पहली पत्नी की इजाजत के बिना दूसरा निकाह कर सकता है मुस्लिम पति: हाईकोर्ट
गुजरात हाईकोर्ट ने मुस्लिम महिला की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसके पति के दूसरे निकाह को अस्वीकार करने की मांग की गई थी। साथ ही स्पष्ट किया कि पहली पत्नी की मंजूरी के बिना भी मुस्लिम पति दूसरा निकाह कर सकता है।
अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने मुस्लिम महिला की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसके पति के दूसरे निकाह को अस्वीकार करने की मांग की गई थी। साथ ही स्पष्ट किया कि पहली पत्नी की मंजूरी के बिना भी मुस्लिम पति दूसरा निकाह कर सकता है। जज जेबी पारडीवाला की कोर्ट ने भावनगर निवासी साजेदाबानू की याचिका खारिज करते हुए ये फैसला दिया।
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की, मुस्लिम विवाह को मुस्लिम पर्सनल लॉ-बोर्ड के नियमों के अनुसार ही देखा जा सकता है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि पति चाहे तो अपने जीवन के दौरान चार निकाह कर सकता है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार मुस्लिम पुरुष एक पत्नी के जीवित होने पर भी दूसरा निकाह कर सकता है। इसके लिए उसे पहला निकाह विच्छेद करने की भी जरूरत नहीं है।
मुस्लिम लॉ के अनुसार निकाह एक करार है जो मात्र व्यक्तिगत आनंद और बच्चों के लिए किया जाने वाला करार है। खास कर पुरुषों की जरूरतें इसमें प्राथमिक रूप से होती हैं। पैगंबर के उपदेशानुसार, जो व्यक्ति निकाह नहीं करता वह उनका अनुयायी नहीं है। जहां तक महिला पर अत्याचार का मामला है, इसे स्थानीय कोर्ट में चलाया जा सकता है।
भावनगर गुजरात की साजेदाबानू और रायपुर, छत्तीसगढ़ के जफर मर्चेन्ट का है। साजेदाबानू का निकाह दिसंबर 1997 में रायपुर निवासी जफर अब्बास मर्चेन्ट के साथ हुआ था। दांपत्य जीवन के दौरान एक बेटी भी है।
गृहक्लेश होने पर साजेदा 2001 में मायके लौट गईं, बेटी को जन्म दिया। भावनगर में रहने के दौरान ही उसके ध्यान में आया कि पति जफर ने नगरिशबानू नामक महिला से दूसरा निकाह कर लिया है। ऐसा करने से पहले साजेदा की इजाजत भी नहीं ली। इसलिए साजेदा ने ससुरालवालों के खिलाफ दहेज प्रतिबंधक सहित धाराओं में केस दर्ज करवाया था।