रामलीला कमेटी श्री कृष्ण मंदिर झाड़सा
-रामलीला की पुरानी परंपरा बरकरार वर्ष 1879 से हो रही है मानस आधारित रामलीला 30 जीयूआर 8 ग
By Edited By: Updated: Mon, 29 Sep 2014 06:58 PM (IST)
-रामलीला की पुरानी परंपरा बरकरार
वर्ष 1879 से हो रही है मानस आधारित रामलीला 30 जीयूआर 8 गुड़गांव शहर बसने से पहले झाड़सा और पटौदी में रामलीला हुआ करती थी। झाड़सा का प्राचीन कृष्ण मंदिर साक्षी है, पुरानी रामलीला का।
आकर्षण पेट्रो मैक्स की रोशनी और बगैर माइक के होने वाली इस रामलीला के बारे लोग कहते हैं कि जब झाड़सा के राम तालाब पर पात्र संवाद और मानस की चौपाइयां गाते थे। तब यह ध्वनि राजीव चौक तक सुनाई पड़ती थी।
इतिहास जानकार बताते हैं कि श्री कृष्ण मंदिर झाड़सा में सन 1879 से रामलीला शुरू हुई थी। श्री कृष्ण मंदिर में बाबा युगल दास के नेतृत्व में जब रामलीला होती थी, तब वे राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, सीता, हनुमान आदि पात्रों को रामलीला के दौरान मंदिर में ही रखते थे। पात्रों का जीवन देवताओं सरीखा होता था। बाबा युगल दास ने रामलीला शुरू करवाई थी। बाद में मंदिर परिसर से झाड़सा गांव के राम तालाब के पास यह मंडली रामलीला करने लगी। फिर 1980 में इस रामलीला मंडली के दो भाग हो गए। एक मंडली राम तालाब के पास और दूसरी मूल मंडली प्राचीन कृष्ण मंदिर परिसर में रामलीला करने लगी। विशेषता इस रामलीला की और खासियत है पात्र हमेशा से इसमें जुड़ाव रखने लगे। बुजुर्ग हिम्मत सिंह सोनी कई वर्षो से ऋषि मुनियों के किरदार निभाते रहा हैं। जबकि रामलीला के संगीतकार राकेश कौशिक कई वर्ष तक राम की भूमिका निभाई है। इस मंडली ने अपने पुराने स्वरूप को कई मायने में बरकरार रखा है। यहां रामलीला राम चरित मानस पर आधारित है। व्यास पीठ से पहले मानस की चौपाइयां सुनाई जाती है, इसके बाद उसका हिंदी रुपांतरण संवाद पात्र बोलते हैं। कार्यकारिणी मेरे लिए यहां रामलीला में अभिनय नवरात्रों की पूजा से कम नहीं है। पुराने लोगों के अनुभव से सीखा है मगर आज तो हमारे पास माइक, लाइट और मंच सज्जा आदि के लिए आधुनिक तकनीक है। बुजुर्ग बताते हैं कि किस तरह गैस वाली बत्ती के सहारे बगैर माइक के रामलीला हुआ करती थी। -शीतल सोनी, हनुमान की भूमिका, प्रबंधन। मैं 53- 54 साल से रामलीला कमेटी से जुड़ा हूं। इस बार विश्वामित्र की भूमिका निभाई है। पहले जब भी जो भूमिका मिलती थी मैं करता था। हमारा मंदिर एक सिद्ध मंदिर है। पहले यहां साधु महात्मा रहा करते थे। - हिम्मत सिंह सोनी, राम लीला कमेटी। 133 साल से चली आ रही परंपरा के अनुसार रामलीला का निर्देशन कठिन होता हैं। कई पीढि़यों से लोग रामलीला देख रहे हैं और उम्मीद और बेहतरी की होती है। हम इसका सफल आयोजन कर पाते हैं, यह भगवान का ही आशीर्वाद है। - प्रक ाश कौशिक, निर्देशन। मानस की कर्णप्रिय चौपाइयों के साथ जब रामलीला होती है तो लोगों का जुड़ाव इससे काफी हो जाता है। यह हमारे लिए संस्कृति के साथ आध्यात्म और धर्म के साथ जोड़ता है। नई पीढ़ी भी इसे पसंद करती है। -राकेश कौशिक, संगीतकार रामलीला कार्यक्रम। कार्यक्रम एक अक्टूबर - लक्ष्मण मूर्छा। दो अक्टूबर - कुंभकरण वध। तीन अक्टूबर - रावण वध। चार अक्टूबर - राम का राजतिलक।
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