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फिल्‍म रिव्‍यू: दम लगा के हईशा (4 स्‍टार)

अगर आप दो घंटे के लिए एक शानदार अनुभव में खो जाना चाहते हैं तो 'दम लगा के हईशा' जरुर देखें। इस फिल्म में दिखाया गया है कि खूबसूरती वो नहीं होती जो हमें आंखों से नजर आती है। यह बहुत ही खूबसूरत फिल्म है जिसमें दिल को छू लेने

By Monika SharmaEdited By: Updated: Fri, 27 Feb 2015 06:05 PM (IST)
प्रमुख कलाकार: आयुष्मान खुराना, भूमि पेडनेकर, संजय मिश्रा, विदूषी मेहरा

निर्देशक: शरत कटारिया

संगीतकार: अनु मलिक

स्टार: 4

अगर आप दो घंटे के लिए एक शानदार अनुभव में खो जाना चाहते हैं तो 'दम लगा के हईशा' जरुर देखें। इस फिल्म में दिखाया गया है कि खूबसूरती वो नहीं होती जो हमें आंखों से नजर आती है। यह बहुत ही खूबसूरत फिल्म है जिसमें दिल को छू लेने वाली कहानी है। फिल्म के हर कलाकार ने उम्दा अभिनय किया है। फिल्म के गाने, संगीत, माहौल, डॉयलॉग सब कुछ कमाल का है। इन सबसे भी ज्यादा प्रभावशाली है फिल्म का निर्देशन।

फिल्म की कहानी एक साधारण से ल़ड़के प्रेम प्रकाश तिवारी (आयुष्मान खुराना) की है, जो अपने पिता की कैसेट प्लेयर की दूकान संभालता है, क्योंकि वह दसवीं फेल है। उसके मां-बाप (संजय मिश्रा और अलका अमीन) और बुआ (शीबा चड्डा) उसकी शादी एक पढ़ी-लिखी और कमाने वाली लड़की से करना चाहते हैं, ताकि घर की हालत में कुछ सुधर सके। इसलिए वे जबरदस्ती प्रेम की शादी बेहद मोटी लडकी संध्या से कर देते हैं।
लेकिन प्रेम संध्या से प्यार नहीं कर पाता, क्योंकि वह उसे खूबसूरत और आकर्षक नहीं लगती है। यहां तक कि संध्या के साथ प्रेम को बाजार जाने और अपने दोस्तों से मिलवाने में भी शर्म आती है। इसके बाद हमें एक तरफ प्रेम की नफरत तो दूसरी तरफ संध्या का प्यार देखने को मिलता है। बड़ी ही खूबसूरती से फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है और संध्या के व्यक्तित्व के छुपे पहलूओं को सामने लाती है।
इस फिल्म की कहानी हरिद्वार और ऋषिकेश के घाटों के आसपास बुनी गई है। यह फिल्म हमें दिखाती है कि कोई फिल्म कितनी सादगी और खूबसूरती से बनाई जा सकती है।
फिल्म के निर्देशक शरद कटारिया की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि उन्होंने हरिद्वार और बनारस की संस्कृति के साथ ही वहां के लोगों की मानसिकता को भी बहुत ही अच्छी तरह पेश कर पाए। उन्होंने इस बात का भी ध्यान रखा है कि फिल्म की भाषा बिल्कुल वास्तविक लगे। साथ ही फिल्म में बेहद मनोरंजक तरीके से हास्य का तानाबाना भी बुना गया है। 90 के दशक के संगीत और उस दौर के सबसे मशहूर गायक कुमार शानू को फिल्म के कई दृश्यों में याद किया गया है।

नई अभिनेत्री भूमि पेडनेकर ने संध्या के किरदार में जान डाल दी है। शायद ही कोई और उनके जैसी खूबसूरती व सादगी से इस भूमिका को निभा पाता। इस फिल्म की कास्टिंग लाजबाव है जिसका श्रेय कास्टिंग डाइरेक्टर शानू शर्मा को जाता है। उनकी इस बात के लिए खासतौर से तारीफ की जानी चाहिए कि इस फिल्म में उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के सबसे प्रतिभाशाली कलाकारों का चयन किया।


यकीनन यह बॉलीवुड की रोमांटिक कॉमेडी में अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्म है। 'दम लगा के हईशा' धीरे-धीरे आपके दिल में उतरती है और सिनेमा हॉल से निकलने के बाद भी आप फिल्म आपके मन में बसी होती है।
इस फिल्म की सबसे खास बात यह है कि इस फिल्म देखने के बाद अाप यकीनन अपने जीवन में उनलोगों को महत्व देना शुरू कर देंगे जिनकी आप उपेक्षा करते रहते हैं।

अवधि: 111 मिनट