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वित्तमंत्री जेटली की नसीहत, टैक्स चुकाना हर नागरिक का दायित्व

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश में अब वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए निचले दर के टैक्सेशन की जरूरत है।

By JP YadavEdited By: Updated: Mon, 26 Dec 2016 02:58 PM (IST)
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फरीदाबाद (जेएनएन)। नोटबंदी के बाद बदले माहौल के मद्देनजर वित्त मंत्री ने कहा कि आने वाले दशकों में देश में ऐसा माहौल बनाना होगा कि लोग नियमों के तहत स्वेच्छा से उचित टैक्स भरें। उन्होंने कहा कि आने वाले दशकों में हमारा भारत एक ऐसा देश होने जा रहा है, जहां टैक्स को लेकर लोगों का आचरण खुद नियमों के अनुकूल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हम देख पा रहे हैं कि भारत अगले दशकों में ऐसा भारत बनेगा जहां नियमों के स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा मिलेगा।

अरुण जेटली ने ये बातें फरीदाबाद में सीमा शुल्क एवं नशीले पदार्थों की राष्ट्रीय अकादमी के आंतरिक राजस्व सेवा (आईआरएस) (सीएडसीई) अधिकारियों के 68वें बैच के पेशेवर प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहीं।

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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार टैक्स का दायरा बढ़ाने की दिशा में जीतोड़ कोशिशें कर रही है। इसके तहत सरकार टैक्स की दरें कम करने पर भी विचार कर रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश में अब वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए निचले दर के टैक्सेशन की जरूरत है। जेटली ने कहा कि अब हमें निचले दर के टैक्सेशन की जरूरत है, ताकि हम सेवाओं को अधिक प्रतिस्पर्धी बना सकें। प्रतिस्पर्धा घरेलू नहीं, बल्कि वैश्विक है। आप सेवाओं में एक यही महत्वपूर्ण बदलाव महसूस करेंगे।

टैक्स को लेकर भारतीय जनमानस का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले सात दशकों से यह धारणा बनी हुई थी कि सरकारी राजस्व को चूना लगाना कोई अनैतिक बात नहीं। इसे व्यावसायिक सूझबूझ का हिस्सा माना जाता रहा। लेकिन, इस चक्कर कुछ लोगों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़े।

वित्त मंत्री ने कहा कि उचित टैक्स चुकाना नागरिकों का दायित्व है और टैक्स नहीं चुकाने के गंभीर परिणाम भुगतने होते हैं।

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