जागरण संवाददाता, करनाल : सखी सैंया तो खूब कमात है..महंगाई डायन खाय जात है..। ¨हदी फिल्
By Edited By: Updated: Wed, 27 Jul 2016 07:12 PM (IST)
जागरण संवाददाता, करनाल : सखी सैंया तो खूब कमात है..महंगाई डायन खाय जात है..। ¨हदी फिल्म का यह पुराना गाना सब्जियों के आसमान छू रहे दामों पर सटीक बैठता है। मंहगाई के इस दौर में नौकरीपेशा लोगों के घरों का बजट गड़बड़ा गया है। फल व सब्जियों के दामों में उछाल से आम आदमी के पसीने छूटने लगे हैं। जिले के किसानों की सब्जियां मंडी में नहीं आने व पहाड़ी क्षेत्र में बरसात का असर दामों में उछाल के रूप में साफ दिखाई दे रहा है। महंगाई के कारण सब्जियां आम आदमी की थाली से धीरे-धीरे गायब हो रही हैं। अच्छे दिनों की आस में बैठे लोग इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहे हैं। टमाटर के तेवर इन दिनों लाल हैं। सब्जी मंडी में यह 40 रुपये प्रति किलो से कम नहीं है। मटर खाना अब आम आदमी के बूते से बाहर है। इसके दाम 100 रुपये प्रति किलो हो चुके हैं। हरी मिर्च भी अपने तेवर दिखा रही है। बीते वर्ष जुलाई में इसके दाम 20 रुपये किलो तक थे, लेकिन इस बार चार गुणा इजाफे के साथ यह 80 रुपये प्रति किलो से कम नहीं है। दामों में बेतहाशा वृद्धि देखकर आम आदमी सब्जियों को केवल दूर से ही देख सकता है।
सब्जियों के दाम
सब्जी बीते वर्ष दाम अब टमाटर 25 40
¨भडी 30 40 घीया 30 40
प्याज 30 16 आलू 10 20 बैंगन 40 40 करेला 30 40 मटर 80 100 हरी मिर्च 20 80 अरबी 20 30 पेठा 15 40 ¨नबू 80 80 फलों के दाम फल बीते वर्ष अब सेब 160 200 अनार 90 150 केला 50 60 हिमाचल व शिमला से आ रही खेप सब्जी विक्रेता संदीप व प्रमोद कुमार ने बताया कि जिले की सब्जी मंडी में इन दिनों हिमाचल व शिमला से अधिकतर फल व सब्जियां आ रही हैं। दुकानदारों की मानें तो बाहर से आने के कारण दामों में बढ़ोतरी होना आम बात है। जैसे ही हरियाणा की सब्जियां बाजार में आना शुरू होंगी तो दामों में अपने आप गिरावट आ जाएगी। फल व सब्जियों के आयात में किराया व अन्य कर लगते हैं। इससे लोगों तक पहुंचने में सब्जियों के दाम कई गुणा बढ़ जाते हैं। ??शहर के थोक व्यापारियों का कहना है कि स्थानीय इलाकों से आने वाली सब्जियों की आवक में भारी कमी आने के कारण सब्जियों के दाम बढ़े हुए हैं। सेल कम, कहां जाएं हम सीएम सिटी में बीते कुछ महीने पहले ही पुरानी सब्जी मंडी को नई सब्जी मंडी में शिफ्ट किया गया है। रेहड़ी व फड़ी लगा रहे बिट्टू, राजू, राजेश व कर्म ¨सह ने कहा कि शहर से दूर होने के कारण यहां ग्राहकों की संख्या काफी कम है। ऊपर से फल व सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। इससे दिहाड़ी भी नहीं निकलती है। अब तो परिवार का गुजारा चलाना भी दूभर हो गया है। सेल कम है ऐसे में हम कहां जाएं यह नहीं सूझ रहा। घरों को बजट गड़बड़ाया गृहणी सरोज, रजनी, रेणू, पूजा व अल्का का कहना है कि महंगाई की मार के कारण के घरों का बजट गड़बड़ा गया है। अमीर आदमी तो इस मार को झेल सकते हैं, लेकिन आम आदमी इससे टूट गया है। आमदनी के साधन सीमित होने और महंगाई का ग्राफ प्रतिदिन बढ़ने से जीना दुश्वार हो गया है। सब्जियों के दाम इस प्रकार ही आसमान छूते रहे तो वह दिन दूर नहीं होगा जब यह अमीरों की ही थाली में नजर आएगी
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