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बीमा के जरिये लड़ें घातक बीमारियों से

बीते एक दशक में नए-नए कारोबारी मॉडल्स में उद्यम पूंजी के धीरे-धीरे बढ़ते प्रवाह से भारतीय उद्योग जगत फलफूल रहा है। एक उद्यमी होने का प्रलोभन तमाम युवाओं को एक स्वतंत्र यात्रा की ओर खींच लाता है। महीने में आने वाले वेतन से खुद का मालिक होना बेहतर है, खासकर युवाओं क

By Edited By: Updated: Mon, 28 Jul 2014 01:46 PM (IST)
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बीते एक दशक में नए-नए कारोबारी मॉडल्स में उद्यम पूंजी के धीरे-धीरे बढ़ते प्रवाह से भारतीय उद्योग जगत फलफूल रहा है। एक उद्यमी होने का प्रलोभन तमाम युवाओं को एक स्वतंत्र यात्रा की ओर खींच लाता है। महीने में आने वाले वेतन से खुद का मालिक होना बेहतर है, खासकर युवाओं को यह ज्यादा रास आता है। हालांकि उद्यम शुरू करने से पहले आपको व्यावसायिक व व्यक्तिगत दोनों तरह की योजना बनाने की आवश्यकता भी होती है। इस फैसले से आप व आपके परिवार दोनों पर असर पड़ता है। आपके व्यवसाय के प्रदर्शन का विपरीत असर आपके बच्चों की पढ़ाई व उनकी शादी पर नहीं पड़ना चाहिए। खुद की मर्जी का मालिक बनने पर कई अनिश्चितताएं भी साथ आती हैं, मसलन- अनियमित आय, समुचित बचत का अभाव व कॉरपोरेट स्वास्थ्य बीमा न होना। अचानक से बीमार पड़ने की स्थिति में आपकी बचत खत्म हो सकती है। जानलेवा बीमारी से आपके भविष्य की व्यावसायिक योजना व विकास पर असर नहीं पड़ना चाहिए।

खतरनाक बीमारी युवाओं पर भी असर डाल सकती है। अक्सर इसका पता अचानक चलता है। जीवन शैली व आदतों में बदलाव से डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और वजन बढ़ने जैसी दिक्कतें आ जाती हैं। ये बीमारियां 30 से 40 वर्ष की आयु वर्ग में होती हैं। इसका मतलब है कि आयु वर्ग पर विचार किए बिना खतरनाक बीमारियों का सामना करने के लिए बीमा कवर लेना चाहिए।

कई बार एक स्टैंडर्ड हेल्थ बीमा आपके परिवार को किसी असमय की स्वास्थ्य समस्या से नहीं बचा सकता। हो सकता है कि आपके स्वास्थ्य बीमा की एक सीमा हो और उसमें डाक्टर की फीस व इलाज का पूरा खर्च शामिल न हो। ऐसा भी संभव है कि आपके बीमा में दवाओं, आइसीयू व अन्य खर्च की एक सीमा हो, जबकि आपका बिल इससे काफी अधिक हो सकता है। ऐसी स्थिति में आपके पास अपनी जेब से भुगतान करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा।

खतरनाक बीमारी से आय में नुकसान, विकलांगता व जीवन शैली में बदलाव भी हो सकता है। ऐसी स्थिति का सामना करने के लिए खतरनाक बीमारियों का बीमा प्लान लेना सबसे अच्छा तरीका है।

खतरनाक बीमारी के कवर फिक्स्ड बेनिफिट प्लान्स जैसे हैं। बीमित व्यक्ति को पूरी धनराशि मिलती है, भले ही इलाज का खर्च कितना भी हो। हालांकि विभिन्न प्लान का ब्योरा अलग-अलग हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप प्लानों की तुलना करें और उनमें से कोई ऐसा प्लान चुनें जो आपके लिए उपयुक्त हो।

कितना लें बीमा कवर:

बीमा लेने वाले को सबसे पहले यह तय करना चाहिए कि उसे कितना कवर चाहिए और कंपनी उससे क्या शुल्क ले रही है। व्यक्ति को इसके फायदों के बारे में जानकारी भी होनी चाहिए, क्योंकि इससे यह तय करना आसान होगा कि आपकी जरूरत किस हद तक पूरी हो सकती है। भविष्य की देनदारियां, इलाज की कीमत व आय हानि को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। कवर तय करने से पहले आयु-लाभ कारक पर भी ध्यान देना चाहिए।

पॉलिसी का प्रकार:

खतरनाक बीमारी बीमा प्लान एकल पॉलिसी के रूप में भी खरीदा जा सकता है। इसके अलावा एक खतरनाक बीमारी बीमा प्लान को जीवन व स्वास्थ्य बीमा के साथ भी जोड़ा जा सकता है। दोनों ही विकल्पों में पॉलिसी की शर्ते समान होंगी। हालांकि एकल पॉलिसी ज्यादा बेहतर है।

बीमारी का कवर:

व्यक्ति को कवर लेते वक्त खतरनाक बीमारी के लिए कवर का मूल्यांकन करना चाहिए। कई बीमा कंपनियां हैं, जो 20 बीमारियों पर कवर देते हैं।

पर्याप्त धनराशि का बीमा:

कवर का आकार तय करते वक्त प्रमुख बीमारियों के इलाज की औसत लागत पर विचार करना चाहिए। स्वास्थ्य बीमा खरीदने का मतलब सिर्फ इतना नहीं है कि आपको सालाना टैक्स में छूट मिल जाए। अपनी जरूरत का विश्लेषण कीजिए और उस स्थिति का आकलन कीजिए, जिसका सामना आपको जीवन में करना पड़ सकता है। खासकर जब आप कोई व्यवसाय कर रहे हैं और कंपनी की ओर से प्रदत्त स्वास्थ्य बीमा की सुविधा आपके पास नहीं है। खतरनाक बीमारी हममें से किसी को भी और किसी भी समय हो सकती है। इसलिए ऐसी समय स्थिति का सामना करने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए।

सुब्रमण्यम बी

सीनियर वीपी - हेल्थ एंड कॉमर्शियल लाइंस

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