अब सोहा अली खान पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाएंगी
मुंबई। अपनी अगली फिल्म 'मिस्टर जो बी कारवाल्हो' में पुलिस अधिकारी की भूमिका निभा रही हैं सोहा अली खान। इंवेस्टमेंट बैंकर से हीरोइन बनने की खास वजह क्या थी? मेरे ख्याल से मेरे जवाब से हर इंवेस्टमेंट बैंकर खुद को रिलेट कर पाएंगे। जिनका उस काम में दिल लगता है, उनके लिए त
By Edited By: Updated: Thu, 26 Dec 2013 12:30 PM (IST)
मुंबई। अपनी अगली फिल्म 'मिस्टर जो बी कारवाल्हो' में पुलिस अधिकारी की भूमिका निभा रही हैं सोहा अली खान।
इंवेस्टमेंट बैंकर से हीरोइन बनने की खास वजह क्या थी? मेरे ख्याल से मेरे जवाब से हर इंवेस्टमेंट बैंकर खुद को रिलेट कर पाएंगे। जिनका उस काम में दिल लगता है, उनके लिए तो वह बेहतरीन पेशा है, पर मैं नाइन टू फाइव ऑफिस जॉब से ऊब गई थी। हर दिन उसी बही-खाते में माथापच्ची करना, रुपए का लेन-देन करना, मुझे बोझिल लगता था। अदाकारी का शौक मुझे बचपन से था, पर यह यकीन नहीं था कि मेरी शख्सियत हिंदी फिल्मों में मैच कर पाएगी। फिर बैंकिंग की जॉब के दौरान मुंबई आई। वहां बांद्रा के बीकेसी में सिटी बैंक में काम करने लगी। धीरे-धीरे फिल्म जगत में हाथ आजमाने लगी। शुरुआत बंगाली फिल्मों से की। उसके बाद हिंदी फिल्में और ऐसे में आठ साल निकल गए। पढ़ें:मां की राह पर सोहा अली, फिल्म में पहनेंगी बिकनी
आज एमबीए डिग्रीधारक फिल्मों जैसे क्रिएटिव आर्ट प्रोफेशन में डिसीजन मेकिंग वाले ओहदों पर हैं। खुद भी उस फील्ड से होने के नाते आप कितना गर्व महसूस करती हैं? कॉरपोरेट्स के आने से फिल्मों को फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ है। कुछ एक को छोड़ दें तो वे आमतौर पर उन्हीं फिल्मों को सपोर्ट करते हैं, जिनकी डूबने की गुंजाइश कम रहती है। वैसा काम तो सिंगल प्रोड्यूसर भी करते थे। फिर दोनों में फर्क क्या रहा? एक जमाने में तो फिल्में आर्ट भी थीं, पर अब तो कॉरपोरेट्स ने उसे विशुद्ध बिजनेस बना दिया है। हां, इतना जरूर है कि वे स्क्रिप्ट को काफी तरजीह देते हैं। लिहाजा आने वाले दिनों में हमारी फिल्में कंटेंट केंद्रित हो जाएंगी।
..पर उनके आने से ज्यादा तादाद में फिल्में बन रही हैं और रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं? मैं इस बात से सहमत हूं। बच्चन साहब ने भी एकबारगी कहा था कि हिंदी फिल्में क्वांटिटी से लिए जानी जाती हैं। मैं क्वॉलिटी में यकीन रखती हूं। मैं आमिर खान की ट्रेंड सेंटिंग की कायल हूं। वे लोगों को 'देल्ही बेली' जैसी फिल्में दे रहे हैं। 'मिस्टर जो बी कारवाल्हो' वैसी ही फिल्म है। 'गो गोवा गॉन' भी हमने उसी मकसद से बनाई थी। उस फिल्म को मुंबई में एक भी प्रोड्यूसर नहीं मिला था। इल्यूमिनाटी के पास आई तो भाई (सैफ) ने हामी भरी। 'गो गोवा गॉन' बहुत धमाल नहीं मचा सकी थी। सैफ ने कहा है कि उसकी सीक्वल नहीं बनेगी? जी हां, वह बहुत सफल नहीं रही थी, लिहाजा हाल-फिलहाल तो पार्ट 2 के बारे में कुछ नहीं सोचा जा रहा। हां, लव, हार्दिक और बन्नी के किरदार को लेकर कुछ होने वाला है। 'मिस्टर जो बी कारवाल्हो' में आपने क्या-क्या कारनामे किए हैं? ढेर सारे। पहली बार कॉप का रोल प्ले कर रही हूं। उसका नाम शांतिप्रिया फड़णीस है। वह बैंगलोर पुलिस स्टेशन में कार्यरत है, लेकिन उसका अधिकांश समय अंडरकवर एजेंट के तौर पर बीतता है। वह भेष बदलकर केस क्रैक करती है। वह आमतौर पर कैबरे डांसर बनकर रहती है। उसे अंतरराष्ट्रीय हत्यारे कार्लोस को गिरफ्तार करने का केस मिलता है। गलती से वह एक टुटपूंजिए जासूस मिस्टर जो बी कारवाल्हो को कार्लोस समझ बैठती है। पिछले दिनों आपने हिंदुस्तान की पहली वार कॉमेडी फिल्म 'वार छोड़ न यार' की और अब ये फिल्म। क्या आप हर तरह की कॉमेडी के लिए तैयार हैं? मैं एडल्ट कॉमेडी तो किसी सूरत में नहीं करूंगी। उन फिल्मों में जिस तरह से औरतों का चित्रण होता है, वह बड़ा चीप होता है। साथ ही मैं फोर्स्ड कॉमेडी का हिस्सा भी नहीं बन सकती। (अमित कर्ण)
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