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भाजपा विधायकों का दर्द, अफसर हमारी सुनते नहीं बिचौलियेे करा रहे काम

मनोहर सरकार को करीब दो साल हो गए हैंं लेकिन अभी तक बिचौलिये सक्रिय हैं। विधायक दल की बैठक में माननीयों का दर्द साफ झलका। जाने विधायकों ने क्या कहा ?

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Wed, 27 Jul 2016 06:28 PM (IST)
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राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। भाजपा सरकार के विधायक अभी भी अफसरों की मनमानी से जूझ रहे हैं। विधायक दल की बैठक में माननीयों का दर्द साफ झलका। कुछ विधायकों ने कहा कि आज भी अफसर उनकी बात नहीं सुनते। उनकी सिफारिश नहीं मानते। जबकि बिचौलिये लोगों के काम करवाकर उनका मुंह चिढ़ाते हैं।

हरियाणा में भाजपा सरकार को बने दो साल हो गए हैं। मुख्यमंत्री अक्सर कहते हैं कि अफसरशाही उनके कंट्रोल में है। जबकि विधायक नाराजगी जता रहे हैं क्योंकि उनकी सिफारिशें मानी नहीं जा रही। करीब चार महीने के लंबे अंतराल के बाद हरियाणा भाजपा विधायक दल की बैठक हुई तो विधायकों ने फिर अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े किए।

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बिचौलिये 'सक्रिय', विधायक 'निष्क्रिय'

विधायकों ने जहां मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी तबादला आदेशों पर अमल नहीं होने का मुद्दा मुख्यमंत्री के सामने उठाया, वहीं कुछ विधायकों ने कहा कि उनकी सिफारिशें ही नहीं मानी जाती जबकि बिचौलिये आज भी लोगों का काम करवाकर उनका मुंह चिढ़ाते हैं।

कैबिनेट विस्तार के बाद पहली बैठक

मुख्यमंत्री निवास पर हुई विधायक दल की बैठक करीब तीन घंटे तक चली। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ये बैठक कैबिनेट के विस्तार और मंत्रियों के कामकाज में फेरबदल के बाद विधायकों की राय जानने के लिए बुलाई थी। इस दौरान सरकारी कामकाज के बारे भी फीडबैक लिया गया तो विधायकों का दर्द बाहर आ गया।

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सीएमओ का आदेश भी नहीं मानते अफसर

बैठक में विधायकों ने कहा कि सीएमओ के आदेश तक बाबू नहीं मानते। क्लर्क सीएमओ के आदेशों पर आपत्ति लगाकर फाइल वापस भेज देते हैं। अहीरवाल के एक विधायक ने कहा कि कम से कम सीएमओ के आदेशों के साथ तो इस तरह का मजाक नहीं होना चाहिए।

थर्ड और फोर्थ क्लास के तबादले होंगे विधायकों के हाथ

वहीं, मुख्यमंत्री ने तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के तबादलों का अधिकार मंत्रियों को दे दिया। विधायकों को यह अधिकार 10 अगस्त तक सौंंपे गए हैं। इस तरह विधायक अपने ए अब उन्हें अपने इलाकों में अपनी पसंद के अधिकारी लगवाने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

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पुलिस नहीं मानती बात

दो विधायकों ने पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए। एक विधायक ने कहा कि पुलिस अफसर कहना नहीं मानते। दो-दो लाख रुपये देकर लोग आसानी से अपना लाइसेंस बनवा लेते हैं, लेकिन विधायक यदि किसी ऐसे काम की सिफारिश कर दें तो वह नहीं होता।

विधायक लगाएं गांवों में खुले दरबार

मुख्यमंत्री लाल ने विधायकों को गांवों में 'खुले दरबार' लगाने को कहा है ताकि लोगों की समस्याओं का समाधान किया जा सके। विधायकों को जानकारी दी गई कि सभी हलकों में 10-10 योग व व्यायामशालाएं इसी वर्ष खोली जाएंगी। जहां जमीन या अन्य कोई दिक्कत है, उसे जल्द दूर किया जाएगा।

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सीएम ने बैठक में विधायकों को कहा कि स्वर्ण जयंती समारोह के लिए ऐसे सुझाव दें ताकि प्रदेश की 50वीं वर्षगांठ पर होने वाले कार्यक्रम यादगार छाप छोड़कर जाएं। ग्राम सचिवालयों को लेकर विधायकों के सुझाव लिए गए। जिला मॉनीटरिंग कमेटियों के साथ तालमेल बनाने तथा सीएम विंडो पर आ रही शिकायतों का समाधान करने में भी रुचि लेने को विधायकों को कहा गया है।

बिजली विभाग की कार्यप्रणाली ठीक नहीं

विधायक दल की बैठक में म्हारा गांव-जगमग गांव बिजली योजना की समीक्षा की गई। सीएम ने विधायकों को कहा कि वे इस योजना को लेकर लोगों को जागरूक करें। इस पर कुछ विधायकों ने कहा कि बिजली विभाग की कार्यशैली सही नहीं है। विभाग में सबसे अधिक ढिलाई है। अधिकारी काम करने के इच्छुक ही नहीं हैं।

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विधायकों ने फसल बीमा योजना पर भी उठाए सवाल

कई विधायक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की खामियां गिनाते नजऱ आए। उन्होंने कहा कि आग लगने से अगर फसल बर्बाद हो गई तो उसका मुआवजा नहीं मिलेगा। यह ठीक नहीं है। नुकसान के आंकलन के लिए गांव के बजाय खेत और किसान को इकाई बनाने का सुझाव बैठक में आया।

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