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हड़प्पाकाल में हरियाणा के भिवानी में था औद्योगिक केंद्र

खोदाई में मिले अवशेष से पता चला है कि अरावली पर्वत श्रृंखला उस समय भी मौजूद थी। इस पर्वत श्रृंखला से पत्थर व तांबे से आभूषण बनाए जाते थे।

By Atul GuptaEdited By: Updated: Tue, 17 May 2016 01:54 AM (IST)
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भिवानी, बलवान शर्मा। हरियाणा के भिवानी जिले के गांव तिगड़ाना में पांच हजार साल पुरानी हड़प्पाकालीन सभ्यता के महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं। गांव में पहली बार की जा रही खोदाई से पता चला है कि हड़प्पाकाल के दौरान तिगड़ाना महत्वपूर्ण औद्योगिक और व्यवसायिक केंद्र था। यहां से गुजरात व अफगानिस्तान तक व्यवसाय होता था। खुदाई में मिले अवशेष से पता चला है कि अरावली पर्वत श्रृंखला उस समय भी मौजूद थी। इस पर्वत श्रृंखला से पत्थर व तांबे से आभूषण बनाए जाते थे।

खुदाई के दौरान चूल्हे व हारा (बड़ा चूल्हा) के अवशेष भी मिले हैं। यहां पर बड़ी संख्या में हड़प्पाकालीन मिट्टी के बर्तन, जिनमें मिट्टी की थालियां, कटोरे, गिलास व अन्य बर्तन मिले हैं। इसके अलावा कम कीमती पत्थरों के मनके, चूडिय़ां, पशुओं की आकृति के खिलौने मिले हैं। अगेट और कार्लियन पत्थर के मनके भी यहां पर मिले हैं, जो कि गुजरात से यहां लाए जाते थे। अफगानिस्तानी लाविश लाजुली पत्थर के मनके भी मिले हैं। प्रतीत होता है कि इस व्यवसायिक केंद्र पर गुजरात व अफगानिस्तान से व्यवसाय होता था। राखी गढ़ी व भिरड़ाना की समकालीन सभ्यता यहां पर बसी हुई थीं और यहां भी आपस में व्यवसाय होता था।

ईंट से बनाते थे मकान
उत्खनन में मिले अवशेष से पता चला है कि हड़प्पाकाल में भी लोग मिट्टी की ईंटों के घर बनाते थे। कच्ची व पक्की दोनों ही तरह की ईंटें उस समय इस्तेमाल होती थी।

हड़प्पाकालीन लिपि भी मिली
पुरातत्व विभाग को एक पशु खिलौने का बड़ा अवशेष मिला है। इस पर कुछ लिखा हुआ है। हालांकि उस समय की लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं गया है। पुरातत्वविदों के अनुसार उस समय सांकेतिक भाषा होती थी। उदाहरण के तौर पर यदि गर्मी लिखनी है तो गोल दायरा बनाकर सूर्य की फोटो बना दी जाती थी।

वर्जन
''तिगड़ाना उतर हड़प्पाकालीन समय का एक बड़ा औद्योगिक केंद्र था। यहां पर फियान्स की वस्तुएं बनाई जाती थीं, जो उतर भारत के अन्य क्षेत्रों में भेजी जाती थीं। उत्खनन से हमें बड़ी संख्या में फियांस की वस्तुएं मिली हैं। फियांस एक प्रकार का लेप है, जो कि पत्थर को पीसकर बनाया जाता था। इससे महिलाओं के सौंदर्य आभूषण बनाए जाते थे।( डॉ. नरेंद्र परमार, निदेशक, तिगड़ाना पुरातत्व रिसर्च प्रोजेक्ट)

पढ़ें- भिवानी के मिताथल खनन में मिला हडप्पा कालीन मकान व रसोई

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