उग्र हुई भीड़ ने बरसाए पत्थर, जान बचाकर भागे अफसर
कैंटोनमेंट क्षेत्र में निययों के खिलाफ बनाए गए मकानों को तोड़ने के लिए अधिकारियों ने जेसीबी मशीन से कार्रवाई की तो लोगों ने पत्थरबाजी की। अधिकारियों को जान बचाकर भागना पड़ा।
जागरण संवाददाता, अंबाला। कैटोनमेंट बोर्ड के क्षेत्र माली परेड में बोर्ड नियमों के खिलाफ जाकर बनाए मकान को मकान मालिक की सहमति के बाद ढहाने गए बोर्ड के अमले को जान के लाले पड़ गए। बोर्ड की जेसीबी मकान को ढहा रही थी और सब सामान्य चल रहा था। एकाएक एक युवक ढहाए जा रहे मकान के अंदर घुस जाता है और सीधे जेसीबी के आगे के हिस्से पर लटक जाता है। आनन फानन में बोर्ड कर्मचारी व पुलिसकर्मी युवक को काबू करने दौड़ते हैं। वही, आसपास खड़ा हुजूम एक दूसरे को हल्लाशेरी देता है और भीड़ पथराव करना शुरू कर देती है। चूंकि, तोड़फोड़ आपसी सहमति से की जा रही थी तो पुलिस बल भी पर्याप्त नही था।
वहीं, भीड़ ने अधिकारियो को घेरते हुए पास पड़ी ईंटो से बोर्ड की जिप्सी व जेसीबी में तोड़फोड़ शुरू कर दी। हालात को बिगड़ता देख अधिकारियो व कर्मचारियो ने दौड़ लगाने में ही गनीमत समझी। ऐन मौके पर मकान से जुड़ा पक्ष बीच में उतर आता है व भीड़ को शांत कराना शुरू कर देता है। संबंधित पक्ष वहां डटे तोपखाना चौकी इंचार्ज पुलिस से भी मिन्नतें करता हैं कि यह पथराव उन्होने नही किया, उनकी ऐसी मंशा होती तो वे पहले ही क्यो तोड़ने देते। अमले को वापस बुलाने की गुजारिश भी की। हालांकि, तब तक बोर्ड के अधिकारी तोपखाना चौकी में शरण ले चुके थे।मकान नंबर 27/265 को लेकर मामला मूंछ का सवाल बन गया था। असल में दो बार बोर्ड का दस्ता बैरंग लौट आया था। पहली बार सीईओ की अगुवाई में दस्ता नव निर्मित मकान को तोड़ने को गया था। जब महिलाएं मकान में जा पहुंची थी। इसके बाद 3 अगस्त को मकान को गिराने की तैयारी हुई। बाकायदा नायब तहसीलदार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट बनाया गया लेकिन कानून व्यवस्था के हालात को देखते हुए एक बार फिर कार्रवाई टाल दी गई थी। इस बार मकान से जुड़े पक्ष ईश्वर नामक व्यक्ति से बाकायदा समझौते के बाद बोर्ड का अमला कार्रवाई करने पहुंचा था।
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जानकारी के मुताबिक जो समझौता हुआ था उसमें सीधे सीधे मकान से जुड़े पक्ष पर दबाव बनाने की बात बताई जा रही है। क्योकि ईश्वर के परिजन खुद बोर्ड के ठेके लेने आदि से जुड़े हैं। अलबत्ता, आपसी सहमति बनने के बाद शुक्रवार को अमला को कार्रवाई करने पहुंचा था। इसके बावजूद ईश्वर की अनुपस्थिति में युवक जेसीबी के पंजे से आ लटका जिसके बाद शांतिपूर्ण माहौल एकाएक उग्र रूप ले गया।पढ़ें : अाखिर कहां गया एथलीट धर्मबीर, कोच को भी नहीं मिल रहा उसका अता-पता
हाथ जोड़ माफी मांगी लेकिन इंजीनियर बोले, जान चली जाती तो
इस मामले में ईश्वर ने दोबारा से तोड़फोड़ शुरू कराने की पूरी कोशिश की लेकिन बात नही बनी। वह चौकी में पुलिस व बोर्ड के अधिकारियो के सामने बार बार हाथ जोड़कर कहता रहा कि वह सब नुकसान की भरपाई करने को तैयार है। तोड़ाफोड़ का उसका कोई मंसूबा नही था अगर होता तो वह मकान को क्यो तोड़ने देता। कुछ लोगो ने भावावेश में माहौल खराब कर दिया है। इसमें उसका कोई कसूर नही है। उसकी हालात ऐसी है कि उसका मकान भी ढह गया और एक और झंझट में फंस गया।
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हालांकि, रिपोर्ट लिखवा रहे बोर्ड के इंजीनियर सतीश गुप्ता का कहना था कि वह सब ठीक है लेकिन जिस प्रकार से उन्होने भाग कर जान बचाई है और पत्थर से किसी की जान चली जाती तो फिर भरपाई कैसे होती। इसलिए वे एक बार फिर से विश्वास कर वापस जाकर और जोखिम नही ले सकते। उन्होने कहा कि जिस ने भी शुरूआत की है उसकी पूरी वीडियोग्राफी कराई हुई है और अब कार्रवाई कराई जाएगी।
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कम संख्या के बावजूद नही भागी पुलिस
तोपखाना से एसआइ बलराज ¨सह के साथ पुलिस बल गया था। जब ईट-पत्थर बरसने लगे तो निशाने पर बोर्ड के अफसर ही थे। सैकड़ो लोगो में घिरा पाकर बोर्ड कर्मियो ने भागने में गनीमत समझी लेकिन पुलिस डटी रही। दरअसल, मकान से जुड़े पक्ष ईश्वर ने आकर सीधे लोगो को शांत होने को कहा तो एएसआइ बलराज को हालत संभालने में मदद मिलने लगी थी। एएसआई बलराज के मुताबिक चूंकि, तोड़फोड़ आपसी सहमति से की जा रही थी इसीलिए ड्यूटी मजिस्ट्रेट और ज्यादा संख्या में पुलिस बल तैनात नही किया गया था। अब इस मामले में शिकायत के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
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