रामायण काल जैसा पानी में तैरता है ये 40 किलो का पत्थर, जाने कहां मिला...
यमुना नहर के किनारे लोगों को पानी में तैरता पत्थर मिला है। 40 किलो के इस पत्थर को तैरते देख तर्कशील सोसायटी भी हैरान है।
करनाल [प्रदीप शर्मा]। पत्थर तैरने की घटना का विवरण त्रेता युग में रामायण काल में तो सुनने को मिलता है, लेकिन वर्तमान में इस प्रकार की घटना सच नहीं मानी जाती। मगर पश्चिमी यमुना नहर के पास काम करने गए चार मजदूरों को 40 किलो का पत्थर तैरता हुआ मिला। वे उसे अपने गांव धोलगढ़ में ले आए। पत्थर के तैरने की सूचना पर लोगों का जमावड़ा लग गया। वहीं तर्कशील सोसाइटी के अनुसार अभी तक जो तैरते हुए पत्थर मिले हैं, उनका वजन अमूमन दो से तीन किलोग्राम देखने को मिला है। उनका आकार भी एक फुट तक का होता है। ऐसे में 40 किलो के पत्थर के तैरने की घटना जांच का विषय है।
धोलगढ़ गांव के चार युवक कुलदीप, सलिंद्र, मामूराम व जयकिशन पश्चिमी यमुना नहर के पास काम पर गए हुए थे। दोपहर का खाना खाने के बाद जब वे नहर किनारे टहलने लगे तो कुलदीप की नजर नहर में तैर रहे पत्थर पर पड़ी। इसके बाद वह चारों नहर में उतरे और पत्थर की जांच पड़ताल करने लगे। नहर किनारे से पत्थर को जब उन्होंने नहर के अंदर धक्का दिया तो वह नहीं डूबा। इसके बाद वह चारों उसे गांव ले आए।
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पत्थर की विशेष बात यह भी है कि यदि उसका कोई टुकड़ा तोड़कर पानी में डाला जाता है तो वह आसानी से डूब जाता है, लेकिन करीब 40 किलो वजनी पत्थर नहीं डूबता। फिलहाल धौलगढ़ के ग्रामीणों ने उस पत्थर को सहेज कर रखा हुआ है।
तर्कशील सोसायटी की करेगी जांच
तर्कशील सोसायटी हरियाणा के पूर्व प्रधान बलवंत सिंह का कहना है कि मेरी जानकारी के अनुसार अभी तक जो तैरने वाले पत्थर मिले हैं वह दो से तीन किलोग्राम के ही थे। ये अंदर से खोखले होते हैं। इसका व्यास भी एक फुट तक का होता है। 40 किलोग्राम का पत्थर तैरने वाला हो यह अविश्वसनीय है। वह टीम के साथ गांव जाएंगे और जांच पड़ताल करेंगे।
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