महंगा सौदा है मोटर बीमा नहीं करवाना
मोटर बीमा नहीं करवाने के क्या नुकसान हैं? इसका जवाब देखते हैं।
सड़क दुर्घटना आज की तारीख में इतनी आम बात है कि हम रोजाना ही इस तरह के हादसों के बारे में सुनते हैं या समाचार पत्रों में पढ़ते हैं। सड़क दुर्घटना में घायल होने वालों और काल के गाल में समाने वालों की संख्या के हिसाब से भारत का स्थान दुनिया में काफी ऊपर है। वर्ष 2015 में 1.46 लाख भारतीयों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई थी। इससे होने वाली शारीरिक व आर्थिक हानि काफी ज्यादा होती है। लेकिन दूसरी संपत्तियों को दुर्घटना आपदा से होने वाली हानि और मोटर से होने वाली हानि में एक मूलभूत अंतर यह है कि कानूनी तौर पर मोटर दुर्घटना में जो हानि होती है उसके कवरेज के लिए बीमा करवाना अनिवार्य होता है। इसमें तीसरे पक्ष को होने वाली हानि का बीमा करवाना भी अनिवार्य है। सरकार की तरफ से व्यवस्था की गई है कि तीसरे पक्ष के लिए मोटर बीमा अनिवार्य हो ताकि घायल व्यक्ति या दुर्घटना में किसी तीसरे पक्ष की मौत होती है तो उसके परिवार को पर्याप्त आर्थिक मुआवजा मिले। लेकिन चिंता की बात यह है कि बड़ी संख्या में दुर्घटनाओं के बावजूद सड़क पर दौड़ने वाले वाहनों में बहुत बड़ी संख्या ऐसे वाहनों की है जिनका कोई बीमा नहीं है।
खास तौर पर बड़ी संख्या में दोपहिया वाहनों और वाणिज्यिक वाहनों का मोटर बीमा नहीं है। कई वाहनों का तो कभी मोटर बीमा करवाया ही नहीं जाता और कई बार तो पहले वर्ष के बाद दोबारा उसका नवीकरण नहीं करवाया जाता। बिना बीमा वाले वाहन को चलाना न सिर्फ कानूनी तौर अपराध है बल्कि जो वाहन चला रहा होता है उसे बड़े आर्थिक बोझ का वहन भी करना पड़ता है। अगर वह वाहन चालक भी आर्थिक तौर पर मजबूत नहीं है तो दुर्घटना से प्रभावित पक्ष को आर्थिक भरपाई नहीं हो पाती। हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई में कैबिनेट ने मोटर वाहन अधिनियम में कई संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके बाद बिना ड्राइविंग लाइसेंस के वाहन चलाने पर जुर्माने की राशि को पांच गुना बढ़ा दिया गया है जबकि सीट बेल्ट नहीं बांधने पर लगने वाले जुर्माने की राशि सौ रुपये से बढ़ा कर एक हजार रुपये करने का प्रस्ताव है। बिना बीमा वाले वाहन चलाने पर जुर्माने की राशि को एक हजार रुपये से बढ़ा कर दो हजार रुपये किया जा रहा है। ऐसे में समझदारी इसमें है कि आप समय पर मोटर बीमा करवाने में कोई कोताही नहीं करें।