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भिवानी के मिताथल खनन में मिला हडप्पा कालीन मकान व रसोई

By Edited By: Updated: Wed, 01 Feb 2012 12:10 AM (IST)
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देवेश श्रीवास्तव, भिवानी

भिवानी से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित गांव मिताथल में करीब साढ़े चार हजार पुरानी सभ्यता का एक मकान व रसोई मिला है। पुरातत्व विभाग को यह अब तक की सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है। हालांकि इससे पूर्व प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी कई बड़ी ऐतिहासिक जानकारियां मिल चुकी हैं।

पुरातत्व विभाग के निदेशक डॉ. प्रोफेसर मनमोहन कुमार के नेतृत्व में गांव मिताथल में खुदाई का कार्य चल रहा है। आज से पूर्व यहां पर हडप्पा कालीन कोई बड़ी उपलब्धि नहीं मिली थी। लेकिन आज हडप्पा कालीन एक मकान व रसोई मिला है। रसोई में सिलबंट्टा, हारा व चूल्हा मिला है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यहां का लिविंग आफ स्टेंडर्ड का काफी ऊंचा था। भले ही मकान कच्ची ईंटों का था, लेकिन यहां मिलने रहा सामान काफी अच्छी गुणवत्ता वाला है। मिताथल में भले ही हड़प्पा कालीन सड़कें व गलियां अभी नहीं मिली हैं पर भविष्य में होने वाली खुदाई में इस तरह की संभावनाएं जरूर हैं। भिवानी जिले के ही गांव नौरंगाबाद में कुषाण व योद्धा कालीन गणराज्य के सिक्के बनते थे। पुरातत्व विभाग को यहां पर सिक्के बनने के कई प्रमाण मिल चुके हैं। हालांकि वर्तमान में यहां खुदाई नहीं चल रही है। प्रदेश के कई स्थानों पर हड़प्पा व उत्तर हड़प्पा कालीन नगरों के प्रमाण मिले हैं। भिरड़ाना, फरमाणा व राखी गढ़ी में हड़प्पा कालीन गलियां व सड़कें भी मिली हैं। मिताथल में शोध कर रहे डॉ. विवेक ने बताया कि अब तक के शोध से तो यहीं पता चल रहा है कि हड़प्पा कालीन संस्कृति में यदि कोई राजशाही प्रणाली होगी तो वह एक अच्छा लोकतंत्र हो सकता है। क्योंकि अभी तक यहां पर शानदार नगरीय सिस्टम के प्रमाण तो मिले हैं पर कोई हथियारों का जखीरा नहीं मिला है, जबकि मोसोपिटामिया व मिश्र की सभ्यता में पिरामिडो के अलावा हथियारों का बड़ा जखीरा भी मिल चुका है। मजेदार बात तो यह है कि हड़प्पा कालीन नगरीय व्यवस्था आज के हुडा व टाउन प्लानिंग जैसी थी। यह संस्कृति भारत व पाकिस्तान में मिलती है। उन्होंने बताया कि नौरंगाबाद में पूर्व में हुई खुदाई के दौरान कुषाण व योद्धा गणराज्य के सिक्के बनते थे, जो विभाग को मिल चुके हैं।

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