यहां है भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ी हर वस्तु, समुद्र के नीचे डूबी द्वारिका नगरी के अवशेष भी मौजूद
भगवान श्रीकृष्ण पर कुरुक्षेत्र में देश का एकमात्र संग्रहालय है। यहां हजारों साल पुरानी मूर्तियों के साथ द्वारिका मथुरा में मिले पुरातात्विक अवशेष भी मौजूद हैं।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Mon, 18 May 2020 09:36 AM (IST)
कुरुक्षेत्र [सतविंद्र सिंह]। भगवान श्रीकृष्ण के विराट रूप और महाभारत के धर्मयुद्ध के साक्षी कुरुक्षेत्र का श्रीकृष्ण संग्रहालय ऐतिहासिक, पौराणिक और धार्मिक साक्ष्यों को अपने में समेटे हुए है। यह संग्रहालय देश का एकमात्र संग्रहालय है जो भगवान श्रीकृष्ण पर आधारित है। इस संग्रहालय में श्रीकृष्ण, महाभारत और कुरुक्षेत्र पर आधारित साक्ष्यों के अलावा उत्तर प्रदेश के मथुरा, हिसार के राखीगढ़ी, फतेहाबाद जिले के बनवाली से मिले पुरातात्विक अवशेष सुरक्षित रखे गए हैं। इतना ही नहीं, समुद्र के नीचे डूब चुकी द्वारिका नगरी की दीवार के अवशेष भी यहां पर रखे गए हैं। धरती के गर्भ से निकली हजारों साल पुरानी मूर्तियों के अलावा देशभर में अलग-अलग धातु, मिट्टी और कपड़े से बनी श्रीकृष्ण की मूर्तियों को भी यहां प्रदर्शित किया गया है।
1987 में बना था श्रीकृष्ण को समर्पित संग्रहालय
यह संग्रहालय भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है जिसे कुरुक्षेत्र विकास प्राधिकरण के ओर से 1987 में बनवाया गया था। इसे बाद में मौजूदा इमारत में स्थानांतरित कर दिया गया था। इसका भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटारमन द्वारा उद्घाटन किया गया था। इस हाउस के दूसरे हिस्से में कुछ अन्य गैलरियां भी हैं, जिन्हें मल्टी मीडिया, महाभारत और गीता गैलरी के नाम से जाना जाता है।
इसकी स्थापना 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने की थी। इस संग्रहालय में भगवान श्री कृष्ण के बारे में समस्त जानकारियां प्रदान की जाती हैं। उनके सभी स्वरूपों, अवतारों, कार्यों के बारे में बताया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण को एक दार्शनिक, सच्चे धार्मिक नेता और प्रेमी के रूप में भी कलाकृतियों, मूर्तियों, चित्रों, शिलालेखों के द्वारा दर्शाया गया है।
गैलरियों में यह है खास पहली गैलरी : कास्ट धातु हाथी दांत निर्मित भारत के विभिन्न क्षेत्रीय शैलियों की कलाकृतियां।दूसरी गैलरी : पुरातात्विक गैलरी, कुरुक्षेत्र, हरियाणा, द्वारिका व मथुरा से प्राप्त पुरातात्विक वस्तुएं एवं पत्थर की मूर्तियों का संग्रह है। मुख्य आकर्षण द्वारिका के समुद्र के गर्भ से प्राप्त पुरा वस्तुएं हैं। हरियाणा के महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल बनावली, कुनाल, राखीगढ़ी, दौलतपुर, जोगनाखेड़ा इत्यादि स्थानों से पुरा वस्तुएं प्रदर्शित है।
तीसरी गैलरी : श्रीमदभगवद गीता पर आधारित पांडु लिपियों का संग्रह, गीता पर आधारित 26 भगवद गीता पर आधारित कांगड़ा शैली में लघु चित्रों का संग्रह। उड़ीसा शैली में ताड़ पत्र, तमिलनाडू ताजौर शैली के चित्र, राजस्थानी लघु चित्रों के साथ-साथ पिच्छवई एवं उड़ीसा के पट्टचित्रों का संग्रह।चौथी गैलरी : क्षेत्रीय कला शैली में निर्मित झांकियों का प्रदर्शन, जिसमें राजस्थानी शैली में भीष्म शैया, मणिपुरी शैली में रासलीला एवं कर्नाटक शैली में अभिमन्यु वध के दृश्य। इसके साथ ही आंध्र प्रदेश की चर्म निर्मित कठपुतलियां प्रदर्शित हैं।
पांचवी गैलरी : महाभारत पर आधारित भारत की विभिन्न चित्रकला शैलियों में म्यूरल प्रदर्शित है।छठी गैलरी : कृष्ण के जन्म से लेकर गीता उपदेश तक कृष्ण लीला की विभिन्न झांकियों का प्रदर्शन है।
मल्टी मीडिया महाभारत व गीता गैलरी है खाससंग्रहालय के दूसरे हिस्से में मल्टी मीडिया, महाभारत एवं गीता गैलरी समेत नौ गैलरी हैं। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से हरियाणा पर्यटन की ओर से एक मल्टी मीडिया महाभारत और गीता गैलरी भी स्थापित की गई है। मल्टी मीडिया, महाभारत एवं गीता गैलरी। महाभारत कथा की मुख्य घटनाओं को फाइबर ग्लास रिलीफ वर्क, डिजिटल ङ्क्षप्रट एवं कैनवस पर चित्रण के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। इस गैलरी का मुख्य आकर्षण 11 मिनट का गीता शो है। जिसमें गीता को सरल भाषा में कृष्ण अर्जुन के संवाद के माध्यम से समझाया गया है। देश-विदेश से पर्यटक इस संग्रहालय को देखने आते हैं।
महाभारतकालीन के कई साक्ष्य मौजूदकुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा का कहना है कि कृष्ण संग्रहालय महाभारत की घटना को प्रमाणित करता है। यहां महाभारतकालीन के कई साक्ष्य मौजूद हैं। साथ ही कृष्ण के जीवन की संपूर्ण लीलाएं यहां पर प्रदर्शित हैं। हर माह इस संग्रहालय को देखने के लिए देश विदेश से 30 हजार से ज्यादा पर्यटक पहुंचते हैं।
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