डांडिया में मचेगी फैशन की धूम
गुजरात के फोक डांस के रूप में जाना जाने वाला डांडिया अब तो देश के कई हिस्सों में अपनी धूम मचा रहा है। इसकी बड़ी वजह है,धार्मिक महत्व के अलावा इसके मौज-मस्ती वाले रंग।
नवरात्र आने वाले है और इसी के साथ देशभर में डांडिया की धूम मचनी शुरू हो जाएगी। गुजरात के फोक डांस के रूप में जाना जाने वाला डांडिया अब तो देश के कई हिस्सों में अपनी धूम मचा रहा है। इसकी बड़ी वजह है,धार्मिक महत्व के अलावा इसके मौज-मस्ती वाले रंग। इस साल के गरबा डांस के दौरान फैशन में काफी कुछ चीजे नई आ चुकी हैं।
इस साल गरबा के दौरान फैशन में पटियाला सलवार पर टीशर्ट और कमर में गोटे वाला दुपट्टा काफी चलन में है जो भीड़ में भी एक अलग लुक दे रहा है।वहीं राजपूती शैली की कुर्ती भी इस साल काफी चलन में है। साथ ही इस बार बैकलेस डीप गले के डिजाइनर ब्लाउज भी आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। इसके अलावा गरबा डांस के लिए नेट डिजाइन में मिरर वर्क के साथ कच्ची एंब्रॉयडरी खासतौर से पसंद की जा रही है।
गुजरात के पारंपरिक मिरर वर्क की इस मौके पर बहुत डिमांड की जा रही है। इसमें कांच को कपड़े पर चिपकाया नहीं जाता बल्कि रंग-बिरंगे धागों से टांका जाता है। घेरेदार केड़ियों व इसके साथ पहनी जाने वाली रेडीमेड धोती की पटलियों व पगड़ी पर जब अलग- अलग आकार के रंग-बिरंगे सुंदर मिरर टांके जाते हैं तो यह परिधान एक विशेष गरबा परिधान का रूप ले लेता है। इस प्रकार के पारंपरिक गुजराती गरबा परिधान पहनकर जब आप गरबा नृत्य करेंगे तो गरबा करने का मजा ही कुछ और होगा।
इन सबके बावजूद भी पारंपरिक गरबा परिधान का जादू अब भी बरकरार है। कहते भी हैं कि नए रंग का जादू भले कितना भी हो कुछ लोगों पर वह कभी भी नहीं चढ़ता। आज के इस फैशनेबल गरबा में भी कई लोग अब भी आपको पारंपरिक ड्रेस में ही नजर आएंगे। चूंकि महिलाओं के साथ ही पुरुष भी गरबा पंडालों में गरबा खेलने जाते हैं इसलिए इस दौरान उनकी पोशाकें भी खास होती हैं। पुरुष जिस कपड़े को गरबा में पहनते हैं गुजराती में उस परिधान को'केड़िया'कहते हैं। केड़िया में छोटा घेर-घुमेर कुर्ता, धोती और रंग-बिरंगी पगड़ी होती है,जिस पर कशीदाकारी का सुंदर काम किया जाता है। केड़िया पर आमतौर पर 'ऊन-भरत वर्क' किया जाता है।
मुंबई के गणेशोत्सव में भी फैशन और फिल्मी गानों की धुनें सुनाई देती हैं। ऐसे में डांडिया को भी इस अंदाज में पेश किया जा रहा है,जिससे वह आम लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर सके। ऐसे आयोजनों की असली कामयाबी तभी है,जब उनमें धार्मिक बातों के साथ-साथ कुछ नयापन भी हो।