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बीमा का दोहरा लाभ

हम सब अपनी गाढ़ी कमाई को टैक्स की मार से बचाने के लिए बचत के उपाय ढूंढते हैं। आयकर कानून की धारा

By Edited By: Updated: Mon, 14 Jul 2014 05:40 PM (IST)
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हम सब अपनी गाढ़ी कमाई को टैक्स की मार से बचाने के लिए बचत के उपाय ढूंढते हैं। आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत बीमा, प्रॉविडेंट फंड , पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ), दीर्घकालिक एफडी, ईएलएसएस व एनएससी सहित कई विकल्प हैं। इनका इस्तेमाल कर करदाता आय का बड़ा हिस्सा टैक्स से बचा सकते हैं। लेकिन टैक्स बचाने की कोशिश में हम अपनी जरूरतें व निवेश के दीर्घकालिक नजरिये को भूल जाते हैं। वेतनभोगी वर्ग के लिए यह और महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके पास निवेश के लिए सीमित धन उपलब्ध रहता है। ऐसी स्थिति में आपको यह समझने की जरूरत है कि धारा 80 सी के तहत उपलब्ध टैक्स बचाने के सभी विकल्प मैच्योरिटी पर आपको टैक्स फ्री रिटर्न नहीं देंगे।

बीमा एक मात्र उत्पाद है जो न सिर्फ आपको टैक्स फ्री रिटर्न देता है, बल्कि आपके होने या न होने की स्थिति में आपके परिवार के वित्तीय भविष्य को सुरक्षा कवच भी प्रदान करता है। अधिकांश बच्चों के बीमा में प्रीमियम माफ करने का विकल्प होता है। इसलिए अगर अभिभावक को कुछ होने की स्थिति में पूरे प्रीमियम का भुगतान बीमा कंपनी करती है। साथ ही, बच्चे को टैक्स फ्री रिटर्न मिलता है।

बीमा की भूमिका टैक्स बचाने से ज्यादा है। यह एक ऐसा साधन है, जो आपके परिवार को कमाऊ सदस्य के असमय निधन या बीमारी की स्थिति में वित्तीय सुरक्षा देता है। बीमा खरीदते समय व्यक्ति की आय, स्वास्थ्य, उम्र, खर्च देनदारी, लक्ष्य वगैरह को ध्यान में रखा जाता है। इस तरह हर निवेशक अपनी जरूरत के अनुसार, बीमा लेने की योजना बनाकर बेहतर तरीके से इसका लाभ उठा सकता है।

तरुण चुघ

एमडी एवं सीईओ

पीएनबी मेटलाइफ