीत की हो या फिर सिनेमा की, पॉलीवुड को पंजाब की संस्कृति को सहेजने केलिए जिस व्यक्ति पर सबसे अधिकमान है, वे हैं गुरदास मान। पंजाब के गिद्ड़बाहा में जन्मे गुरदास मान ने दिल दा मामला है.. गीत से अच्छी चर्चा पाई। वे करीब 34 सफल एलबम के लिए गायकी, 300 से अधिक गीत लेखन और करीब 30 फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं।

By Edited By: Updated: Mon, 28 May 2012 11:53 AM (IST)
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बात चाहे पंजाबी गीत-संगीत की हो या फिर सिनेमा की, पॉलीवुड को पंजाब की संस्कृति को सहेजने केलिए जिस व्यक्ति पर सबसे अधिकमान है, वे हैं गुरदास मान। पंजाब के गिद्ड़बाहा में जन्मे गुरदास मान ने दिल दा मामला है.. गीत से अच्छी चर्चा पाई। वे करीब 34 सफल एलबम के लिए गायकी, 300 से अधिक गीत लेखन और करीब 30 फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। गुरदास का डफली पर थाप देने और पैरों में घुंघरू बांध कर परफॉर्म करने का अपना अलग अंदाज है।

दुनिया भर से तमाम अवार्ड और सम्मान पा चुके गुरदास मान को हाल ही में पीटीसी चैनल ने पंजाब के कोहिनूर के रूप में सम्मानित किया है। गुरदास मान से बातचीत की शुरुआत होती है इन बातों के साथ कि उनके अधिकांश गीतों में समाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आवाज सुनाई देती है। एक समाजिक कुरीति आज का पंजाबी संगीत भी बनता जा रहा है, जिसमें परोसी जा रही अशलीलता व द्विअर्थी बोलों के विरुद्ध स्त्री जागृति मंच ने मोर्चा खोल रखा है। वे इस बारे में कहते हैं, मेरा मानना है कि आज हर तरफ बदलाव का दौर दिख रहा है। चाहे वह हिंदी सिनेमा हो या पंजाबी या फिर म्यूजिक वीडियो या टीवी, सभी में खुलापन बढ़ा है। इसके लिए केवल गायक या गीतकार ही नहीं, बल्कि सुनने वाले और एलबम बनाने वाली कंपनियां भी जिम्मेदार हैं। यदि श्रोता इन गीतों को पसंद न करें तो जाहिर है, यह बंद हो जाएगा। वे खुश होकर इन्हें अपना रहे हैं, तभी तो बाजार में ऐसी चीजें परोसी जा रही हैं।

वैसे तो गुरदास मान के गीत हमेशा विवादों से दूर रहे हैं और पंजाबी संस्कृति का आइना रहे हैं लेकिन आपके एक गीत अपणा पंजाब होवे, घर दी शराब होवे.. के विरुद्ध कर्नाटक के एक प्रोफेसर पंडित राव ने धरना प्रदर्शन किया और इसे युवाओं को गुमराह करने वाला कहा? गुरदास इस बारे में कहते हैं, पहली बार मेरे किसी गीत के विरुद्ध कोई रिस्पॉन्स आया, तो मुझे अच्छा लगा कि कम से कम श्रोताओं ने किसी समीक्षक की नजर से भी मुझे परखा तो सही। वैसे इस विरोध के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है कि किसी ने मेरे गीत को लेकर धरना दिया है।

2006 में गुरदास मान की फिल्म वारिस शाह - इश्क दा वारिस को अंतरराष्ट्रीय एकेडमी अवार्ड के लिए नामांकित किया गया था। वह फिल्म पंजाबी सिनेमा के लिए भी मील का पत्थर साबित हुई। उसके बाद से अब तक आपकी ओर से वैसा कोई प्रयास नहीं हुआ? वे कहते हैं, ऐसा नहीं है कि प्रयास नहीं हुआ। अभी भी मैं एक फिल्म बना रहा हूं पंजाबीए बोलिए जो अगले साल रिलीज होगी। आशा है, इसे भी लोगों का वैसा ही प्यार मिलेगा जैसा उन्होंने वारिस शाह को दिया था लेकिन यह भी तो सच है कि रोज-रोज मास्टर पीस नहीं बनते। हमारा काम है मेहनत करना और ऊपर वाले का काम है उसका फल देना।

इस वक्त क्या कर रहे हैं गुरदास मान? वे कहते हैं, हां, मैं अपनी नए एलबम की तैयारी में काफी व्यस्त हूं। इसमें 8-9 गीत होंगे जिन्हें मैंने लिखा है। गीत लिखने की प्रेरणा कहां से पाते हैं? वे कहते हैं, रोज की जिंदगी और समाज में घटित घटनाओं से।

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