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पुस्तकालय अध्यक्ष की श्रेणी का मामला उलझा

By Edited By: Updated: Thu, 24 May 2012 01:00 AM (IST)

सतीश चौहान, कुरुक्षेत्र

प्रदेश सरकार पुस्तकालय कर्मियों को गैर शिक्षक श्रेणी में डालना चाहती है या नहीं यह मामला उलझता जा रहा है। प्रदेश सरकार के ही दो आदेश इस मामले को उलझा रहे हैं। अब यह कुवि प्रशासन के लिए भी सिरदर्द बन गया है। कुवि प्रशासन इस मामले को 8 मई को कार्यकारिणी परिषद की बैठक में ला चुका है, लेकिन कर्मचारियों के विरोध के बाद कुवि ने इसे प्रदेश सरकार के पास भेज पुनर्विचार के लिए भेज दिया। वहीं पुस्तकालय संघ ने इस बारे में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मिलकर श्रेणी के साथ छेड़छाड़ न करने की मांग की है।

बेशक यूजीसी के नियमों के अनुसार विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के पुस्तकालयों में कार्य करने वाले पुस्तकालयाध्यक्षों, पुस्तकालय कर्मचारियों की योग्यता शिक्षकों के बराबर हो और यूजीसी ने इनकों शिक्षक कर्मचारियों की श्रेणी में शामिल किया हो, लेकिन प्रदेश सरकार इस बारे में विश्वविद्यालय प्रशासन को उलझा रही है। उच्चतम शिक्षा निदेशालय की ओर 18 जनवरी को भेजे गए आदेश और 21 जुलाई को प्रदेश सरकार की ओर से जारी छठे वेतन आयोग की अधिसूचना अलग-अलग राग अलाप रहे। उच्चतम शिक्षा कमीश्नर की ओर जारी पत्र में इन कर्मचारियों को गैर शिक्षक कर्मचारी की श्रेणी में शामिल करने का आदेश दिया है। जबकि प्रदेश सरकार की ओर से जारी छठे वेतन आयोग का नोटिफिकेशन इनको यूजीसी के अनुसार शिक्षक श्रेणी में शामिल कर रहा है।

अब इस मामले में कुवि प्रशासन भी उलझ गया है। कुवि की ओर से इस मामले को आठ मई को हुई कार्यकारिणी परिषद की बैठक में शामिल किया था, लेकिन कार्यकारिणी परिषद ने इस मामले को अगली बैठक तक टाल दिया है। कुवि ने इस बारे में पुनर्विचार के लिए प्रदेश सरकार से आग्रह किया है।

मुख्यमंत्री से मिले पुस्तकालयाध्यक्ष :

हरियाणा पुस्तकालय संघ के सदस्य इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मिल चुके हैं। 21 मई को कुरुक्षेत्र दौरे पर आए मुख्यमंत्री को संघ के सदस्यों ने ज्ञापन सौंप कर मांग की है कि पुस्तकालय कर्मियों की श्रेणी के साथ कोई छेड़छाड़ न की जाए। हरियाणा पुस्तकालय संघ के प्रदेशाध्यक्ष आरडी मैहला ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले में खुद संज्ञान लेने की मांग की है। उन्होंने बताया कि उनकी योग्यता और भर्ती प्रक्रिया की शर्ते शिक्षकों के बराबर हैं। फिर उन्हें गैर शिक्षक कर्मचारियों की श्रेणी में शामिल क्यों किया जा रहा है? आरडी मैहला ने कुवि कुलपति का इस मामले में पुनर्विचार करने के फैसले का स्वागत किया है।

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